उत्तराखंड - यहां निर्माणाधीन पुल टूटा, 60 मीटर लंबा ‘वैली ब्रिज’ का हो रहा था निर्माण, हद है विभाग बोला मजदूर की गलती

Uttarakhand News - उत्तराखंड में पुलों के टूटने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अबकी बार चमोली ज़िले के थराली में प्राणमती नदी पर बन रहा 60 मीटर लंबा ‘वैली ब्रिज’ भी धराशायी हो गया। महज एक महीने से निर्माणाधीन यह पुल अचानक भरभराकर ज़मीन पर आ गिरा। ये वही रतगांव है जहां कुछ साल पहले प्राणमती नदी ने पुराना मोटर पुल लील लिया था, और अब नया पुल खुद ही ज़मीन चाट गया।

पुल नहीं टूटा, उम्मीदें टूटीं -
ग्रामीणों की मानें तो वे बीते दो सालों से प्रशासन और लोक निर्माण विभाग की चौखट पर माथा टेकते-टेकते थक गए थे। किसी तरह पुल का निर्माण शुरू हुआ तो लगा था अब शायद बारिश में कैद नहीं होना पड़ेगा। लेकिन अब वह सपना भी मलबे में दब गया है।

विभाग बोले – ‘मजदूर की गलती थी -
लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता जगदीश कुमार टम्टा ने अपनी ओर से सफाई पेश करते हुए कहा— “निर्माण कार्य चल रहा था, मजदूरों की गलती से पुल गिर गया। कोई जनहानि नहीं हुई है। दो दिन में दोबारा काम शुरू करवा देंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या इतने बड़े प्रोजेक्ट में निगरानी सिर्फ मज़दूरों पर ही थी? इंजीनियरिंग निरीक्षण, सुरक्षा परीक्षण, और निर्माण गुणवत्ता की जवाबदेही किसकी है?
पहाड़ में पुलों का इतिहास भी ‘हादसों’ से भरा है -
यह पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड में निर्माणाधीन पुल अचानक गिरा हो। साल 2022 में टिहरी के कोटी कॉलोनी में निर्माणाधीन पुल भरभराकर गिरा था।2023 में नैनीताल जिले के ओखलकांडा में वैली ब्रिज का हिस्सा बैठ गया था।, और अब 2025, थराली की बारी आ गई है। हर बार कारण अलग बताए जाते हैं— कहीं मज़दूरों की गलती, कहीं तकनीकी चूक, और कभी-कभी बारिश या भूकंप का बहाना। लेकिन नतीजा हर बार एक ही: आम जनता की मुसीबतें, और सिस्टम की चुप्पी।