World Leprosy Day 2021 जानें क्या है लेप्रोसी , देखें क्या है इसका इलाज़ और लक्षण

आज वर्ल्ड लेप्रोसी डे है जो की इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए मनाया जाता है, इस बीमारी का असर मुख्य रूप से इंसान के हाथ-पैर, स्किन, आंख और नाक की लाइनिंग पर पड़ता है. इसे ‘हान्सेंस डिसीज’ भी कहा जाता है.लेप्रोसी एक प्रकार का कुष्ठ रोग है.यह बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री
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World Leprosy Day 2021 जानें  क्या है लेप्रोसी , देखें क्या है इसका इलाज़ और लक्षण

आज वर्ल्ड लेप्रोसी डे है जो की इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए मनाया जाता है, इस बीमारी का असर मुख्य रूप से इंसान के हाथ-पैर, स्किन, आंख और नाक की लाइनिंग पर पड़ता है. इसे ‘हान्सेंस डिसीज’ भी कहा जाता है.लेप्रोसी एक प्रकार का कुष्ठ रोग है.यह बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के कारण होती है.आइए आपको इस बीमारी के लक्षण, प्रभाव और इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

World Leprosy Day 2021 जानें  क्या है लेप्रोसी , देखें क्या है इसका इलाज़ और लक्षण

समय पर इलाज़ है जरूरी
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, लेप्रोसी के कारण स्किन अल्सर, नर्व डैमेज और मांसपेशियों में कमजोरी की समस्या हो सकती है. यदि इसका समय रहते इलाज न कराया जाए तो विकलांगता समेत कई घातक परिणाम हो सकते हैं. लेप्रोसी के रोगियों के प्रति गलत अवधारणा के चलते समाज में आज भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है. .

लक्षण- इस रोग से संक्रमित व्यक्ति के जख्म आसानी से नहीं ठीक होते हैं. इस तरह के लक्षणों को देखने के बाद डॉक्टर ‘बायोप्सी’ कर सकते हैं, जिसमें आपकी स्किन का एक छोटा सा टुकड़ा टेस्टिंग के लिए लेबोरेटरी भेजा जाता है. इसके अलावा लेप्रोमाइन टेस्ट के जरिए भी इस गंभीर रोग का पता लगाया जा सकता है.कमजोर मांसपेशियां, त्वचा पर दानेदार उभार, उंगलियों के पोरों का सुन्न होना और त्वचा पर घाव लेप्रोसी के प्रमुख लक्षण हैं.

कैसे फैलता है ये रोग- ऐसा माना जाता है कि यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के स्राव के संपर्क में आने से फैल सकती है. रोगी के खांसने या छींकने से इसके बैक्टीरिया हवा में फैलकर स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं. यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक नहीं है, लेकिन लंबे समय तक रोगी के लगातार संपर्क में रहने से लेप्रोसी की बीमारी हो सकती है.हेल्थलाइन के मुताबिक, लेप्रोसी की बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नाम के बैक्टीरिया के कारण होती है.

लेप्रोसी के खतरे- लेप्रोसी के कारण मरीज को डिसफिगरमेंट की समस्या हो सकती है. इसमें उसके हाथ-पैर की उंगलियां टेढ़ी-मेढ़ी हो सकती है. पलकों या भौंहों जैसी जगहों से बाल उड़ सकते हैं. मांसपेशियां में कमजोरी आ सकती है. हाथ-पैरों की नसें डैमेज हो सकती हैं. हाथ-पैर काम करना बंद कर सकते हैं. नाक से खून या आंखों में सूजन की समस्या बढ़ सकती है. इसके अलावा ब्लाइंडनेस, एरेक्टाइल डिसफंक्शन, इनफर्टिलिटी और किडनी फेलियर का खतरा भी बढ़ सकता है.

लेप्रोसी का इलाज– लेप्रोसी के मरीज के लगातार और लंबे समय तक संपर्क में न आकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. हालांकि WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) साल 1955 में सभी प्रकार की लेप्रोसी के इलाज के लिए मल्टीड्रग थेरेपी विकसित कर चुकी है. पूरे विश्व में इसके मुफ्त इलाज की सुविधा है.

इसके अलावा, कई एंटीबायोटिक्स से इसके बैक्टीरिया को मारकर लेप्रोसी का इलाज किया जाता है. इनमें डैपसोन, रिफैम्पिन, क्लोफेजाइमिन, मिनोसाइक्लिन और एफ्लोक्सिन जैसी दवाएं शामिल हैं. डॉक्टर एक समय में आपको एक प्रकार की ही एंटीबायोटिक लेने की सलाह देंगे. डॉक्टर आपको एस्पाइरिन और थैलीडोमाइन जैसी एंटी-इंफ्लेमेटरी मेडिकेशन की सलाह भी दे सकते हैं.