बरेली: पूर्वोत्तर रेलवे की पहली महिला ट्रेन कंट्रोलर बनीं अल्‍मोड़ा की बेटी शीतल, यहां मिली तैनाती   

न्यूज टुडे नेटवर्क। एक तरफ एयर इंडिया की महिला पायलट दुनिया की सबसे लंबी उड़ान भरकर विश्वभर में चर्चा में बनी हुई हैं तो दूसरी ओर यूपी के बरेली में पूर्वोत्तर रेलवे में पहली महिला ट्रेन कंट्रोलर का पद संभालकर अल्मोड़ा की बेटी शीतल मेहरा ने नारी शक्ति की मिसाल कायम की है। पूर्वोत्तर रेलवे
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बरेली: पूर्वोत्तर रेलवे की पहली महिला ट्रेन कंट्रोलर बनीं अल्‍मोड़ा की बेटी शीतल, यहां मिली तैनाती   

न्यूज टुडे नेटवर्क। एक तरफ एयर इंडिया की महिला पायलट दुनिया की सबसे लंबी उड़ान भरकर विश्‍वभर में चर्चा में बनी हुई हैं तो दूसरी ओर यूपी के बरेली में पूर्वोत्‍तर रेलवे में पहली महिला ट्रेन कंट्रोलर का पद संभालकर अल्‍मोड़ा की बेटी शीतल मेहरा ने नारी शक्‍त‍ि की मिसाल कायम की है। पूर्वोत्‍तर रेलवे में अब तक इस पद पर सिर्फ पुरुषों का ही आधिपत्‍य था। कुछ दिन पहले शीतल ने ज्‍वाइनिंग लेकर ये बता दिया कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं भी किसी से कम नहीं हैं।

मूल रूप से उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा निवासी यह परिवार वर्तमान में बरेली में कर्मचारी नगर में रहता है। शीतल अपने  माता-पिता की इकलौती बेटी हैं। उनके पिता गोविंद सिंह का काफी पहले देहांत हो चुका है। ड्यूटी के साथ-साथ वे अपनी गृहिणी मां सरिता का भी घर में ख्‍याल रखती हैं। वे मार्शल आर्ट की खिलाड़ी भी रही हैं लेकिन पिता की मौत के बाद घर की जिम्‍मेदारियां सामने आने से उन्‍हें खेल को अलविदा कहना पड़ा।

बरेली सिटी स्‍टेशन की पहली महिला स्‍टेशन मास्‍टर बनी थीं

कक्षा एक से लेकर इंटर तक प्रथम श्रेणी में परीक्षाएं पास कर शुरू से ही मेधावी रहीं शीतल ने डिपार्टमेंटल एग्‍जाम 2014 में ही क्‍वालीफाई कर लिया था। अपनी लगन और मेहनत के बल पर ट्रेन कंट्रोलर पद के लिए 2019 में एग्‍जाम क्‍वालीफाई किया लेकिन पद खाली न होने से उन्‍हें बरेली सिटी रेलवे स्‍टेशन पर स्‍टेशन मास्‍टर की जिम्‍मेदारी सौंपी गई। इस पद पर भी पूर्वोत्‍तर रेलवे में महिला के रूप में उनकी पहली ज्‍वाइनिंग थी। एक साल तक शीतल ने कड़ी मेहनत कर इस पद का सफल रूप से संचालन किया।

क्‍या कहती हैं शीतल

शीतल ने न्‍यूज टुडे नेटवर्क से बातचीत में बताया कि कोई भी काम मुश्‍किल नहीं होता। सिर्फ इरादा मजबूत और मेहनत श्रद्धा के साथ करनी जरूरी है। अपनी कार्यप्रणाली पर चर्चा करते हुए उन्‍होंने बताया कि इस वक्‍त वह इज्‍जतनगर डीआरएम ऑफिस में ट्रेन कंट्रोलर के पद पर तैनात हैं। बताया कि हमें ट्रेन का मैनेजमेंट इस तरह करना होता है ताकि सफर में यात्रि‍यों को दिक्‍कत न हो। साथ ही विलंब से चल रहीं ट्रेनों के लिए लाइन कैसे क्लियर करें ताकि ट्रेन को ऑन टाइम लाया जा सके। हालांकि अभी ज्‍यादा ट्रेनों का संचालन नहीं हो रहा है।

मार्शल आर्ट खिलाड़ी भी हैं शीतल

शीतल मार्शल आर्ट खिलाड़ी भी हैं। उन्‍होंने अपनी मां सरिता को भी मार्शल आर्ट सिखा दिया। बेटी ने नेशनल पदक जीता तो उनकी मां ने स्‍टेट में मार्शल आर्ट में परचम लहराया है। मां और बेटी दोनों मार्शल आर्ट में बुलंदियां छू ही रहे थे कि अचानक परिवार में हुए हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी।

स्‍टाफ ने किया सहयोग

शीतल ने बताया कि ज्‍वाइनिंग के बाद काफी सारी चुनौतियां भी सामने आईं लेकिन रेल अफसरों व सहकर्मियों ने उनका काफी सहयोग किया। काम में कहीं फंसने पर एक अभिभावक की तरह गाइड किया। वे उनकी तारीफ करते हुए भी नहीं थकतीं।