Badrinath Dham - रवि पुष्य लग्न में खुले बदरीनाथ धाम के कपाट, श्रद्धालुओं पर हुई पुष्पवर्षा, 10,000 से अधिक भक्त पहुंचे धाम 

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चमोली - श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट शनिवार सुबह ठीक 6 बजे रवि पुष्य नक्षत्र में विधिविधान के साथ खोल दिए गए। कपाट खुलते ही पूरे धाम में “जय बदरी विशाल” के जयकारों की गूंज सुनाई दी और श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। छह माह की प्रतीक्षा के बाद कपाटोद्घाटन के इस शुभ अवसर पर देश-विदेश से 10,000 से अधिक श्रद्धालु धाम पहुंचे हैं। श्रद्धालु अखंड ज्योति के प्रथम दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े दिखे।


क्या है रवि पुष्य लग्न?
बदरीनाथ धाम के कपाट रवि पुष्य लग्न में खोले गए, जिसे बेहद शुभ संयोग माना जाता है। रवि पुष्य योग तब बनता है जब पुष्य नक्षत्र (27 नक्षत्रों में एक) का संयोग रविवार के दिन पड़ता है। यह संयोग धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायक और सभी कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, रवि पुष्य योग में किए गए कार्य लंबे समय तक शुभ फल देते हैं। इसलिए मंदिरों में विशेष पूजा, प्रतिष्ठा, स्थापना और कपाटोद्घाटन जैसे कार्य इसी योग में संपन्न किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन आरंभ किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना विशेष मुहूर्त के भी सफल होता है।

मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं - 
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कपाट खुलने के मौके पर श्रद्धालुओं का स्वागत करते हुए कहा, "आज का दिन बहुत ही शुभ है। मैं उत्तराखंड आने वाले सभी श्रद्धालुओं की सुखद यात्रा की कामना करता हूं। चारधाम यात्रा थोड़ी कठिन जरूर है, लेकिन सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कर दी गई हैं।"

धाम की भव्य सजावट - 
बदरीनाथ मंदिर को कपाटोद्धघाटन के अवसर पर 40 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया है। देर रात तक मंदिर के सिंहद्वार के शीर्ष पर फूलों की सजावट का कार्य जारी रहा। भक्तों ने सजावट की भव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध होकर भगवान बदरी विशाल के जयकारे लगाए।

पॉलीथिन मुक्त होगी यात्रा - 
चमोली जिला प्रशासन ने इस बार बदरीनाथ यात्रा को पॉलीथिन मुक्त रखने का निर्णय लिया है। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने धाम और यात्रा मार्ग पर स्थित होटलों व ढाबों को पॉलीथिन के प्रयोग से बचने का अनुरोध किया है। इसके अलावा, प्रतिष्ठानों को साफ-सफाई बनाए रखने, रेट लिस्ट चस्पा करने और फायर सिलिंडर अनिवार्य रूप से रखने के निर्देश दिए गए हैं। कर्णप्रयाग, गौचर, नंदप्रयाग, पीपलकोटी, ज्योतिर्मठ, गोविंदघाट और पांडुकेश्वर जैसे प्रमुख पड़ावों पर यह नियम सख्ती से लागू होंगे।

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