त्रिवटीनाथ मंदिरः 600 साल पहले चरवाहे को हुए थे शिवदर्शन, तब प्रगट हुए स्वयंभू शिवलिंग
नाथ नगरी बरेली में अलखनाथ, त्रिवटी नाथ, धोपेश्वर नाथ, मढ़ीनाथ, वनखंडी नाथ, तपेश्वर नाथ, पशुपति नाथ मंदिर अति प्राचीन मंदिर

महाशिवरात्रि पर नाथ नगरी बरेली की परिक्रमा करने से मिलता है मोक्ष
नाथ नगरी बरेलीः हर दिशा दिशा में भगवान भोलेनाथ के स्वयंभू शिवलिंग
600 वर्ष पुराने ऐतिहासिक त्रिवटीनाथ मंदिर में दर्शन करने को उमड़े श्रद्धालु
श्रृद्धालु बताते हैं कि लगभग 600 वर्ष पहले पर यहां चारों ओर भयानक पशु पक्षियों से भरा हुआ अति घोर जंगल हुआ करता था। यहां पर साधारण मानव का आना बहुत मुश्किल था। यदा कदा यहां पर चरवाहे दिन के समय में अपने पशु चराने आया करते थे। एक दिन कोई चरवाहा अपने पशु चराने के लिए यहां आया और काफी थक जाने के बाद वट वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगा। उसे निद्रा आ गई। तभी उसको एक दिव्य स्वप्न हुआ, जिसमें महादेव ने स्वयं उसको दर्शन दिए तथा कहा कि इसी वट वक्ष के नीचे विराजमान हूँ। हतप्रभ चरवाहे की नींद खुली तो उसने वहीं वट वृक्ष के नीचे विशाल शिवलिंग को पाया। शिवलिंग को देखकर उसको बहुत हर्ष हुआ। उसने देवों के देव महादेव का ध्यान कर अपनी आस्था व्यक्त की और दिव्य शिवलिंग के बारे में शहरवासियों को बताया। उसके बाद से यहां भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा। कहा जाता है कि जिसने भी सच्चे मन से यहां पर आकर अपनी मनोकामना मांगी, वह अवश्य पूर्ण हुई। त्रिवटीनाथ मंदिर में तीन वट वृक्ष के मध्य में भगवान शंकर लिंग रूप में विराजमान हैं। बाबा का यह पावन तथा सभी के दुख को हरने वाला स्वरुप बाबा त्रिवटीनाथ महादेव के नाम से सभी शिव भक्तों के ह्रदय में विराजित है। तब से लेकर अब तक असंख्य बार मन्दिर के शिवालय का निर्माण समय-समय के साथ होता रहा है। मंदिर में शिवालय, रामालय, नवग्रह मंदिर, बृहस्पतिदेव स्थान, नंदी वन, मनौती स्थल, भव्य यज्ञ शाला आदि का निर्माण कराया गया है, जहां पूजा-आराधना को श्रृद्धालुओं के आने का क्रम हमेशा जारी रहता है। महाशिवरात्रि और पवित्र श्रावण मास में त्रिवटीनाथ मंदिर में लाखों श्रृद्धालु पहुंचते हैं और भगवान भोले का जलाभिषेक करते हैं। आज महाशिवरात्रि को बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंच रहे हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।
