डा आईएस तोमर के लेटर बम से बरेली में हिली समाजवादी पार्टी, आखिर किसे था डर कि लखनऊ की बैठक में कुछ बोल ना दें

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न्यूज टुडे नेटवर्क। लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और बरेली समाजवादी पार्टी के हालात कुछ ठीक नजर नहीं आ रहे। सपा संगठन का शायद ये ईगो ही है कि अपने सीनियर नेताओं से संवाद बनाए रखने की परंपरा भी जैसे खत्म होती जा रही है। हालात कुछ ऐसे कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव कभी इधर-उधर आते-जाते बरेली एयरपोर्ट पर कुछ देर को रुकते हैं तो सपा संगठन के प्रमुख चेहरे चुपके-चुपके तो अखिलेश से मिल आते हैं मगर पार्टी के सीनियर नेताओं को याद भी नहीं करते। अभी तक तो पार्टी में सीनियर यादव नेता अनदेखी की पीड़ा सुनाते हैं मगर अब इसमें दो बार बरेली के मेयर रह चुके कद्दावर जमीनी लीडर डा. आईएस तोमर भी दर्द-ए-अनदेखी वाली सूची में शामिल हो गए हैं। बरेली जिला और महानगर संगठन को लेकर डा. तोमर ने अपनी पीड़ा लेटर बमफोड़कर जगजाहिर की है तो समाजवादी कैंप में बरेली से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया है।

बात कुछ ऐसी है कि सीनियर समाजवादी नेता डा. आईएस तोमर की पीड़ा स्वभाविक मानी जाएगी। दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर मंत्रणा के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बरेली के सभी प्रमुख सपा नेताओं को लखनऊ बुलाया था। हाईकमान स्तर से बाकायदा फोन कर एक-एक नेता को फोन कर लखनऊ बैठक में पहुंचने का आमंत्रण दिया था। सपा जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष के अलावा सभी पूर्व अध्यक्ष, विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, विधानसभा, जोन और सैक्टर अध्यक्ष सभी राजधानी बुलाए गए मगर हाल ही में मेयर का चुनाव लड़ चुके दो बार बरेली के महापौर रहे डा. आईएस तोमर के पास लखनऊ से बुलावा नहीं आया।

बरेली से समाजवादियों की बारात अपनी-अपनी तरह से लखनऊ पहुंची मगर जब डा. तोमर नजर नहीं आए तो बाकी सीनियर नेताओं में कानाफूसी शुरू हो गई। मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सपा सूत्रों का कहना है कि जब सपा मुख्यालय पर बरेली के समाजवादियों की बैठक में चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हुई तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने डा. तोमर को वहां नहीं देखकर उनके बारे में पूछा मगर बात आई-गई हो गई। रुहेलखंड के प्रमुख समाजवादी नेता एवं पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार ने लखनऊ बैठक में पार्टी में विश्वास, प्रेम और अनुशासन की डोर कम होते जाने की बात भी रखी मगर उनकी बात को शायद गंभीरता से नहीं लिया। खैर, लखनऊ बैठक निपटने के बाद समाजवादी बरेली लौटे तो लखनऊ बैठक का निमंत्रण नहीं मिलने को लेकर डा. तोमर ने अपनी पीड़ा सबके सामने रख दी है। उन्होंने सपा जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप को पत्र लिखकर पूछा है कि लखनऊ बैठक में उनकी उपस्थिति से किसे दिक्कत हो सकती थी। सपा प्रमुख से मिलने वालों की सूची में उनका नाम क्यों शामिल नहीं किया गया। डा. तोमर के सवाल पर सपा जिलाध्यक्ष ने गेंद महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी के पाले में डाल दी। जिलाध्यक्ष की ओर से कहा गया कि बरेली शहर और कैंट से नेताओं की सूची बनाने की जिम्मेदारी महानगर अध्यक्ष की थी। बात जब महानगर संगठन पर आई तो इधर के अध्यक्ष शमीम का सुल्तानी का जवाब ये सुनने को मिला है कि डा. तोमर का नाम सूची में शामिल था। लखनऊ कार्यालय से उनको फोन भी किया गया मगर कॉल रिसीव नहीं हुई।

वैसे, पार्टी में कैंप में डा.  तोमर के लेटर बम को लेकर कई तरह के चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सपा कैंप में सुनने को मिल रहा है कि ऐसे ही बरेली संगठन ने रामपुर से लौटते में कुछ देर को बरेली एयरपोर्ट पर रुके सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मिलने का पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव, पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार, पूर्व जिलाध्यक्ष शुभलेश यादव, डा. आईएस तोमर को मौका नहीं मिलने दिया था। सपा संगठन ने सिटी मजिस्ट्रेट से सीनियर नेताओं के पास ही नहीं बनवाए थे, जिसकी वजह से सीनियर नेता चाहकर भी सपा मुखिया से नहीं मिल पाए थे। अब वही कहानी लखनऊ बैठक में डा. तोमर के साथ दोहराई गई है। वैसे, डा. तोमर के पीड़ा पत्र को लेकर सपा के बरेली जिला और महानगर सपा संगठन के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं मगर इस बात का जवाब शायद ही कोई दे पाएगा कि बारात में ख्याल सबका रखा जाता है और आखिर तक देखा भी जाता है कि बारात की बस में बैठने से कोई प्रमुख बाराती बाकी तो नहीं रह गया। फिलहाल हर तरफ चर्चा डा. तोमर के पीड़ा पत्र की है, जिसने लोकसभा चुनाव से पहले बरेली में समाजवादी पार्टी की अजब-गजब कहानी सामने ला दी है।

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