पीलीभीत: मरहूम हाजी रियाज तो हैं नहीं, फिर भी सियासी बिसात वही, आस्था- नसरीन या विमला, देखें ये खास खबर  

जानिए, सपा- भाजपा की जीत रोकने को निर्दलीय बना रहे क्या ठोस रणनीति, त्रिकोणीय संघर्ष में किसकी होगी चेयरमैनी

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न्यूज टुडे नेटवर्क। नगर निकाय चुनाव का सियासी पारा इस वक्त चढ़ा हुआ है और प्रत्याशी पूरे दम खम के साथ मैदान में हैं। जहां एक ओर भगवा कैम्प निकाय चुनाव के नतीजों को 2024 के सेमीफाइनल के तौर पर देख रहा है। वहीं दूसरे दल भी अपना अपना वर्चस्व जनता के बीच कायम करने के लिए मैदान में डटे हुए हैं। फिलहाल हम बात कर रहे हैं पीलीभीत की। पीलीभीत की राजनीति में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. हाजी रियाज अहमद एक बड़ा नाम थे। विधानसभा सीट पर अपनी राजनीति का लोहा मनवाने वाले पूर्व मंत्री स्व. हाजी रियाज कई सालों तक यहां से एमएलए का चुनाव जीतते रहे। पीलीभीत का चेयरमैन कौन होगा ये भी सालों से हाजी रियाज अहमद की राजनीति ही तय करती चली आयी है। हालांकि हाजी रियाज अब दुनियां से रूखसत हो हैं, लेकिन इस चुनाव में भी समीकरण कुछ ऐसे बने हैं जिनमें हाजी रियाज की रणनीति की झलक दिखायी दे रही है। मुस्लिम समुदाय से एक अकेला उम्मीदवार मैदान में है। ऐसे में वोटों का ध्रुवीकरण होना तय माना जा रहा है।

पीलीभीत नगर पालिका परिषद सीट पर चेयरमैनी का चुनाव अब दिन ब दिन दिलचस्प होता जा रहा है। यहां पिछले 15 सालों से चेयरमैन की कुर्सी पर काबिज प्रभात जायसवाल ने इस बार पत्नी विमला जायसवाल को निर्दलीय मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने डा आस्था अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा भाजपा से बागी हुए पंडित अवनीश कौशिक की पत्नी प्रियंका कौशिक चुनाव मैदान में हैं। उधर समाजवादी पार्टी से टिकट ना मिलने से नाराज पूर्व चेयरमैन राजीव अग्रवाल टीटी ने अपनी बहू आकांक्षा अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतार दिया है। इसके अलावा पिछले काफी समय से शहर में समाजसेवी के तौर पर सक्रिय हर्षित अग्निहोत्री अपनी मां मीरा अग्निहोत्री को चुनाव लड़ा रहे हैं। बसपा से शिवचरन की पत्नी मैदान में हैं।

वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने सपा नेता नफीस अहमद अंसारी की पत्नी नसरीन अंसारी को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। नफीस अंसारी मुस्लिम और सपा के परंपरागत वोट बैंक के सहारे पत्नी को चेयरमैन बनाने का ख्वाब देख रहे हैं। तो भाजपा प्रत्याशी आस्था अग्रवाल पार्टी के परंपरागत सवर्ण वोट बैंक पर नजर गढ़ाकर चेयरमैनी की कुर्सी पर बैठना चाहती हैं। दूसरे प्रत्याशी भी अपने अपने आंकड़ों को दिखाकर जीत का दावा कर रहे हें।

अगर ये हुआ तो भाजपा की जीत मुश्किल

भाजपा उम्मीदवार आस्था अग्रवाल का वोट बैंक ताजा हालातों में फिलहाल छिटकता दिखायी दे रहा है। चूंकि भाजपा से टिकट के दावेदार रहे बागी नेता अवनीश कौशिक लगातार भाजपा प्रत्याशी पर बाहरी होने का आरोप लगाकर पत्नी प्रियंका के लिए वोट मांग रहे हैं। बालाजी दरबार का महंत होने के कारण् अवनीश के साथ एक बड़ा तबका जुड़ा हुआ है। ऐसे में भाजपा को अवनीश कौशिक से बड़ा नुकसान होने की पूरी- पूरी संभावना जतायी जा रही है। उधर पूर्व चेयरमैन राजीव अग्रवाल टीटी की पुत्रवधू निर्दलीय प्रत्याशी आकांक्षा अग्रवाल भी सीधे- सीधे भाजपा उम्मीदवार को नुकसान पहुंचा रही हैं। पूर्व चेयरमैन राजीव टीटी शहर के तमाम इलाकों में लोकप्रिय हैं। अपने समाज के साथ साथ हिन्दू और मुस्लिम वोटरों में भी टीटी का खासा वर्चस्व है, टीटी अग्रवाल सभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। ऐसे में ससुर की राजनैतिक साख पर आकांक्षा अग्रवाल को ठीक-ठाक वोट मिलने की संभावना है। टीटी की पुत्रवधू को मिलने वाले वोटों में से भी बड़ी संख्या के वोटर भाजपा के ही होंगे। इसके अलावा हर्षित अग्निहोत्री की मां निर्दलीय मीरा अग्नहोत्री भी चुनाव मैदान में दम दिखा रही हैं। इससे यह इनकार नहीं किया जा सकता है कि मीरा अग्निहोत्री भी कम वोटों में ही सिमट जाएंगी।

अगर ये हुआ तो सपा को नहीं मिलेगी चेयरमैनी

समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं नफीस अहमद अंसारी की पत्नी नसरीन अंसारी मुस्लिम व सपा के पुराने वोट बैंक के आधार पर दावेदारी ठोंक रही हैं। ऐसे में नसरीन अंसारी खुद को चेयरमैन बनना तय मान चुकी हैं। लेकिन 15 सालों से चेयरमैनी की सीट पर कब्जा जमाए प्रभात जायसवाल किसी कीमत पर चेयरमैनी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। प्रभात जायसवाल हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों में खासे लोकप्रिय नेता हैँ। अगर मुस्लिम समुदाय का झुकाव इस बार भी विमला प्रभात जायसवाल की ओर होता है तो नसरीन अंसारी का चेयरमैनी का सपना टूट सकता है। अब हालांकि हालात बदले हैँ, लेकिन वोटर अभी खामोश है, वोटों का बंटवारा कैसा होगा। किस उम्मीदवार को जनता सिर आंखों पर बिठाएगी यह भविष्य की गर्त में छिपा है।

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