डाइट करें कंट्रोल, नहीं बढ़ेगा गर्भवती महिलाओं का बीपी, जानिए, बचाव के तरीके
बरेली में 234 गर्भवती महिलाओं में जांच के दौरान पाया गया उच्च रक्तचाप

न्यूज टुडे नेटवर्क। अगर आपको सरदर्द, सांस, थकान, छाती में दर्द, पसीना आनेा, घबराहट, धुंधला दिखने, उल्टियां आनेा, सांस लेने मे तकलीफ, अनियमित दिल की धड़कन, ज्यादा प्यास लगने, छाती, गर्दन या कान में तेज दर्द जैसी समस्या हो रही है तो आपको तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। यह हाइपरटेंशन के लक्षण हो सकते हैं। विश्व हाइपरटेंशन दिवस पर बुधवार को बरेली जिले की करेली पीएचसी की अधीक्षिका डॉ. शुचिता ने मरीजों को यह जानकारी दी। इस अवसर पर गर्भवती और सामान्य मरीजों का बीपी और शुगर की जांच भी की गई। विश्व हाइपरटेंशन दिवस पर जनपद में स्वास्थ्य केंद्रों पर 234 गर्भवती महिलाओं की उच्च रक्तचाप की जांच की गई।

डॉ. शुचिता ने बताया कि पीएचसी पर करीब 20 गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम आयरन और फोलिक एसिड की दवा दी गई। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान उचित आहार लेने से बीपी और शुगर की समस्या कम होती है। गर्भावस्था में कई महिलाओं का ब्लड शुगर लेवल और बीपी बढ़ जाता है।

हालांकि ये बढ़ा हुआ बीपी और ब्लड शुगर लेवल बच्चे के जन्म के बाद खत्म हो जाता है, लेकिन कई बार इससे गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। खान-पान और वजन का बहुत ध्यान देने से यह परेशानी नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल ब्लड प्रेशर होने पर शरीर में सूजन, नींद का बार-बार टूटना, वजन बढ़ जाने जैसी समस्या हो सकती है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने की स्थिति होती है लेकिन ब्लड प्रेशर के कारण से वजन एकाएक अधिक बढ़ जाता है। इसी प्रकार क्रॉनिक ब्लड प्रेशर से प्रभावित गर्भवती महिलाओं में ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर उन्हें भी नींद में दिक्कत होना, सिरदर्द, चक्कर आने जैसी समस्याएं बनी रहती हैं।
डॉ शुचिता ने बताया कि ब्लड प्रेशर से प्रभावित गर्भवती को अपनी डाइट का ख्याल रखना चाहिए। जैसे सेंधा नमक या रॉक साल्ट का उपयोग करना चाहिए। फल-सब्जियों का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए। अपने भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम कर विटामि, मिनरल्स इत्यादि की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। पर्याप्त मात्रा में पानी और लिक्विड भोज्य पदार्थ लेना चाहिए। चाय, कॉफी या कैफीन युक्त पदार्थों से दूरी बनाना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर चेकअप कराते रहना चाहिए। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों से बीपी को कंट्रोल रखने में सहायता मिलती है। डॉ. शुचिता ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड लेने से गर्भवती महिलाओं में उच्च रक्तचाप से प्री-एक्लेमप्सिया (झटके आना), समय से पहले डिलीवरी होने जैसे दुष्परिणाम को रोकने में मदद भी मिलती है।
234 गर्भवती महिलाओं में जांच के दौरान पाया गया उच्च रक्तचाप
बरेली के जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रशांत रंजन ने बताया कि उच्च रक्तचाप से पीड़ित लगभग आधे लोग अपनी स्थिति से अनजान हैं और केवल एक-तिहाई उपचार पर हैं, जो दिल के दौरे, स्ट्रोक, गुर्दे की विफलता और अन्य अंत-अंग क्षति के जोखिम को बढ़ाता है।30 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को अपना ब्लड प्रेशर ज़रूर चेक करवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि विश्व हाइपरटेंशन दिवस पर जनपद में स्वास्थ्य केंद्रों पर 429 नियमित टीकाकरण सत्र लगे। जिसमें 234 गर्भवतियों को उच्च रक्त चाप पाया गया। जिन गर्भवती महिलाओं में हाइपरटेंशन पाया गया है उन्हें 1,9,16,24 तारीख को सीएचसी पर बुला कर उपचारित किया जायेगा। इन तारीखों पर हर माह प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता है।