इस साल के अंत तक खसरा रूबेला के खात्मे का है लक्ष्य, , बरेली में अभी ये है हाल
बीमारी रोकने के लिए नौ माह से ऊपर के हर बच्चे का टीकाकरण जरूरी
न्यूज टुडे नेटवर्क। केन्द्र सरकार ने खसरा, रुबेला उन्मूलन का लक्ष्य दिसंबर 2023 तय किया है। इस बीमारी के उन्मूलन के लिए नौ माह से ऊपर के बच्चों को खसरा ओर रूबेला का टीका लगना जरूरी है। इसके लिए प्राइवेट चिकित्सकों को भी साथ देना होगा। शुक्रवार को डब्लू एच ओ, आईएमए और आईएपी द्वारा आयोजित खसरा-रूबेला उन्मूलन, नियमित टीकाकरण और कोविड वैक्सीनेशन को सुदृढ़ बनाने की कार्यशाला में इन मुद्दों पर चर्चा हुई।
आईएमए भवन में आयोजित इस कार्यशाला में विश्व स्वास्थ्य संगठन( डब्ल्यूएचओ) के डॉ. पीवी कौशिक ने कहा कि खसरा जानलेवा रोग है, जो वायरस से फैलता है। बच्चों में खसरे के कारण विकलांगता हो सकती है। रूबेला भी खसरा जैसा ही है। गर्भावस्था के शुरू में ही महिला के कन्जेनिटल रूबैला सिन्ड्रोम से सक्रंमित से भ्रूण तथा नवजात के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। इसके लिए खसरा एवं रूबेला का टीका सुरक्षित है। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि बच्चों के स्वास्थ्य और उनको कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण बहुत जरूरी है। विश्व के 194 में से 77 देशों में खसरा व 87 देशों से रुबेला का सफ़ाया हो चुका है । साउथ ईस्ट एशिया के 11 देशों में से पांच से खसरा व दो से रुबेला का संचार समाप्त हो गया है। उत्तर प्रदेश सहित देश में रोग का संचार जारी है। बरेली में वर्ष 2022 में 154 खसरा- रुबेला के केस सामने आए। जबकि 2023 में अब तक 62 केस पॉज़िटिव आ चुके हैं।
डॉ. कौशिक ने बताया कि खसरा और रूबेला के केस बढ़ने का कारण कोविड के दौरान नियमित टीकाकरण के सेशन नहीं लग पाना है जिससे 2019- 2020 में जो बच्चे पैदा हुए या उस समय जो बच्चे एक या दो साल के थे उन्हें टीका नहीं लग पाया। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार नियमित टीकाकरण के सेशन में देश में 7 से 8% और उत्तर प्रदेश में 4 से 5% और बरेली में 2% गिरावट हुई है।
पांच साल के बच्चों में बढ़ रहा खसरा
बरेली के जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. प्रशांत रंजन ने बताया कि पांच साल के बच्चों में खसरा बढ़ रहा है। 2002 में 291 बच्चों में 1 से 4 साल की उम्र के 39 प्रतिशत बच्चों को खसरा हुआ। वहीं 24% खसरा 5 से 8 साल के बच्चों को हुआ। कुल मिलाकर 65% खसरे से इस उम्र के बच्चे प्रभावित हुए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह देखी गई कि इनमें से 90% बच्चों को कोई भी वैक्सीन नहीं लगी थी। उन्होंने बताया कि बरेली में शून्य से एक वर्ष के लगभग 1 लाख 25 हजार बच्चे हैं। वहीं 5 साल के लगभग एक लाख आठ हजार बच्चे हैं। बरेली में 5 साल की उम्र तक आते-आते लगभग 2% बच्चों की मौत हो जाती है।
बरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बलवीर सिंह ने बताया कि छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इसलिए उन्हें गंभीर बीमारियां जल्दी घेर सकती हैं। इससे बचाव के लिए नियमित टीकाकरण होना जरूरी है। नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत टीबी, काली खांसी,गलघोंटू, हेपेटाइटिस बी, पोलियो, रोटावायरस, इन्फ्लूएंजा टाइप बी व निमोनिया, खसरा रुबेला, दिमाग़ी बुख़ार, टेटनस जैसी गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए निःशुल्क टीके लगाए जाते हैं। इस अवसर पर आईएमए अध्यक्ष डॉ. विनोद पागरानी, चेयरमैन डॉ संदीप सरन, कोषाध्यक्ष डॉ सचिन अग्रवाल, सेक्रेटरी ड गौरव गर्ग मौजूद रहे।
इस तरह सहायक हो सकते हैं निजी चिकित्सक
निजी बाल रोग चिकित्सकों के पास ओपीडी में जो बच्चे आते हैं उनके माता-पिता से नियमित टीकाकरण के बारे में पूछना चाहिए और उन्हें मोटिवेट करना चाहिए
प्रदेश में जापानी इंसेफेलाइटिस के केसों को देखते हुए निजी चिकित्सकों को बच्चों के माता-पिता से जेई के टीकाकरण के लिए भी बात करनी होगी। अगर वह अपने यहां टीकाकरण नहीं करवा रहे हैं तो माता-पिता से स्वास्थ्य विभाग में टीकाकरण कराने को बोलना होगा
स्वास्थ्य विभाग और प्राइवेट चिकित्सा प्रणाली में अब भी एमसीपी (मदर चाइल्ड प्रोटेक्शन) कार्ड जो बच्चे के जन्म से पहले मां को दिया जाता है जिसमें टीकाकरण की समस्त जानकारी होती है। अब भी यह कार्ड स्वास्थ्य विभाग और प्राइवेट चिकित्सा प्रणाली में अलग-अलग है जिसके कारण टीका कब लगना है इसमें बहुत कन्फ्यूजन होता है। नियमित टीकाकरण के लिए यह कार्ड एक होना चाहिए
प्राइवेट अस्पताल में जो माता-पिता खसरे के प्रभावित बच्चों को लेकर आएं उस केस की जानकारी विभाग को देनी चाहिए ताकि संबंधित क्षेत्र में जाकर विभाग की टीम डोर टू डोर जाकर और कैसे इसका पता लगा सके।
पब्लिक हेल्थ इंटरवेंशन में उस क्षेत्र के बच्चों को 24 घंटे में दो बार विटामिन ए की खुराक देना और सभी बच्चों का टीकाकरण हुआ है या नहीं और कैंप लगाकर टीकाकरण कराना उद्देश्य होता है