हल्द्वानी से जुड़ी ये खास बातें नहीं जानते होंगे आप, जाने किस सन् में आया अस्तित्व में अपना शहर

Haldwani City, हल्द्वानी कुमाऊँ का सबसे बड़ा एवं देहरादून तथा हरिद्वार के बाद राज्य का तीसरा सबसे बड़ा नगर है। इसे “कुमाऊँ का प्रवेश द्वार” कहा जाता है। कुमाऊँनी भाषा में इसे “हल्द्वेणी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ “हल्दू” (कदम्ब) प्रचुर मात्रा में मिलता था। लेकिन क्या आपको पता है कि हल्द्वानी की खोज
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हल्द्वानी से जुड़ी ये खास बातें नहीं जानते होंगे आप, जाने किस सन् में आया अस्तित्व में अपना शहर

Haldwani City, हल्द्वानी कुमाऊँ का सबसे बड़ा एवं देहरादून तथा हरिद्वार के बाद राज्य का तीसरा सबसे बड़ा नगर है। इसे “कुमाऊँ का प्रवेश द्वार” कहा जाता है। कुमाऊँनी भाषा में इसे “हल्द्वेणी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ “हल्दू” (कदम्ब) प्रचुर मात्रा में मिलता था। लेकिन क्या आपको पता है कि हल्द्वानी की खोज कब और किसने की थी। कैसे हल्द्वानी के मुख्य बाजार या मुख्य इलाको का नाम पड़ा। कैसे यहां पर व्यावसायिक गतिविधियों को रफ्तार मिली।

आपको बता दें कि हल्द्वानी की खोज मिस्टर ट्रेल ने सन् 1834 में की। उस वक्त हल्द्वानी आज के हल्द्वानी के बिलकुल विपरीत था। यहां कोई बाजार कोई कालोनी यहा तक कि व्यापार की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। सन् 1856 में सर हेनरी रैम्से ने कुमाऊँ के आयुक्त का पदभार संभाला। जिसके बाद कमिश्नर रैमजे ने झोपड़ियों में दुकानें खुलवा कर पहाड़ों की व्यवसायिक मंडी के तौर पर इसकी शुरूआत की। तब यहां व्यवसाय करने वाले गर्मियों में पहाड़ चले जाते थे। कुछ समय बाद ही यहां पर झोपड़ियों के स्थान पर पक्के मकान बनने लगे।

हल्द्वानी से जुड़ी ये खास बातें नहीं जानते होंगे आप, जाने किस सन् में आया अस्तित्व में अपना शहर

सन् 1883-84 में बरेली और हल्द्वानी के बीच रेलमार्ग बिछाया गया। 24 अप्रैल, 1884 के दिन पहली रेलगाड़ी लखनऊ से हल्द्वानी पहुंची और बाद में रेलमार्ग काठगोदाम तक बढ़ा दिया गया। सन् 1890 के आसपास रेल मार्ग बन जाने के बाद यहां पर पीपल टोला, रेलवे बाजार, सदर बाजार, पियरसन गंज बाजार अस्तित्व में आये। सन् 1842 में मि. बैरन ने नैनीताल की खोज की थी। बाद में जिला नैनीताल की प्रशासनिक व्यवस्था हल्द्वानी से ही चलाई जाती थी। सन् 1882 में रैम्से ने नैनीताल और काठगोदाम को सड़क मार्ग से जोड़ दिया। कमिश्नर रैमजे ने भाबर क्षेत्र के लिए गौला नदी से नहरों का निर्माण कराया जो आज तक अस्तित्व में है।

हल्द्वानी से जुड़ी ये खास बातें नहीं जानते होंगे आप, जाने किस सन् में आया अस्तित्व में अपना शहर

उत्तराखंड के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित हल्द्वानी महानगरीय क्षेत्र का प्रमुख शहर है। हल्द्वानी-काठगोदाम नगरों के अलावा हल्द्वानी महानगरीय क्षेत्र में ग्यारह कॉलोनियां (दमुआ धुंगा बांदोबस्ती, ब्यूरो, बामोरी तल्ली बंदोबस्ती, अमरावती कॉलोनी, शक्ति विहार, भट्ट कॉलोनी, मानपुर उत्तर, हरिपुर सुखा, गौजजली उत्तर, कुसुमखेड़ा, बिथोरिया सं १, कोर्त, बामोरी मल्ली और बामोरी तल्ली खम) और दो जनगणना नगर (मुखानी और हल्दवानी तल्ली) शामिल हैं।

हल्द्वानी नैनीताल जिले की एक तहसील भी है। हल्द्वानी तहसील नैनीताल जिले के दक्षिणी भाग में स्थित है, और इसकी सीमाएं नैनीताल जिले में नैनीताल, कालाढूंगी, लालकुआँ और धारी तहसीलों के अलावा उधमसिंह नगर जिले में गदरपुर, किच्छा और सितारगंज, और चम्पावत जिले में श्री पूर्णागिरी तहसील से मिलती हैं। तहसील में चार नगर और २०२ गांव शामिल हैं।