वन्य जीवों के लिए बनेगा कॉरिडोर

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) वन्यजीवों (Wildlife) के लिए “ट्रांस बाउंड्री कॉरिडोर” (Trans Boundary Corridor) बनाने जा रहा है। यह कॉरिडोर खासकर हाथी, बाघ और गैंडा आदि के लिए नेपाल (Nepal) के साथ मिलकर बनाया जाएगा। नेपाल को भारत (India) से जोड़ने वाली छेदिया करनाली कॉरिडोर, खाता कॉरिडोर और कामदी कॉरिडोर के इलाके में नेपाल की
 | 
वन्य जीवों के लिए बनेगा कॉरिडोर

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) वन्यजीवों (Wildlife) के लिए “ट्रांस बाउंड्री कॉरिडोर” (Trans Boundary Corridor) बनाने जा रहा है। यह कॉरिडोर खासकर हाथी, बाघ और गैंडा आदि के लिए नेपाल (Nepal) के साथ मिलकर बनाया जाएगा। नेपाल को भारत (India) से जोड़ने वाली छेदिया करनाली कॉरिडोर, खाता कॉरिडोर और कामदी कॉरिडोर के इलाके में नेपाल की तरफ से लोग रहने लगे हैं। इसलिए यहां से जानवरों (Animals) का आना जाना बन्‍द हो गया हैं। प्रदेश सरकार (State Government) कॉरिडोर के जरिए वन्यजीवों को सुरक्षित रास्ता दिलवाने की पहल कर रही है।

यह भी पढ़ें-देहरादून-ऐसे करें अपना खुद का कारोबार, सरकार दे रही 10 लाख तक का लोन
वन्य जीवों के लिए बनेगा कॉरिडोर

प्रवासी वन्यजीवों के संरक्षण (Protection) को लेकर पिछले दिनों गुजरात (Gujarat) में हुए सम्मेलन (Conference) ‘कॉप-13’ में प्रदेश ने भारत और नेपाल के बीच जानवरों की आवाजाही के संरक्षण का मुद्दा उठाया था। इसमें ट्रांस बाउंड्री प्रोटेक्शन (Protection) की नीति बनाने के साथ दोनों देशों के साथ समन्वय तंत्र (Coordination system) स्थापित करने की बात कही गई।

ट्रांस बाउंड्री संगठन (Trans Boundary Organization) के तहत दोनों देश वन्यजीव अपराध, अवैध व्यापार को खत्‍म करने के लिए आपस में सूचनाएं साझा करें, साथ ही इसको रोकने के लिए मिलकर प्रयास करें। ट्रांस बाउंड्री कॉरिडोर का प्रबंधन, वन्यजीवों की आवाजाही का प्रबंधन व जल व्यवस्था/ नदी के प्रबंधन के लिए दोनों देश मिलकर नीतियां (Policies) बनाएंगे।

नेपाल के जंगल उत्तर प्रदेश के जंगलों से मिले हुए हैं और नेपाल की तरफ से पांच कॉरिडोर हैं। इनमें लालझड़ी और बसंता कॉरिडोर ही ऐसे हैं जिनसे  जीवों की आवाजाही होती है। उत्तर प्रदेश के पांच कॉरिडोर गाड़ा, पीलीभीत-लग्‍गा बग्गा-शुक्लाफाटा, दुधवा-किशनपुर, दुधवा कतर्नियाघाट व सुहागीबरवा-बाल्मीकि शामिल है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव सुनील पाण्‍डेय ने कहा कि हम वन्यजीवों को किसी भी सीमा में बांधकर नहीं रख सकते इसलिए जिन देशों का प्रदेशों की सीमा जंगल से मिलती हैं उन देशों को मिलकर इसके बारे में सोचना चाहिए।