'एक कदम सुपोषण की ओर अभियान' का आगाज
6 जुलाई तक आशा कार्यकर्ता प्रत्येक गर्भवती- धात्री महिला और सैम बच्चों तक पहुंचाएगी जरूरी पोषण
न्यूज टुडे नेटवर्क। गर्भावस्था व प्रसवोपरान्त अवस्था में महिलाओं एवं 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बेहतर पोषण की आवश्यकता होती है इस हेतु मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अर्न्तगत भोजन सम्बन्धी सलाह के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व दी जाती है, जिससे महिलाओं एवं बच्चों का स्वास्थ्य उत्तम रहे एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से होने वाली बीमारियों से दोनों को बचाया जा सके। इस वर्ष गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के साथ सैम से ग्रसित बच्चों को भी जोड़ने का निर्णय लिया गया है। यह अभियान एक कदम सुपोषण की ओर सम्पूर्ण प्रदेश में 7 जून से 6 जुलाई 2023 तक चलाया जाएगा।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ. भानु प्रकाश सिंह ने बताया कि इस अभियान के दौरान प्रत्येक गर्भवती व धात्री महिला तक फोलिक एसिड, आयरन फॉलिक एसिड, कैल्शियम एवं एल्बेन्डाजॉल की उपलब्धता व सेवन एवं प्रत्येक सैम से ग्रसित बच्चों तक अमोक्सीसीलीन, फॉलिक एसिड आईएफए सीरप एल्बेन्डाजॉल विटामिन-ए एवं मल्टीविटामिन की उपलब्धता व सेवन शतप्रतिशत सुनिश्चित किया जाएगा।
जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता गुलिस्तां ने बताया कि एनएफएचएस (2020-21) में एनएफएचएस०- IV (2015-16) के सापेक्ष महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधित संकेतकों में कुछ सुधार देखने को मिला है। एनएफएचएस-V के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में मात्र 22. 3 प्रतिशत एवं 9.7 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने ही क्रमशः 100 दिनों एवं 180 दिनों तक आयरन की गोलियों का सेवन किया है और संभवत: इसी कारण से 45.9 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में एनीमिया पाया गया है वहीं 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दुबलापन के आंकड़ों में भी संतोषजनक सुधार देखने को नहीं मिला है। एनएफएचएस-V के आंकडों के अनुसार प्रदेश में 5 वर्ष से कम उम्र के 17.3 प्रतिशत बच्चे दुबलापन के शिकार हैं तथा 7.3 प्रतिशत बच्चे सैम से ग्रसित हैं। अर्थात जिनका वजन लम्बाई / ऊँचाई के अनुपात में बहुत कम है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सैम एक गंभीर चिकित्सीय समस्या है जिससे ग्रसित बच्चों में मृत्यु की सम्भावना 09 गुना अधिक होती है।
इस अभियान में अभी भी गर्भवती व धात्री महिलाओं एवं सैम से ग्रसित बच्चों को निर्धारित मात्रा में दवाइयां देने के साथ साथ इन गोलियों के सेवन के तरीके एवं पोषण परामर्श संबंधी सेवाओं में सुधार लाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मातृ एवं बाल स्वास्थ्य व पोषण संबंधित सेवाएं समस्त स्वास्थ्य इकाइयों में प्रदान की जाएंगी।