धर्म-अध्यात्मः  जैसे कर्म करोगे, आगे वैसा ही मिलेगा रिर्टन

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न्यूज टुडे नेटवर्क। सच्चे और अच्छे इंसान किसी भी धर्म के हो उनकी ऊर्जा उनमें दैवीय गुण दूर से ही नजर आते है। आजकल धर्माचार्य खूब चर्चा में है। उनके चमत्कारों को लेकर सवाल खड़े हो रहे है। देश भर में अलग तरह की चर्चा हो रही है। मेरा मानना है धर्म गुरु संत महात्मा समाज के पथ प्रदर्शक होते है। आध्यात्मिक सीख को जीवन में उतारने के लिए हैं ।

धर्म श्रद्धा और आस्था से जुड़ा होता है यहां तर्क के तराजू को बीच में लाने की जरूरत नही है। खैर इसी चर्चा से इतर एक संत रसरंग दास महाराज से मुलाकात मुझे याद आ रही है। दो साल पहले लखनऊ में एक मित्र के यहां संत श्री रसरंग दास जी से मुलाकात हुई थी। सफेद चादर में लिपटे रसरंग दास जी के चेहरे पर गजब का तेज था। जहा आजकल चमत्कार का बोलबाला है वही रसरंग दास तो इस दुनिया दारी से अलग अपनी अलग ही दुनिया बसाए बैठे है। जग कल्याण को लक्ष्य बनाकर रसरंग दास ने एक संकल्प लिया है जितना हो सके जैसे हो सके लोगो को सत्य की राह पर लाया जाय। लोगो से बात करके उन्हे समझा कर लड़ाई झगडे से हटकर हिस्सा मुक्त समाज की स्थापना की जाय। जरूरत मंद की मदद की जाय ।
परोपकार परसेवा ही बाबा का ध्येय, इसी लक्ष्य से आगे बढ़ रहे बाबा ।
बाते शुरू हुई तो मालूम हुआ कि रसरंग दास का भौतिक दुनिया से सिर्फ मतलब भर का नाता है आने जाने के लिए एक साधन, बदन पर लपेटने के लिए सफेद कपड़ा, सोने के लिए एक टाट की चादर और दो जून के लिए गिनकर दो रोटी । बस परमात्मा की कृपा से इतना मिल जाता है ।बाकी सब मोह माया है। अर्थ से कोई मोह नहीं लेकिन जो इधर उधर से कही मिला उसे जरूरतमंद को थमा देते है।मथुरा वृंदावन अयोध्या में बने भव्य आश्रमो से इतर रसरंग दास तो बस लोगो को घर दिलाने की मुहिम पर है। दरअसल गांव देहात में अपनो की बीमारी से लोगो का घर बार दुकान जमीन बिक जाता है। रसरंग दास जी ने अपने आश्रम के आसपास ऐसे कई लोगो को देखा जो अस्पतालो के महंगे इलाज के चलते अपना बहुत कुछ गंवा बैठे। बस रसरंग दास ने उसी दिन संकल्प लिया कि कम से कम इलाज के लिए लोगो को जमीन न बेचनी पड़े ऐसा सिस्टम वो बनायेगे। इसके लिए रसरंग दास ने आश्रम को मिलने वाले धन को अपने पास न रखकर लोगो को भलाई के लिए देना शुरू कर दिया। गांव में किसी के परिवार में कोई बीमार हुआ तो उसके इलाज में आने वाले खर्चे का बंदोबस्त रसरंग दास ही कराते है। अपने साधकों से से भी यही कहते है दूसरो के चेहरे पर मुस्कराहट लाना बड़ी बात होती है। जो परेशान है उनकी सदैव मदद करो। इंसान के काम इंसान ही आता है। आप मदद करो और भूल जाओ लेकिन ईश्वर हर कर्म को देख रहा है और कर्म के हिसाब से आपको फल भी देगा ।
आप अपने को जैसा बनाओगे आपके खाते में जैसी एंट्री होगी आपके खाते पर वैसे ही रिटर्न आपको मिलेंगे। जो अच्छाई जमा की तो अच्छाई ब्याज लगकर वापस आयेगी और बुराई जमा कराई तो ब्याज लगने से वो बढ़ेगी और आपके पास वापस वही आयेगी। दूसरो की मदद करोगे तो इसी फार्मूले से तुम्हारे हाथ कभी खाली नही रहेंगे दिक्कत परेशानी में ईश्वर तुम्हारी व्यवस्था कराएगा। परमात्मा के फैसले का तो जवाब ही नही है।़
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