पढिय़े राज्य मंत्री धन सिंह रावत की पूरी जीवनी, छात्र जीवन से राजीतिक तक का सफर

Dhan Singh Rawat- राज्य सरकार के राज्य मंत्री धन सिंह रावत अपने कार्यों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने किस तरह राजनीति में कदम रखा और समाजसेवा में क्या-क्या योगदान दिया। आइये जानते है उनके राजनीति सफर का पूरा विवरण। धन सिंह रावत का जन्म 7 अक्टूबर सन 1971 में पौड़ी गढ़वाल जिले के ग्राम
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Dhan Singh Rawat- राज्य सरकार के राज्य मंत्री धन सिंह रावत अपने कार्यों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने किस तरह राजनीति में कदम रखा और समाजसेवा में क्या-क्या योगदान दिया। आइये जानते है उनके राजनीति सफर का पूरा विवरण। धन सिंह रावत का जन्म 7 अक्टूबर सन 1971 में पौड़ी गढ़वाल जिले के ग्राम नौगांव, पट्टी कण्डारस्यूं, पोओ डुंगरीखाल हुआ था। बचपन से ही वह समाज सेवा के प्रति समर्पित थे।

जिसमें उन्होंने आगे बढक़र अस्पृश्यता निवारण, बाल विवाह, मद्य निषेध जैसी सामाजिक बुराइयों के विरूद्ध आजीवन संघर्षरत है। इसे अलावा उन्होंने राम जन्म भूमि आंदोलन में भी सक्रियता दिखाई। जिसमें उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उत्तराखंड को अगल राज्य को दर्जा दिलाने के लिए उन्होंने राज्य आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई।

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जिसमें उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा। पर्यावरण को लेकर चिंतित रहने वाले धन सिंह ने छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद के तत्वावधान 100 कॉलेजों में 100 पेड़ लगाये। इसके अलावा उत्तरकाशी एवं चमोली में आए भूंकप में उन्होंने 60 दिनों तक गांव-गांव में राहत कार्य किया।

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शिक्षा पर एक नजर-

धन सिंह रावत ने सर्वेयर में डिप्लोमा किया है। इसके साथ उन्होंने एम.ए इतिहास, राजनीति विज्ञान से भी किया है। साथ ही राजनीति विज्ञान में पीएचडी भी की है। शिक्षा के जुड़ाव होने से उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी। जिसमें पदयात्रा, पंचायतीराज: एक अध्ययन, पंच केदार, पंच बदरी, पंच प्रयाग लिखी। वहीं उत्तराखंड के ताल बुग्याल, उत्तराखंड के बावन गढ़ों का इतिहास अप्रकाशित है।

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धार्मिक एवं सामाजिक आंदोलन में भूमिका-

उन्होंने उत्तराखंड राज्य के लिए सम्पूर्ण प्रदेश मेें 59 दिनों की पदायात्रा निकाली। यह यात्रा लैंसडाउन से होकर लैंसडाउन वापस आयी। इसके अलावा दूसरी पदयात्रा अस्कोट से अस्कोट तक। साथ ही माओवाद के खिलाफ धारचूला और कालापानी, जोलिंगकोंग से टनकपुर तक 39 दिन की यात्रा की। विश्व प्रसिद्ध नंदादेवी राजजात सम्पूर्ण यात्रा में भी हिस्सा लिया। अमरनाथ यात्रा, गंगोत्री, गोमुख और तपोवन की पद भी की। मदमहेश्वर, तुंगनाथ, रूद्रनाथ, पाण्डवसेरा, कल्पेश्वर, भविष्य बद्री, द्रोणागिरि, फूलों की घाटी, वसुधारा, हरकीदून, कालशिला, पूर्णागिरि, मुनस्यारी से मिलम, नीति दर्रा, हेमकुण्ड साहेब, केदारनाथ, वासुकीताल, देवरियाताल, राक्षस ताल, डोडीताल और पार्वती सरोवर की पदयात्राएं की।

इन स्थलों के किये दर्शन-

धन सिंह रावत ने बारह ज्योतिर्लिग यात्रा, पशुपतिनाथ काठमांड की यात्रा की। कैलाश यात्रा व छोटा कैलाश के अलावा उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक सम्पूर्ण भारत-भ्रमण किया। सिन्धु दर्शन यात्रा के तहत उन्होंने लेह लद़दाख की यात्रा की। सामाजिक अध्ययन के लिए उन्होंने अरूणांचल प्रदेश, आसाम, मिजोरम, नागालैण्ड, मेघालय, त्रिपुरा और सिक्किम की यात्रा की।