सरकार, समिट और सियासत..आगे-आगे देखो होगा क्या?

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मिशन 2024  को लेकर भाजपा ने जमाईं यूपी पर नजरें

ग्लोबल समिट की कामयाबी से उत्साहित सरकार-संगठन

चुनाव साल में भाजपा ने किया उत्तर प्रदेश में मेगा शो

2017 से पहले और बाद की कहानी पर तेज होगी बहस

न्यूज टुडे नेटवर्क। यूपी का राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक गणित राजधानी दिल्ली पर कितने प्रभाव रखता है, इसके बानगी लखनऊ समिट में साफ-साफ देखी गई है। डबल इंजन की सरकार ने मेराथन प्रयासों के बाद सबसे बड़े राज्य यूपी में ऐसे वक्त निवेश महाकुंभ करके दिखाया गया है, जब अगले बरस लोकसभा चुनाव होने वाला है। देश-दुनिया की विशिष्ट हस्तियों के साथ यूपी सरकार ही नहीं, बल्कि मोदी कैबिनेट के सभी प्रमुख केन्द्रीय मंत्रियों ने सीधा संवाद कर भविष्य के लिए बड़ी बुनियाद रखने का काम किया है। ऐसे में यह बात तय है कि समिट की विशेष कहानियां आगे के चुनावी सीजन में यूपी मंचों पर गूंजती नजर आएंगी और डबल इंजन सरकार की उपलब्धियों में चार चांद लगाएंगी।  

2017 से पहले और 2017 के बाद यूपी को लेकर कभी न खत्म होने वाली राजनैतिक बहस होती देखी जाती है। भगवा बिग्रेड खुले मंचों से यूपी के पिछले कहानी-किस्से सुनाती है और योगी-1 एंड 2 की अपनी तरह से रिपोर्ट सामने रखने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। कहा जाता है कि गुंडे-अपराधी माफिया और रोज होने वाले दंगे फसाद योगी राज से पहले यूपी की दुनिया में खराब छवि बनाते थे। उस वक्त यूपी की खराब छवि की वजह से देश-दुनिया के निवेशक यहां उद्यम लगाने की कम ही हिम्मत कर पाते थे। भाजपा सरकार और संगठन आगे के चुनावी लक्ष्य के लेकर कल आज और कल के यूपी की लंबी पटकथा पर काम कर रहे हैं। योगी सरकार यूपी में माफिया, अपराधियों पर अंकुश, दंगों पर नियंत्रण के नारों के साथ देश-दुनिया के निवेशकों को राज्य में आमंत्रित कर रही है। विपक्ष जरूर कई तरह के सवाल उठा रहा है मगर सरकार का दावा है कि यूपी अब देश के लिए ग्रोथ इंजन की भूमिका में आगे आ रहा है। लखनऊ में तीन दिन ग्लोबल इन्वेस्टर समिट से यूपी के आर्थिक बुलंदी की ओर बढ़ने की शुरूआत हो चुकी है।

ग्लोब इन्वेस्टर समिट में मेहमान बने भारत ही नहीं, अमेरिका, जापान, कनाडा, आस्ट्रेलिया, जापान, जर्मनी, नीदरलेंड यूएई सहित दुनिया के तमाम देशों की बड़ी कंपनियां और निवेशक समूहों ने राज्य में बड़े निवेश की दिशा में अपनी-अपनी तरह से कदम आगे बढ़ाए हैं। योगी सरकार में हाईकमान ने कद्दावर नेता नंदगोपाल गुप्ता नंदी को औद्योगिक विकास एवं निर्यात प्रोत्साहन जैसा अहम मंत्रालय सौंपकर भाजपा आला कमान ने बड़ा रणनीतिक दांव चला था, जिसका शासनदार प्रभाव पार्टी और सरकार को साफ दिखाई दे रहा है। कैबिनेट मिनिस्टर नंदगोपाल गुप्ता नंदी का औद्योगिक विजन ने सरकार के सभी काम बना दिए हैं। भाजपा कैंप में यह बात खुले तौर पर की भी जा रही है कि ग्लोबल इन्वेस्टर समिट की प्लानिंग से लेकर उसे अमलीजामा पहनाने तक का बड़ा क्रेडिट सीएम योगी के साथ  औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी को जाता है। सरकार ने मंत्री और अफसर समूहों की जिम्मेदारियां तय कर भव्य आयोजन को बुलंदियों तक पहुंचाने का काम किया है। देश-विदेश के मेहमानों के सामने विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए राज्य की शानदार सांस्कृतिक विरासत जिस तरह से पेश की गई, उसे देखकर हर कोई ग्लैड हुआ है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां यूपी समिट में पूरा समय दिया। उसके अलावा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतरादित्य सिंधिया, डॉ वीरेन्द्र कुमार, मनसुख मंडाविया अलग-अलग समिट सत्र में विभिन्न देशों के साथ अपने मंत्रालयों से जुड़े क्षेत्र में निवेश को लेकर बातचीत फाइनल करते देखे गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के  साथ दोनों उपमुख्यमंत्री ब्रिजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्या, कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी, जितिन प्रसाद, स्वतंत्रदेव सिंह सहित राज्य के सभी मंत्री अर्थ जगत की हस्तियों के साथ निवेश प्रक्रिया तय करने में जुटे नजर आए हैं। इसे देखते हुए कहा जा रहा है कि इस तरह का ग्लोबल समिट खुद में इतिहास बनने जा रहा है।

यह सब उस यूपी में हुआ है, जो आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है और हमेशा केन्द्र की राजनीति को दिशा देने का काम करता है। 2014 में जब गुजरात से मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर नरेन्द्र मोदी ने यूपी का रुख किया था और काशी के मैदान से चुनावी आगाज किया था तो उसके बाद जो यूपी में कुछ हुआ, उसे भाजपा के स्वर्णिम काल की शुरूआत कहा जाता है। उस समय 336 सीटों के साथ भाजपा की अगुवाई वाला एनडीए सबसे बड़ा गठबंधन बनकर सामने आया था। 283 सांसदों की विजय के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। इसमें अकेले यूपी से भाजपा को 80 में से 71 सीटों की ताकत हासिल हुई थी। मोदी वाराणसी और वडोदरा दो सीटों से चुनाव लड़े थे और दोनों जीते थे। बाद में वाराणसी विजय को उन्होंने पास रखा और देश के प्रधानमंत्री बने। केन्द्र की सत्ता में काबिज होने के तीन साल बाद ही 2017 में प्रचंड जीत के साथ भाजपा की यूपी में भी सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। अगली चुनौती भाजपा के सामने 2019 का लोकसभा चुनाव था, तो डबल इंजन सरकार पर राज्य के लोगों ने फिर बड़ा भरोसा जताते हुए भाजपा को 80 में से 62 सीटों पर विजय दिलाकर फिर से मोदी के पीएम बनने का रास्ता साफ कर दिया था। यूपी में डबल इंजन मोदी-योगी सरकार की अगली परीक्षा पिछली बार 2022 विधानसभा चुनाव में मानी जा रही थी, तो भाजपा ने 403 में 255 सीटें जीतकर फिर इतिहास बना दिया और योगी-2 सरकार बनी। मैनपुरी और खतौली को अपवाद मान लें तो लोकसभा उप चुनावों में भी भाजपा के आगे विपक्ष की यूपी में दाल गलती नहीं देखी जा रही। मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी रामपुर-आजमगढ़ जैसे अपने किले भाजपा के हाथें गंवा चुकी है।

क्योंकि राज्य में अब लड़ाई 2024 की है, तो पक्ष विपक्ष अपनी-अपनी तरह से माहौल बनाने में जुटे हैं। जनता दरबार में भाजपा अपनी तरह से रंग जमाने में लग गई है। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के शानदार आयोजन और इसके जरिए यूपी की तकदीर बदलने का एजेंडा आगे के चुनावी मौसम को दिलचस्प बनाएगा, भगवा कैंप से ये संकेत बाहर आने लगे हैं। विपक्ष के पास क्या प्लान है, ये वो जानें मगर डबल इंजन भाजपा सरकार और उसके संगठन ने प्री इलेक्शन प्रजेंटेशन दे दिया है।

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