केदारनाथ त्रासदी: 10 साल बाद भी अपनों का इंतजार देख रहीं आंखें, बरेली के तीन परिवारों की छिनीं थीं खुशियां  

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न्यूज टुडे नेटवर्क। उत्तराखंड के केदारनाथ में 16 जून 2013 को आयी आपदा को आज दस साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अपनों को खोने का गम आज भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। 10 साल पहले उत्तराखंड के केदारनाथ में आई आपदा ने बरेली के तीन परिवारों की भी खुशियां छीन ली थीं। भगवान शिव के दर्शन करने गए इन परिवारों के 11 लोग आज भी लापता हैं। आस की डोर से बंधे परिजनों को आज भी यकीन है कि उनके अपने वापस आएंगे। कई परिवारों ने तो आज तक परिजनों का श्राद्ध भी नहीं किया है। सिर्फ इंतजार उस दिन का है  जब उनके अपनों के साथ खुशियां लौट आएंगी। भीषण आपदा में बरेली के तीन परिवारों के 11 लोग आज भी लापता हैं। बरेली कलेक्ट्रेट में बतौर सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. अजय शुक्ला, उनके माता-पिता, सास, पत्नी और बेटा-बेटी इस आपदा का शिकार हो गए थे। पीलीभीत के पूरनपुर में रहने वाले अजय शुक्ला के भाई ब्रजेश शुक्ला ने मुआवजे के रूप में मिली राशि से नवदिया लक्षण गांव में प्राथमिक स्कूल और इंटर कालेज खोला है। जिला अस्पताल से रिटायर हेल्थ इंस्पेक्टर योगेन्द्र कंचन भी इस आपदा में लापता हो गए थे। परिजनों का विश्वास है कि आज भी वे योगेन्द्र जिन्दा हैँ। बीते दस सालों में कई बार योगेन्द्र कंचन का परिवार यूपी से उत्तराखंड तक उनका पता बताने वाले को लाखों रूपयों का इनाम देने की घोषणा करके लापता के पर्चे लगा चुका है। बरेली के ही इंद्रानगर के रहने वाले रोडवेज से रिटायर श्याम स्वरूप सक्सेना के बेटे मनीष, बहू निधि और छह साल का नाती अमन केदारनाथ से दर्शन के बाद वापस नहीं लौटा। टूटे दिल से श्याम स्वरूप बताते हैं कि 19 लोगों के ग्रुप में से केवल उनके साढ़ू राजेश ही जिंदा बचकर वापस आ सके थे।

सात साल बाद भी बेटे का इंतजार

इंद्रानगर में श्याम स्वरूप सक्सेना रोडवेज से रिटायर्ड है। उनके 35 वर्षीय वर्षीय बेटे मनीष, बहू निधि और छह वर्षीय नाती अमन केदारनाथ से दर्शन के बाद लौटे ही नहीं। मनीष बनारस में एक निजी बैंक में सहायक प्रबंधक थे। वह कांपती आवाज से बताते हैं कि सभी 19 परिजनों में सिर्फ उनके साढ़ू राजेश ही लौट सके। उन्होंने परिवार को बताया कि मनीष भी बच गए थे, लेकिन वह आज तक लापता हैं। इसलिए मनीष के माता-पिता को अभी भी बेटे का इंतजार है। सोशल मीडिया पर अपनों को किया याद परिवारों ने अपनों को याद करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। कई परिवारों की तस्वीरों के साथ उनके रिश्तेदार और दोस्तों ने भावनात्मक पोस्ट शेयर की है। उनकी पुरानी तस्वीरों को साझा करके अपनों को याद किया है।

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