जुलाई में भाजपा संगठन में बड़े फेरबदल के आसार, निकाय चुनाव की परफार्मेंस की बनेगी जिम्मेदारी का पैमाना
भाजपा प्रदेश मुख्यालय ने मांगी अध्यक्षों की रिपोर्ट
न्यूज टुडे नेटवर्क। भाजपा महाजनसंपर्क अभियान खत्म होने के बाद जुलाई में 40 से ज्यादा जिला-महानगर अध्यक्षों को बदलने की तैयारी कर रही है। भाजपा ने शिकायतों और निकाय चुनाव में परफार्मेंस के आधार पर इन्हें बदलने की तैयारी की है। प्रदेश कार्यालय ने इनकी रिपोर्ट मंगवा ली है। इस सूची को केंद्रीय नेतृत्व से सलाह लेने के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा।
निकाय चुनाव की परफॉर्मेंस भी बनेगी पैमाना
कई जिलों में निकाय चुनाव में खराब परफार्मेंस देने वाले जिलाध्यक्षों को भी हटाया जा सकता है। पश्चिम में कई जिलों में तो नगर निगम में तो अच्छे नतीजे आए पर नगर पालिका और नगर पंचायतों में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी। वहीं पूर्व और अवध क्षेत्र में कुछ जिलों में ‘बागियों’ को समझा न पाने वाले जिला और महानगर अध्यक्षों की रिपोर्ट भी खराब आयी है। कुछ जिलों में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी तो नहीं जीते, लेकिन बागियों की जीत हो गई। कुछ जिलों में बागियों को पर्दे के पीछे से बीजेपी के अध्यक्षों का भी समर्थन हासिल था। अब संगठन ने जिलों से इन सबकी सूची मंगवा ली है।
एमएलसी बन चुके अध्यक्ष भी हटेंगे
भाजपा के पूरे प्रदेश में सांगठनिक तौर पर 98 जिले हैं। प्रदेश संगठन ने जो सूची तैयार की है, उसमें 40 से ज्यादा जिलाध्यक्ष ऐसे हैं, जिन्हें बदला जा सकता है। इनमें से कई जिलाध्यक्षों को एमएलसी बनाया जा चुका है, वह भी हटाए जाएंगे। कानपुर देहात के जिलाध्यक्ष अविनाश चौहान, महोबा के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह सेंगर शामिल को भी एमएलसी बनाया जा चुका है। वाराणसी के जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा दो कार्यकाल भी पूरा कर चुके हैं और इन्हें एमएलसी भी बनाया जा चुका है। इनके अलावा भी दो या उससे ज्यादा कार्यकाल पूरा कर चुके अध्यक्ष भी हटाए जा सकते हैं। अकेले अवध क्षेत्र में लखनऊ के महानगर अध्यक्ष मुकेश शर्मा, बहराइच के श्यामकरन टेकरीवाल, हरदोई के सौरभ मिश्र, कन्नौज के नरेंद्र राजपूत, झांसी के जिलाध्यक्ष जमुना कुशवाहा, हमीरपुर के बृज किशोर गुप्ता, अमेठी के जिलाध्यक्ष दुर्गेश, सुलतानपुर के जिलाध्यक्ष आरए वर्मा के साथ पश्चिम यूपी के भी कई जिला और महानगर अध्यक्ष दो कार्यकाल पूरे कर चुके हैं। कुछ जिलाध्यक्ष तो आठ या दस साल से जिलाध्यक्ष या महानगर अध्यक्ष पद पर ही कायम हैं।