Chota Kailash - नैनीताल जिले में भगवान शिव का मंदिर, जहां भोलेनाथ ने पहाड़ में बैठकर देखा था राम - रावण युद्ध! 
 

 | 

Chota Kailash Bhimtal / Nainital - देवभूमि उत्तराखंड को पुराणों और हिन्दू धर्म ग्रंथों में भोलेनाथ की तपोेस्थली माना गया है. यहां कण - कण में भगवान शिव विराजमान हैं. बात केदारखंड की हो तो कौन नहीं जानता बाबा भोलेनाथ का विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ, बद्रीनाथ, त्रियुगीनारायण धाम और कई छोटे - बड़े मंदिर गढ़वाल क्षेत्र में मौजूद हैं, अगर बात मानसखंड की हो, तो आदि कैलाश, जागेश्वर धाम, बैजनाथ और छोटा कैलाश मंदिर कुमाऊं मंडल में मौजूद हैं, आज बात होगी नैनीताल जिले में स्थित छोटा कैलाश (Chota Kailash in Nainital) मंदिर की - 


नैनीताल भीमताल में छोटा कैलाश - Nainital Bhimtal Chota Kailash Shiv Mandir 
छोटा कैलाश मंदिर पहाड़ की जिस चोटी पर बना है वह इर्द-गिर्द के पहाड़ों में सबसे ऊंची चोटी है. यहां पहुंचने के लिए आपको लगभग 4 से 5 किलोमीटर चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, छोटा कैलाश के बारे में मान्यता है कि सतयुग में भगवान महादेव एक बार यहाँ आये थे. अपने हिमालय भ्रमण के दौरान भगवान शिव तथा पार्वती ने इस पहाड़ी पर विश्राम किया था. महादेव के यहाँ पर धूनी रमाने के कारण ही तभी से यहाँ अखण्ड धूनी जलायी जा रही है. मान्यता है कि यहाँ पहुंचकर शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु यहाँ पर घंटी और चांदी का छत्र चढ़ाते हैं. पिनरों गांव के ऊंचे पर्वत पर विराजमान छोटा कैलाश मंदिर श्रद्धालुओं में सदैव आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है.

कैसे पहुचें छोटा कैलाश - 
अगर आप छोटा कैलाश आना चाहते हैं तो चलिए आपको देश की राजधानी दिल्ली से यहां तक पहुंचने तक का रास्ता बताते हैं, छोटा कैलाश पहुंचने के लिए  आप बस या ट्रैन से आते हैं तो सबसे नजदीक शहर हल्द्वानी के काठगोदाम तक पहुंच सकते हैं, ऐसा इसीलिए हल्द्वानी शहर बस और रेलवे माध्यमों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो पंतनगर सबसे अच्छा विकल्प है, पंतनगर से हल्द्वानी की दूरी महज 27 किलोमीटर है। यहाँ से आपको बस, मैजिक हल्द्वानी के लिए आसानी से मिल जाते हैं। अब बात करते हैं, हल्द्वानी से आप छोटा कैलाश कैसे पहुंच सकते हैं?


दो रास्तों से पहुंच सकते हैं छोटा कैलाश - 
नैनीताल जिले के पिनरों गांव की एक पहाड़ी पर स्थित है भोलेनाथ के इस मंदिर में दो रास्तों से पहुंचा जा सकता है. इसके लिए हल्द्वानी से लगातार शिवरात्रि के दिन शटल सेवा का संचालन होता है, एक रास्ता तो हल्द्वानी से अमृतपुर होते हुए जाता है, जैसे ही आप हल्द्वानी से रानीबाग, HMT से 200 मीटर आगे चलते हैं तो आपको हाँ से दाहिनी और मुड़कर सामने कैलाश द्वार का एक बोर्ड मिलता है. गार्गी गौला नदी के किनारे - किनारे से मंदिर को भक्त महाशिवरात्रि के दिन जयकारा लगाकर जाते हैं, इस रास्ते से आपको 35 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. दूसरा भीमताल से होते हुए जिसके लिए जंगलिया गांव के रास्ते से होकर आपको गुजरना पड़ता है. यहां से यह मंदिर करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर है. भटेलिया नामक जगह तक आप ट्रांसपोर्ट से जा सकते हैं, यहां पहुंचने के बाद पहाड़ की चोटी तक 3 से 4 किमी खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. रास्ते में भक्तों के कुछ देर बैठने की भी उचित व्यवस्था की गई है. जगह - जगह भंडारों का आयोजन होता है। 

 

मन मोह लेती हैं ऊंची पहाड़ियां - 
खुले आसमान के नीचे महादेव का एक भव्य शिवलिंग स्थापित है. यहां एक जलकुंड भी स्थित है, जो फिलहाल सूख गया है. इस स्थान पर पहुंचकर भक्तों को शांति का अनुभव होता है. यहां का शांत वातावरण यहां पहुंचने पर लगी सारी थकान को मिटा देता है. यहां से चारों ओर की पहाड़ी का नजारा भी बेहद सुंदर दिखाई देता है. यहां से हल्द्वानी शहर का खूबसूरत दृश्य भी देखने को मिलता है. 18 साल से मंदिर में तपस्यारत कर्नाटक कैलाशी बाबा बताते हैं कि जब शिव ने यहाँ वास किया तो उन्होंने दिव्य शक्तियों से यहाँ पर एक कुंड का भी निर्माण किया. जिसे पार्वती कुंड कहा जाता था. बाद के वर्षों में किसी भक्त द्वारा उसे अपवित्र कर देने के कारण उसका जल सूख गया. उस कुंड तक पहुँचने वाली तीन सतत जलधाराएँ विभक्त होकर पहाड़ी के तीन छोरों पर थम गयी.

भगवान शिव ने देखा था राम रावण का युद्ध - 
ऐसी मान्यता है कि शिव पार्वती विवाह के बाद महादेव ने एक दिन के लिए इस जगह पर विश्राम किया था, तभी से भक्तों की आस्था इस जगह पर बनी हुई है. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि महादेव ने इसी स्थान पर बैठकर राम और रावण के बीच युद्ध देखा था. पहाड़ी पर बना यह मंदिर काफी पुराना है. यह कब बना, फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है. मंदिर की वजह से ही पूरी पहाड़ी को ‘छोटा कैलाश’ कहा जाता है. सावन माह में बड़ी संख्या में भोलेनाथ के भक्त यहां पूजा-अर्चना और उनके दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. जबकि महाशिवरात्रि के दौरान भी श्रद्धालुओं की यहां काफी भीड़ देखने को मिलती है. मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु पूरे भक्ति भाव से यहां आता है और भगवान शिव का ध्यान करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Tags - Shiv Temple Uttarakhand, Shiv Temple Nainital, Shiv Mandir Bhimtal, Chota Kailash Shiv Temple Nainital, नैनीताल छोटा कैलाश, Maha Shivratri 2024, उत्तराखंड में सबसे बड़े शिव मंदिर, भीमताल छोटा कैलाश से जुड़ी मांन्यताएँ, नैनीताल के सबसे मशहूर शिव मंदिर, Big Shiv Temple in Uttarakhand. Big shiv mandir in nainital 

WhatsApp Group Join Now