कथावाचिका बहन पूनम शास्त्री ने क्यों दे दी दी जान, बिलख रहे दीपक नादान

न्यूज टुडे नेटवर्क। मशहूर कथावाचिका एवं लोकगायिका पूनम शास्त्री की मौत की मनहूस खबर से उनके लाखों लाख चाहने वालों के दिल बैठ गए हैं। बहुत कम उम्र से कथावाचन करने वालीं पूनम शास्त्री बदायूं में अपने घर के अंदर मृत पाई गईं। आत्महत्या और हत्या की शंका-आशंका के बीच पुलिस ने उनके पिता को हिरासत में लिया था मगर जांच में मामला सुसाइड का पाया गया है। मोबाइल पर ज्यादा बात करने को लेकर पिता ने होनहार बिटिया को थोड़ा डांट दिया था। इसी बात से नाराज होकर पूनम शास्त्री ने फांसी लगा ली। पूनम की उम्र अभी महज 17 बरस थी और ब्रज क्षेत्र से लेकर कई राज्यों में श्रीमद्भागवत कथा करने जाती थीं। छोटे भाई दीपक नादान के साथ पूनम शास्त्री की जोड़ी को कथाओं के साथ सोशल मीडिया पर लाखों लोग सुनते थे। पूनम की मौत ने हर कोई दुखी नजर आ रहा है।

पूनम शास्त्री बदायूं में थाना कादरचौक क्षेत्र के ककोड़ा गांव की रहने वाली है। वही ककोड़ा, जहां हर साल गंगा तट पर लगने वाला मेला पूरे देश में मशहूर है। कुछ ही दिन बाद पूनम को कानपुर में कथा वाचन करने जाना था मगर उससे पहले ही अनहोनी हो गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि पूनम का बचपन बहुत अभावों में बीता था। दादा मिहीलाल की तरह ही पूनम के पिता मेहरबान भी कथाएं सुनाते थे मगर पत्नी की मौत से परिवार बड़े संकट में आ गया था। पूनम और उससे छोटा दीपक तब बहुत छोटे थे। रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ तो मेहरबान दोनों मासूमों को लेकर दिल्ली चले गए थे और वहां काफी समय रिक्शा चलाकर दोनों बच्चों को पाला था। फिर पिता की मौत के बाद उन्हें बापस बदायूं आना पड़ गया और कथावाचन में रम गए थे। बेटी पूनम और बेटा दीपक को भी कथा से जोड़ लिया। धीमे-धीमे दोनों बच्चे भागवत कथा सुनाने में अभ्यस्त हो गए। कथा वाचन करते-करते 17 बेटी पूनम शास्त्री नाम से मशहूर हो गईं, तो बेटा दीपक नादान नाम से ख्याति कमा रहा है। कथावाचिका पूनम और उनका छोटा भाई दीपक नादान श्रीमद्भागवत कथाएं एवं तमाम धार्मिक कार्यक्रम साथ-साथ करते थे। ढोलक और तबला उनके पिता मेहरबान बजाते थे। पूनम और दीपक नादान भी सभी वाद्ययंत्र बजाना सीख गए।

लोग बताते हैं कि पूनम शास्त्री अपनी सुराली आवाज में ब्रजशैली के लोकगायन में श्रीमद्भागवत कथा सुनाती थीं तो सुनने वाले अपनी जगह से हिल नहीं पाते थे। छोटे भाई दीपक नादान की तरह ही पूनम शास्त्री के वीडियो सोशल मीडिया पर खासे लोकप्रिय रहे रहे थे। कथावाचिका पूनम शास्त्री लाखों लोगों के दिलों में जगह बना चुकी थी। एक महीने में उन्होंने पांच स्थानों पर श्रीमद्भागवत कथा का वाचन किया था। बताया गया है कि 17 बरस की पूनम शास्त्री कुछ दिन से बदायूं में ककोड़ा स्थित घर पर थीं। वह किसी से फोन पर बात कर रही थी, तो पिता ने उनको थोड़ा डांट दिया था। इसी बात को लेकर उन्होंने एक दिन पहले घर में फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली। 13 साल के बेटे दीपक नादान भी उस वक्त घर में ही था। सूचना पर पहुंची पुलिस के सामने हत्या और आत्महत्या के सवाल खड़े हुए तो पिता को पूछताछ के लिए थाने ले जाया गया। बाद में जब पोस्टमार्टम में मामला सुसाइड का निकला, तो पिता को घर भेज दिया। गमगीन माहौल में पूनम का अंतिम संस्कार किया गया, तो देखने वालों की आंखें नम हो गईं। पूनम की मौत से उनके श्रोता परेशान हैं और सोशल मीडिया पर शोक संवेदना व्यक्त कर रहे हैं।
यहां बता दें कि ब्रज क्षेत्र के जिले मथुरा, आगरा, एटा, हाथरस, अलीगढ़, मैनपुरी, फिरोजबाद, कासगंज और बदायूं के अंदर गांव-गांव ब्रज शैली में लोकगायन व श्रीमद्भागवत कथाओं के आयोजन होते हैं। पूरे ब्रजक्षेत्र में लोग अपने बच्चों को बचपन से ही कथा वाचन से जोड़ देते हैं, जो बड़े होकर इस क्षेत्र में बड़ी ख्याति हासिल करते हैं। बदायूं की पूनम शास्त्री भी बचपन से कथावाचन का अभ्यास करते-करते महज 17 साल की उम्र में प्रसिद्धि पा रही थीं। 13 साल का छोटा भाई दीपक नादान भी दादा, पिता और बड़ी बहन की तरह इस राह पर आगे बढ़ रहा है। सब कुछ ठीक चल रहा था मगर न जाने किस मनहूस घड़ी में पूनम शास्त्री जिंदगी से हार गईं और अपने ही हाथों अपनी दुनिया खत्म कर ली।