वाराणसी: चारों पीठों के शंकराचार्यों समेत देश भर के 300 साधु धर्मसंसद में रहेंगे मौजूद

न्यूज टुडे नेटवर्क। वाराणसी में होने वाली धर्म संसद में चारों पीठों के शंकराचार्यों के साथ साथ देश भर से करीब तीन सौ साधु मौजूद रहेंगे। आनन्द वन महोत्सव के दौरान इस धर्मसंसद का आयोजन काशी में किया जा रहा है। धर्म संसद में पारित प्रस्ताव राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित सभी राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री
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वाराणसी: चारों पीठों के शंकराचार्यों समेत देश भर के 300 साधु धर्मसंसद में रहेंगे मौजूद

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। वाराणसी में होने वाली धर्म संसद में चारों पीठों के शंकराचार्यों के साथ साथ देश भर से करीब तीन सौ साधु मौजूद रहेंगे। आनन्‍द वन महोत्‍सव के दौरान इस धर्मसंसद का आयोजन काशी में किया जा रहा है। धर्म संसद में पारित प्रस्ताव राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित सभी राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को प्रेषित किए जाएंगे।

यह निर्णय आनंदवन विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की बैठक में सोमवार को किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी की अध्यक्षता में हुई ट्रस्ट की बैठक में आनंदवन महोत्सव की रूपरेखा तय की गई। तीन दिवसीय महोत्सव नवंबर के दूसरे सप्ताह में तीन चरणों में होगा। प्रथम चरण में पहले दिन शिवयाग का अनुष्ठान होगा। 25 हवन कुंडों में सवा सौ ब्राह्मणों द्वारा आहुतियां अर्पित की जाएंगी। दूसरे दिन दूसरे धर्म संसद बैठेगी। तीसरा चरण संस्कृति को समर्पित होगा। बैठक में तय किया गया कि धर्म संसद में चारों पीठों के शंकराचार्यों को आमंत्रित करने के लिए काशी के पांच-पांच विद्वानों का दल चारों पीठों के लिए प्रस्थान करेगा।

डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि धर्म संसद में सभी अखाड़ों से महामंडलेश्वरों को आमंत्रित किया जाएगा। श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा, श्री पंचायती अटल अखाड़ा, तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा, पंचायती आनंद अखाड़ा, पंचदशनाम जूना अखाड़ा, पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, पंच अग्नि अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण और पंचायती निर्मल अखाड़ा के प्रधानों से संपर्क करने के लिए 11 सदस्यीय समिति गठित करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है। इस समिति के काशी के विभिन्न विधाओं के सनातनी विद्वानों को शामिल किया जाएगा। विद्वानों की सहमति प्राप्त होते ही समिति के सदस्यों के नाम की घोषणा कर दी जाएगी।