हल्द्वानी - आर्यमान विक्रम बिड़ला के वार्षिकोत्सव 'एल्केमी 2023' की एक अविस्मरणीय शाम, रंगारंग कार्यक्रमों ने किया अभिभूत
 

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हल्द्वानी - आर्यमान विक्रम बिड़ला अपने वार्षिकोत्सव 'एल्केमी 2023' के माध्यम से शनिवार को एक शानदार और यादगार शाम का मेज़बान बना। इसके साक्षी बने- समस्त अतिथि, विद्यालय परिवार के सदस्य, विद्यालय प्रांगण और यह सुहावनी शाम भी। बिड़ला इंस्टीट्यूट फॉर विज़ुअल एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स-स्वर संगम, कोलकाता के 10 प्रशिक्षकों ने मधुमिता राय चौधरी के नेतृत्व में  मात्र 10 दिन में विद्यार्थियों को विभिन्न कलाओं- गायन, वादन, नृत्य, नाटिका, हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दिया, यह वार्षिकोत्सव विद्यार्थियों की इसी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन था। यह मात्र एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि विद्यालय के कक्षा 4 से 11 के विद्यार्थियों की प्रतिभा और मेहनत की झलक, उनके सपनों, कल्पनाओं और रचनात्मकता का प्रदर्शन, उनके जोश और जुनून का साकार रूप था।


सर्वप्रथम सायं 4 बजे विशिष्ट अतिथि वैज्ञानिक चंद्रशेखर पंत (अध्यक्ष, प्रौद्योगिकी विभाग) जैव ऊर्जा अनुसंधान रक्षा संस्थान, डीआरडीओ, हल्द्वानी द्वारा सरस्वती मां के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके वार्षिकोत्सव का शुभारंभ किया गया। इसके साथ ही कक्षा 4 से 8 के विद्यार्थियों द्वारा स्वर संगम, कोलकाता के प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण और निरीक्षण में बनाई गई कलाकृतियों की एग्ज़ीबिशन शुरू हुई। इसमें अखबार से बनाए गए प्रकृति को दर्शाते तरह-तरह के मूर्ति शिल्प थे। पेंटिंग एंड फैब्रिक आर्नामेंटेशन के अंतर्गत टाई एंड डाई से बनाए गए टी-शर्ट्स ,साड़ी, दुपट्टे और फन एंड क्राफ्ट के अंतर्गत वेस्ट मटीरियल से बनाए गए शो पीस प्रदर्शित किए गए। बच्चों के इन प्रयासों ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया।

 

सायं 5:00 बजे पांडाल में स्कूल एंथम के पश्चात विशिष्ट अतिथि डॉ चंद्रशेखर पंत एवं पर्वतीय और शहर के विभिन्न विद्यालयों के सम्मानित प्रधानाचार्यो का पुष्पाभिनंदन किया गया। तत्पश्चात प्रधानाचार्य पिंदरजीत सिंह चीमा ने विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर विभिन्न गतिविधियों में विद्यार्थियों की उल्लेखनीय उपलब्धियों को रेखांकित किया।

इसके बाद संगीत के जादू ने उम्र और भाषा की समस्त बाधाओं को लांघकर, सभी को वशीभूत कर, झूमने पर विवश कर दिया। 'सेवेन वंडर्स' के अंतर्गत विश्व के सात आश्चर्यों को नृत्यों की अद्भुत श्रृंखला के माध्यम से रंगमंच पर साकार किया गया। इसके अंतर्गत चीन, पेरू, मेक्सिको, भारत, रोम, ब्राज़ील और जॉर्डन की सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुतीकरण ऐसा था, मानो कोई जादू की छड़ी घुमा रहा हो और दृश्य बदलते जा रहे हों। इसके माध्यम से भारत की महान सांस्कृतिक विशेषता- सद्भावना, सहिष्णुता, सौहार्द का संदेश प्रसारित किया गया। 

अगली प्रस्तुति 'वेव्स आफ़ हिस्ट्री' में देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक विकास क्रम को नृत्य- नाटिका द्वारा दिखाया गया। मंच पर महाभारत काल को पुनर्जीवित कर देवभूमि के साथ इसके संबंध को उद्घाटित करते हुए, देवभूमि के समृद्ध सांस्कृतिक विकास और  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ पली - बढ़ी पीढ़ी इसे जहां तक ले जाएगी, उत्तराखंड की उस भावी तस्वीर का मंचन अद्भुत एवं लाजवाब था। यह नृत्य नाटिका इतिहास, वर्तमान, भविष्य और यथार्थ व कल्पना का अद्भुत सामंजस्य थी। विशिष्ट अतिथि डॉ चंद्रशेखर पंत के प्रेरणास्पद वक्तव्य ने जहां विद्यार्थियों और शिक्षकों का उत्साहवर्धन किया, वहीं उत्कृष्टता के इस सफर को जारी रखने के लिए संकल्पबद्ध भी किया।

विद्यालय के कक्षा 12 के छात्र चिराग पांडे द्वारा विद्यालय परिवार की ओर से विद्यालय की अध्यक्ष मंजूश्री खेतान, समस्त अतिथियों, स्थानीय प्रशासक, प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया कर्मियों, स्वर संगम के प्रशिक्षक गुरुओं, अभिभावकों, विद्यार्थियों, शिक्षकों आदि सभी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की, जिनकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी रूप में इस वार्षिकोत्सव में भूमिका रही।

सिटी मजिस्ट्रेट हल्द्वानी ऋचा सिंह, प्रशासनिक व्यस्तता के कारण समारोह समारोह में उपस्थित नहीं हो पाईं उन्होंने विद्यार्थियों और विद्यालय के लिए फोन द्वारा अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। राष्ट्रगान के साथ वार्षिकोत्सव तो संपन्न हुआ, पर विद्यार्थियों द्वारा प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन और दर्शकों द्वारा मिली सराहना ने इस शाम को अविस्मरणीय बना दिया।
 

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