मतदान के दिन लगने वाली स्याही इसलिए सूख जाती है चंद मिनटों में, यहां होती है तैयार

नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क। चुनाव के दौरान मतदान करते समय मतदाताओं की उंगली पर एक खास तरह की स्याही लगाई जाती है। इस स्याही का प्रयोग फर्जी मतदान को रोकने के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं इस स्याही से कुछ दिलचस्प जानकारियां, जैसे इसे किसने बनाया, भारत में यह चुनावों में कब पहली
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मतदान के दिन लगने वाली स्याही  इसलिए  सूख जाती है चंद मिनटों में, यहां होती है तैयार

नई दिल्ली-न्यूज टुडे नेटवर्क। चुनाव के दौरान मतदान करते समय मतदाताओं की उंगली पर एक खास तरह की स्याही लगाई जाती है। इस स्याही का प्रयोग फर्जी मतदान को रोकने के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं इस स्याही से कुछ दिलचस्प जानकारियां, जैसे इसे किसने बनाया, भारत में यह चुनावों में कब पहली बार प्रयोग में लगाया है, जानिए क्यों है ये स्याही इतनी खास ..

मैसूर के राजा ने बनवाया था इसे

चुनाव के दौरान फर्जी मतदान रोकने में कारगर औजार के रुप में प्रयुक्त हाथ की उंगली के नाखून पर लगाई जाने वाली स्याही सबसे पहले मैसूर के महाराजा नालवाड़ी कृष्णराज वाडियार द्वारा वर्ष 1937 में स्थापित मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड कंपनी ने बनायी थी। वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बन गई। अब इस कंपनी को मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड के नाम से जाता है। कर्नाटक सरकार की यह कंपनी अब भी देश में होने वाले प्रत्येक चुनाव के लिए स्याही बनाने का काम करती है और इसका निर्यात भी करती है।

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तीसरे आम चुनाव में पहली बार हुआ था प्रयोग

चुनाव के दौरान मतदाताओं को लगाई जाने वाली स्याही निर्माण के लिए इस कंपनी का चयन वर्ष 1962 में किया गया था और पहली बार इसका इस्तेमाल देश के तीसरे आम चुनाव किया गया था। इस स्याही को बनाने की निर्माण प्रक्रिया गोपनीय रखी जाती है और इसे नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी आफ इंडिया के रासायनिक फार्मूले का इस्तेमाल करके तैयार किया जाता है। यह फार्मूला दिल्ली स्थित नेशनल फिजिकल लैब द्वारा तैयार किया गया है जिसे कि इसके बदले रायल्टी मिलती है। यह आम स्याही की तरह नहीं होती और उंगली पर लगने के 60 सेकंड के भीतर ही सूख जाती है।

चुनाव के दौरान यह स्याही बाएं हाथ की तर्जनी उंगली के नाखून पर लगाई जाती है। एक फरवरी 2006 से पहले तक यह स्याही नाखून और चमड़ी के जोड़ पर लगाई जाती थी। यह स्याही इस बात को सुनिश्चित करती है कि एक मतदाता एक ही वोट डाले। देश में इस तरह की स्याही बनाने वाली यह एक मात्र कंपनी है।

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और किन देशो में होती है इस्तेमाल

यह कम्पनी भारत में चुनाव के लिए ही नहीं बल्कि मालदीव, मलेशिया, कंबोडिया, अफगानिस्तान, मिस्र, दक्षिण अफ्रीका में भी इस स्याही को निर्यात करती रही है। जहां भारत में बाएं हाथ की दूसरी उंगली के नाखून पर इसका निशान लगाया जाता है, कंबोडिया व मालदीव में इस स्याही में उंगली डुबानी पड़ती है। बुरंडी व बुर्कीना फासो में इसे था पर ब्रश से लगाया जाता है।

2019 लोस चुनाव 26 लाख शीशियों का मिला आर्डर

7 चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से शुरू होकर 19 मई को संपन्न होंगे। मैसूर पेंट्स के प्रबंध निदेशक चंद्रशेखर डोडामनी ने बताया कि कंपनी को चुनाव आयोग से 10-10 क्यूबिक सेंटीमीटर की 26 लाख शीशियां बनाने का ऑर्डर प्राप्त हुआ है। चुनाव आयोग ने 2014 लोकसभा चुनावों में 21.5 लाख शीशी मंगाई थी, जो इस साल के मुकाबले 4.5 लाख कम थीं। कर्नाटक सरकार का उपक्रम मैसूर पेंट्स वार्निश लिमिटेड चुनाव आयोग के लिए पक्की स्याही बनाने के लिए अधिकृत निर्माता है।