सावन के दूसरे सोमवार को मिल रहे चार विशेष संयोग, जानिए, सोमवती अमावस्या और हरेला पर्व की विशेषताएं
न्यूज टुडे नेटवर्क। सावन माह के दूसरे सोमवार को एक साथ चार शुभ संयोग बन रहे हैँ। वैसे तो सावन के सभी सोमवार भगवान शिव के पूजन की दृष्टि से उत्तम होते हैं, लेकिन इस बार सावन के दूसरे सोमवार को हरियाली अमावस्या और सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में हरियाली अमावस्या को लोकपर्व हरेला के नाम से मनाया जाता है। सावन के महीने में जब प्रकृति को चारों ओर से हरियाली अपनी गोद में समेट लेती है। खेतों में फसलों के तैयार होने पर हरियाली अमावस्या पर्व मनाया जाता है।
हरेला पर्व हरियाली का त्यौहार माना जाता है। उत्तराखंड में हरेला पर्व से ही सावन की शुरुआत होती है। सावन महीने के हरेला पर्व का विशेष महत्व है। सावन भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है और उत्तराखंड को शिव भूमि और देवभूमि भी कहा जाता है। हरेला पर्व के समय शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है और धन्यवाद किया जाता है। इस पर्व को शिव पार्वती के विवाह के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है की हरेला जितना ज्यादा बड़ा होगा फसल उतनी ही होगी। हरेला को हर घर में बोया जाता है लेकिन, कुछ गांव में सामूहिक रूप से स्थानीय ग्राम देवता के मंदिर में भी हरेला बोई जाती है।
हरेला पर्व
हरेला पर्व पर 12 से 15 दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। साथ ही 7 किस्म का अनाज उगाया जाता है। जिसके लिए मिट्टी भी घर के पास निकालकर सुखाई जाती है। साथ ही उगाने के लिए धान, मक्की, उड़द, गहत, तिल और भट्ट के अनाज शामिल होते हैं। इसे उगाने और देखभाल का काम घर की महिलाओं द्वारा किया जाता हैं। इस दिन कई तरह के पकवान भी बनाये जाते हैं। इसी के साथ काटे हुए हरेले को छत पर रखा जाता है। घर में छोटों को बड़े लोग हरेले के आशीष गीत के साथ हरेला लगाते हैं। इसे बहुत शुभ माना जाता है। इसके बाद हरेला की शुभकामनाएं देकर बुजुर्ग, बच्चों को आशीर्वाद देते हैं और लोग पौधे लगाते हैं.
सावन के दूसरे सोमवार का चार शुभ संयोग बन रहे हैं। सोमवती अमावस्या के साथ हरियाली अमावस्या का योग अपने आप में विशेष है। बिना शिववास के रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए और सावन के दूसरे सोमवार पर रुद्राभिषेक के लिए शिववास भी है। पंचांग के अनुसार इस दिन सूर्योदय से लेकर रात्रि तक शिववास है। ऐसे में आप आप किसी भी शुभ समय में रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
सावन के सोमवार को हरियाली अमावस्या का संयोग है। इस दिन स्नान दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
सोमवार को ही सोमवती अमावस्या है। जब सोमवार को अमावस्या तिथि पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सावन के दूसरे सोमवार पर पुनर्वसु नक्षत्र का योग है। इसे शुभ नक्षत्र माना जाता है। ऐसे में इस दिन व्रत रख कर पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी।