कविता- ऐसे थे वीर बलिदानी….

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी
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कविता- ऐसे थे वीर बलिदानी….

उत्तराखंड के लोकप्रिय वेब पोर्टल न्यूज टुडे नेटवर्क की ओर से स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आॅनलाइन कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इसमें बाल, युवा और वरिष्ठ सभी वर्गों के लोग प्रतिभाग कर सकते हैं। प्रतियोगिता में मेरे प्यारे वतन विषय पर देशभक्ति से ओत.प्रोत स्वरचित कविता लिखकर 20 अगस्त तक भेजनी है। इसके तहत हल्द्वानी के वरिष्ठ कवि विनायक जीवन जोशी की शानदार कविता पढ़िए-

कविता- ऐसे थे वीर बलिदानी….

ऐसे थे वीर बलिदानी,
साथ मिले थे गुरू और ज्ञानी,
आजादी का अलख जगाकर,
लोगो में ला दी फिर नयी जवानी।

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जब हम परतंत्र हुए थे,
लोगों के हृदय दुखी हुए थे,
मन में थी आजादी की बातें,
इसीलिए बलिदान दिये थे,
गोली खाते थे, वंदेमातरम कहते थे,
अंग्रेजों के आगे नहीं झुके थे।
ऐसे बलिदानी, ऐसे बलिदानी…..।

कविता- ऐसे थे वीर बलिदानी….

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