केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा की जीत के हीरो बन गए CM धामी, जानिए कैसे अपनी रणनीति से कांग्रेस को चटाई धूल
केदारनाथ/देहरादून : (विपिन चंद्रा, एडिटर-इन-चीफ) - केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा कि जीत के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नायक बन गए हैं, सीएम का नेतृत्व इस बात का प्रमाण है कि पार्टी ने अपनी रणनीति को प्रभावशाली ढंग से लागू किया। भाजपा ने धामी के नेतृत्व में न केवल अपने पारंपरिक वोट बैंक को मजबूत रखा, बल्कि कांग्रेस कि कमजोरियों का भी पूरा फायदा उठाया। आइए, समझते हैं इस जीत के पीछे की प्रमुख वजहें - केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल 5099 वोट से जीती हैं। भाजपा को 23130 और कांग्रेस को 18031 वोट मिले। वहीं निर्दलीय त्रिभुवन सिंह 9241 लेकर तीसरे स्थान पर रहे हैं।
धामी का नेतृत्व और युवा चेहरा -
पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश में एक युवा और ऊर्जावान छवि बनाई है। उनके प्रशासनिक निर्णय, जैसे कि विकास योजनाओं का तेज़ कार्यान्वयन और आपदा प्रबंधन में कुशलता, जनता को प्रभावित करने में सफल रहे। धामी ने लगातार केदारनाथ के विकास की बात कही और वह दोहराते रहे कि केदारनाथ में भाजपा ने ही बेहतर काम किया है. पीएम मोदी का जुड़ाव भी केदारनाथ की जनता से दिलों में जगाते रहे, इस छवि को वोटर्स के दिलों में उतारने में मुख्यमंत्री कामयाब हुए।
भाजपा और मुख्यमंत्री की संगठित रणनीति -
लिहाजा, भाजपा संगठन का मुख्यमंत्री को पूरा अनुभव है, उन्होंने युवा मोर्चा में प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए इस बात को बखूबी समझा था कि कैसे संगठन और सरकार मिलकर काम करती है, इसी सूझ-बुझ ने सीएम ने सरकार में रहते हुए संगठन से बूथ स्तर तक मजबूत पकड़ बनाई रखी। कार्यकर्ताओं ने हर मतदाता तक पहुंचने का काम किया और सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी उपचुनाव का रुख भाजपा के पक्ष में कराने को ताकत झोंकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आपदा प्रभावितों के लिए विशेष पैकेज से लेकर विधानसभा क्षेत्र के विकास से जुड़ी योजनाओं की स्वीकृति तक के निर्णय फटाफट लिए। चुनाव की घोषणा से पहले ही केदारनाथ कि जनता के बीच बार-बार पहुंचे और प्रचार के आखिरी दिन भी उन्होंने डेरा जमाया रखा था।
बगावती सुरों को भांप गए थे सीएम -
दूसरी और CM ने अपनी प्रभावी रणनीति से केदारनाथ उप चुनाव में बगावत को बड़ी सूझबूझ से संभाला था, मुख्यमंत्री धामी ने ऐन मौके पर अपनी पार्टी से दावेदारी करने से वाले कुलदीप रावत और ऐश्वर्य रावत के बगावती सूरों को भांप लिया था और उन्हें चुनाव से पहले मनाया, उसका पार्टी संगठन से लेकर विपक्ष के बीच भी बड़ा संदेश गया है। अगर यह नेता पार्टी से बगावत करते तो पार्टी को बड़ा नुकसान पंहुचा सकते थे।
केदारनाथ से सीएम का धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव -
केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थान पर भाजपा की हिंदुत्व नीति ने अहम भूमिका निभाई। धामी सरकार के तहत केदारनाथ के पुनर्निर्माण और सुविधाओं में सुधार ने जनता का भरोसा जीता। धामी सरकार ने स्थानीय मुद्दों, जैसे सड़क निर्माण, रोजगार और शिक्षा, पर ध्यान दिया। उन्होंने जनता के बीच अपनी मौजूदगी बनाए रखी और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान किया।
सीएम की रणनीति के सामने बिखर गयी कांग्रेस -
लिहाजा, पिछले महीनों बद्रीनाथ और मंगलौर उपचुनावों में कांग्रेस ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी इससे पार्टी में जोश था, कई धड़ों में बटी कांग्रेस केदारनाथ उपचुनावों में एक दिखी फिर भी वह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मुकाबला नहीं कर पाई. केदारनाथ का सोना हो या केदारनाथ धाम की शाखा दिल्ली में खोलने वाली कांग्रेस की बातों पर केदारनाथ की जनता ने रत्ती भर भी भरोषा नहीं किया।
कुल मिलाकर, भाजपा की जीत धामी के मजबूत नेतृत्व, संगठन की मेहनत, और कांग्रेस कि असफल रणनीति का परिणाम है। कांग्रेस भले ही बाहर से एकजुटता का संदेश देना चाहती थी पर वह भीतर से एकजुटता नहीं दिखा पायी थी, केदारनाथ क्षेत्र में भाजपा की यह जीत बेशक मुख्यमंत्री के नंबर शीर्ष नेताओं में तो बढ़ाएगी ही साथ ही भविष्य के चुनावों के लिए भी पार्टी को आत्मविश्वास देगी।