शेरगढ़ की जंग: सपा में रहकर उम्मीदवार सबीना अंसारी का विरोध, ऐसा क्यों कर रहे पूर्व विधायक सुल्तान बेग
न्यूज टुडे नेटवर्क। सपा प्रमुख अखिलेश यादव चुनावी रण में भाजपा को शिकस्त देना चाहते हैं मगर उनके ही कुछ समाजवादी नेता शायद ऐसा नहीं चाहते। बरेली की नगर पंचायत शेरगढ़ में कहानी कुछ ऐसी ही नजर आ रही है, जहां सपा में रहकर ही पूर्व विधायक सुल्तान बेगा समाजवादी उम्मीदवार सबीना अंसारी का खुलेआम विरोध कर रहे हैं और निर्दलीय प्रत्याशी के प्रचार में दौड़भाग करते देखे जा रहे हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शेरगढ़ के चुनावी रण में एक बार फिर निवर्तमान चेयरमैन सबीना अंसारी को टिकट देकर मैदान में उतारा है, तो सपा के पूर्व विधायक सुल्तान बेग खुलकर पार्टी का विरोध करते हुए बागी उम्मीदवार निशा कैंप में हवा भरते नजर आ रहे हैं। सपा प्रत्याशी सबीना अंसारी वरिष्ठ समाजवादी नेता बाबू अंसारी की पत्नी हैं और दो बार शेरगढ़ की चेयरमैन रह चुकी हैं। बाबू अंसारी और सबीना अंसारी की गिनती राजनीति के साथ प्रमुख समाजसेवी चेहरों में होती है। यही वजह शेरगढ़ के हर वर्ग और तबके में इनकी गहरी पैठ है और करीब दो दशक से नगर पंचायत की राजनीति में जनता इनको हर बार सिर आंखों पर बिठाती है।
पिछले समय में नगर निकाय चुनाव के ऐलान के बाद सपा में टिकटों के लिए आवेदन हुए थे तो शेरगढ़ से चेयरमैन पद के लिए निवर्तमान अध्यक्ष सबीना अंसारी ने दमखम से दावा ठोंका था। आवेदन तो और भी हुए थे मगर सबीना जैसा मजबूत चेहरा दूसरा पार्टी में नजर आ नहीं आ रहा था। इसके बाद भी न जाने क्या हुआ कि अचानक सबीना का टिकट काटकर सपा के जिला संगठन दने निशा अंसारी को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद जब सपा हाईकमान तक पहुंची तो ऐन वक्त पर शेरगढ़ में टिकट बदलकर फिर से सबीन अंसारी को समाजवादी पार्टी का सिंबल देकर प्रत्याशी तय किया गया। सपा सूत्र बताते हैं कि टिकट बदलने का फैसला सपा प्रमुख अखिलेश यादव के स्तर से हुआ, क्योंकि जमीनी राजनीति में शेरगढ़ के अंदर सबीना अंसारी और बाबू अंसारी के कद का दूसरा कोई चेहरा आसपास सपा में था ही नहीं। उसके बाद सबीना अंसारी पूरी ताकत से चुनावी रण में उतरीं और प्रचार में हमेशा की तरह अपना रंग जमा दिया है।
सपा प्रमुख अखिलेश के आर्शीवाद से शेरगढ़ में सपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहीं सबीना अंसारी की राह में पार्टी के ही पूर्व विधायक सुल्तान बेग विरोध की दीवार क्यों खड़े करने में लग गए हैं, यह बात किसी को हजम नहीं हो रही। शेरगढ़ टाउन एरिया भोजीपुरा विधानसभा क्षेत्र में आता है, जहां से सपा के शहजिल इस्लाम क्षेत्र में आता है। जबकि सुल्तान बेग मीरगंज विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं। ये वही सुल्तान हैं, जो 2022 के विधानसभा चुनाव में पूरे बरेली जिले के अंदर सबसे ज्यादा वोटों से मीरगंज में भाजपा उम्मीदवार डा. डीसी वर्मा से चुनाव हारे थे, जबकि शहजिल इस्लाम ने भगवा लहर में भी भोजीपुरा से भाजपा प्रत्याशी को शिकस्त देकर समाजवादी झंडा बुलंद किया था। सपा सूत्र बताते हैं कि विजेता विधायक शहजिल इस्लाम अंसारी और पराजित पूर्व विधायक सुल्तान बेग एक पार्टी में होते हुए एक दूसरे के साथ खड़े नहीं होते हैं। 2017 में सुल्तान जब बसपा में थे, तो वह मीरगंज से चुनाव लड़े थे और भाई सुलेमान बेग को बसपा की टिकट पर भोजीपुरा से सपा प्रत्याशी शहजिल इस्लाम के खिलाफ उतार दिया था। वोटों में बंटवारा होने के चलते शहजिल को उस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। सुल्तान और सुलेमान भी बुरी तरह हारे थे।
सपा सूत्र कहते हैं कि शेरगढ़ में राजनैतिक रस्साकशी इस बात की है कि निवर्तमान चेयरमैन सबीन अंसारी और उनके पति बाबू अंसारी क्षेत्रीय विधायक शहजिल इस्लाम अंसारी के समर्थक माने जाते हैं। पूर्व विधायक सुल्तान बेग मीरगंज के साथ भोजीपुरा में अपनी सक्रियता बनाए रखना चाहते हैं, इसलिए निकाय चुनाव में सपा उम्मीदवार सबीना अंसारी के विरोध में बागी निर्दलीय उम्मीदवार निशा का झंडा उठाकर अपनी पार्टी की खिलाफत करते देखे जा रहे हैं। चुनाव प्रचार में सुल्तान बेग खुलकर निर्दलीय प्रत्याशी निशा के साथ नजर आए हैं। निर्दलीय उम्मीदवार के साथ प्रचार में सुल्तान बेग के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। जबकि, बाकी पूरी समाजवादी पार्टी उम्मीदवार सबीना अंसारी के साथ दमखम के साथ जुटी है। शेरगढ़ के चुनावी रण का परिणाम क्या रहेगा, ये बात तो आगे सामने आएगी मगर पूर्व विधायक सुल्तान बेग द्वारा खुलकर सपा में रहकर ही सपा उम्मीदवार की मुखालफत करने का आगे अंजाम क्या होगा, इसे लेकर चर्चाएं जरूर अभी से शुरू हो गई हैं। शेरगढ़ की खबरें लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक पहुंच भी रही हैं। सपा की चेयरमैन उम्मीदवार सबीना अंसारी और उनके पति बाबू अंसारी सुल्तान बेग के विरोध को लेकर बहुत शालीनता से सिर्फ यही कहते देखे जा रहे हैं कि दो बड़े नेताओं की लड़ाई में उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, चुनाव में ताकत जनता की होती है और शेरगढ़ की जनता उनके साथ है।