शर्मनाक: जिस अस्पताल में 50 सालों तक दूसरों का जीवन बचाते रहे उसी डाक्टर को नसीब नहीं हो पाया वेंटिलेटर, मौत
प्रयागराज के स्वरूपरानी अस्पताल में 50 सालों तक डाक्टर पति पत्नी ने दीं थीं चिकित्सा सेवाएं
उनके पढ़ाए कई डाक्टर और जूनियर मुंह फेर कर निकल जाते थे
80 वर्षीय डाक्टर पत्नी के सामने तड़प कर दम तोड़ गए वरिष्ठ चिकित्सक
न्यूज टुडे नेटवर्क। कोरोना संक्रमण के कहर के आगे आज क्या आम क्या खास सबकी हालत एक जैसी हो गयी है। यूपी के प्रयागराज जिले में पचास सालों तक सरकारी अस्पताल में डाक्टर रहे जेके मिश्रा को एक वेंटिलेटर भी नसीब नहीं हो सका। उन्होंने तड़प तड़प कर अपनी डाक्टर पत्नी के सामने दम तोड़ दिया। कोरोना संक्रमण के कारण हालात इस कदर खराब हो गए हैं कि अब स्वास्थ्यकर्मियों से लेकर जज और कई वरिष्ठ लोगों को भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। हाल ही में लखनऊ के प्रिसिद्ध साहित्यकार का निधन भी इलाज और सुविधाएं नहीं मिलने के कारण नहीं हो पाया था। इससे पूर्व कुछ दिनों पहले जिला जज को सीएमओ खुद अस्पताल में भर्ती कराने पहुंचे थे लेकिन उन्हें भी बेड नहीं मिल पाया। अस्पताल के डाक्टर ने तो गुस्से में सीएमओ से यहां तक कह दिया था कि मुझे जेल भेज दो मेरा अस्पताल सील कर दो लेकिन मैं बेड नहीं दे सकता।
अब प्रयागराज के इस मामले ने सभी को झकझोर कर रख दिया था। प्रयागराज के नामी सर्जन डा जेके मिश्रा ने अपने जीवन के लगभग 50 साल स्वरूपरानी अस्पताल में डाक्टरी की सेवाएं दें। उनके पढ़ाए कई जूनियर आज यहां मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से लेकर डाक्टर हैं। लेकिन इतने वरिष्ठ चिकित्सक को भी बीती 16 अप्रैल को यहां एक अदद वेंटिलेंटर भी नहीं मुहैया हो सका। कफ के साथ खून आने के कारण उनकी हालत बिगड़ती चली गयी और उन्होंने इलाज और सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ दिया।
डा जेके मिश्रा की पत्नी डा रमा मिश्रा 80 वर्ष भी वहां मौजूद थीं। उनकी पत्नी डा रमा मिश्रा ने भी 45 सालों तक इसी अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ के तौर पर मेडिकल सेवाएं दी हैं। उनकी पत्नी रमा मिश्रा भी उनके साथ ही संक्रमित हुयीं थीं। बीती 13 अप्रैल को वे भी डाक्टर पति के इलाज के लिए रात भर फर्श पर तड़पती रहीं लेकिन किसी स्टाफ को उन पर रहम नहीं आया। वेंटिलेंटर तो छोड़ो उन्हें एक अदद बेड भी नहीं मिल पाया। उन्हें जूनियर डाक्टरों की देखरेख में इलाज के लिए छोड़ दिया गया था।
वे बेबस होकर वे कहती हैं- ‘डॉक्टर होने के बावजूद मैं उनकी कोई मदद न कर सकी।’ डॉक्टर रमा ने बताया कि 13 अप्रैल से डॉक्टर मिश्रा का ऑक्सीजन लेवल लगातार कम हो रहा था। 16 अप्रैल को उनकी तबीयत और बिगड़ गई। एक और इंस्ट्रूमेंट और लगाया तो उनकी सांस रुकने लगी। फिर हमने उसे हटवाया लेकिन कफ से खून आने लगा। मैं चिल्लाने लगी कि आप लोग कुछ करिए, वेंटिलेटर पर रखिए, लेकिन डॉक्टर बोले कि यहां वेंटिलेटर ही नहीं है।