उत्तराखंड - देश भर में बदल गया पूरा अपराध का कानून जानिए अब IPC And CRPC Is Now BNS, BNSS, BSA हो गया 
 

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Indian Three New Criminal Laws - आज एक जुलाई से उत्तराखंड सहित देश भर में नया आपराधिक कानून लागू हो जायेगा, भारतीय दंड संहिता 1860 IPC अब भारतीय न्याय संहिता BNS 2023, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1898 CRPC, अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता BNSS 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 BSA अब 2023 नाम से जाना जायेगा यह तीनों कानून देश भर में इम्प्लीमेंट हो गए हैं. 


केंद्र सरकार ने अंग्रेजों के जमाने में बनाए पुराने कानूनों IPC और CRPC की छुट्टी कर दी है. सरकार ने यह बदलाव करने के लिए पिछले साल अगस्त में तीन नए आपराधिक कानूनों को सदन में पेश किया था. भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लिहाजा नए भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। 


नए कानूनों में हत्या, की धारा 302 के बदले अब 101 लगेगी, हत्या के प्रयास पर 307 की जगह अब 109 , दुष्कर्म की धारा 376 को बदलकर 63, इसी तरह सामूहिक रूप से एकत्र होने पर धारा 144 की अब धारा 189,  ठगी करने पर धारा 420 की जगह 316 लगाई जाएगी। नए कानूनों में नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषियों को फांसी की सजा दी जा सकेगी. नाबालिग के साथ गैंगरेप को नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसके साथ ही अब राजद्रोह अपराध नहीं माना जाएगा. 


नए कानून में मॉब लिंचिंग के दोषियों को भी सजा दिलाने का प्रावधान किया गया है. यानि जब 5 या उससे अधिक लोग जाति या समुदाय के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो अब सजा कठोर कर दी गई है. नए कानून में मॉब लिचिंग  शामिल व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर उम्रकैद या मौत की सजा के साथ-साथ जुर्माने की सजा मिल सकती है.


भारतीय न्याय संहिता 163 साल पुराने आईपीसी की जगह लेने वाला है. इसमें सेक्शन 4 के तरह सजा के तौर पर दोषी को सामाजिक सेवा करनी पड़ेगी. अगर किसी ने शादी का धोखा देकर यौन संबंध बनाए तो उसे 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है.  नौकरी या अपनी पहचान छिपाकर शादी के लिए धोखा देने पर भी सजा का प्रावधान किया गया है. अब संगठित अपराध जैसे अपहरण, डकैती, गाड़ी की चोरी, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, आर्थिक अपराध, साइबर-क्राइम के लिए आरोपितों को कड़ी सजा दी जाएगी.


राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कामों पर भी सजा का प्रावधान किया गया है. आतंकवादी कृत्य जो लोगों के बीच आतंक पैदा करने के इरादे से भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालती है. उसे नए कानून BNS के तहत अब कठोर सजा मिलेगी!

 


जानिए 10 मुख्य पॉइंट्स, जिनमें हुआ बदलाव - 
1. आपराधिक मामले का फैसला, सुनवाई समाप्त होने के 45 दिनों के अंदर सुनाया जाना चाहिए. पहली सुनवाई के 60 दिनों के अंदर आरोप तय करने का प्रावधान है. सभी राज्य सरकारों को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए गवाह सुरक्षा योजनाओं को लागू करना चाहिए.

 

2. बलात्कार पीड़ितों के बयान पीड़िता के अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज किए जाएंगे. मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए.


3. नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर कड़े नियम बनाये गए हैं. बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध माना जाता है, जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है. नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.

 

4. कानून में अब उन मामलों के लिए दंड का प्रावधान है, जहां शादी के झूठे वादे करके महिलाओं को छोड़ दिया जाता है.

 

5. महिलाओं के खिलाफ अपराध होने पर पीड़ितों को 90 दिनों के अंदर नियमित अपडेट हासिल करने और पीड़ितों को मुफ्त प्राथमिक उपचार या चिकित्सा उपचार प्रदान कराना जरूरी है.

6. आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, कबूलनामे और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार है.

7. अब घटनाओं की रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से की जा सकती है, जिससे पुलिस स्टेशन जाने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी. जीरो एफआईआर की शुरूआत से व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में, चाहे उसका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो, प्राथमिकी दर्ज करा सकता है.

8. गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में अपनी पसंद के व्यक्ति को सूचित करने का अधिकार है, ताकि उसे तत्काल सहायता मिल सके. गिरफ्तारी का विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि परिवार और मित्र आसानी से इसे देख सकें.

9. अब गंभीर अपराधों के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञों का घटनास्थल पर जाना और साक्ष्य एकत्र करना अनिवार्य है.

10. “लिंग” की परिभाषा में अब ट्रांसजेंडर लोग भी शामिल किया गया है, जो समानता को बढ़ावा देता है. महिलाओं के खिलाफ कुछ अपराधों के लिए, पीड़िता के बयान को यथासंभव महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाना चाहिए. यदि उपलब्ध न हो, तो पुरुष मजिस्ट्रेट को महिला की उपस्थिति में बयान दर्ज करना चाहिए. बलात्कार से संबंधित बयान ऑडियो-वीडियो माध्यम से दर्ज किए जाने चाहिए, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित हो और पीड़िता को सुरक्षा मिले.

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