CRPF की असिस्टेंट कमांडेण्ट से Bareilly College की चीफ प्राक्टर तक का सफर, ये है वंदना शर्मा के संघर्ष की कहानी…
न्यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। तेरे मांथे पे ये आंचल बहुत खूब है लेकिन अगर तू इसका एक परचम बना लेती तो…। महिलाओं को जो लोग अबला या कमजोर समझते हैं उन्हें बरेली कॉलेज की पहली महिला चीफ प्रॉक्टर वंदना शर्मा के संघर्ष की कहानी जरूर जाननी चाहिए। वंदना शर्मा ने न सिर्फ अपने परिवार को संभाला बल्कि सीआरपीएफ की असिस्टेंट कमांडेंण्ट से लेकर बरेली कॉलेज की प्रोफेसर तक का सफर पूरा किया।
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मूल रूप से बुलंदशहर निवासी वंदना शर्मा का जन्म 2 मार्च, सन 1974 में हुआ था। मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी वंदना के पिता पुलिस विभाग में थे। इसलिए पिता की जहां भी तैनाती हुई उनकी शिक्षा वहीं होती रही। उन्होंने अपनी पढ़ाई रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से ही पूरी की है। मुरादाबाद और मेरठ में उन्होंने पढ़ाई की। कड़ी मेहनत के बल पर वंदना शर्मा की पहली नौकरी दिल्ली पुलिस में लगी। इसी दौरान उनका सीआरपीएफ में भी चयन हो गया। वर्ष 1998 में उन्होंने सीआरपीएफ में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर ज्वाइन किया। मेघायल में उन्हें तैनाती मिली मगर पारिवारिक परिस्थितियों व मां की बीमारी की वजह से उन्हें वह नौकरी छोड़नी पड़ी।
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वर्ष 2000 में ज्वाइन किया बरेली कॉलेज
सीआरपीएफ की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने कड़ी मेहनत के बल पर बरेली कॉलेज में कमीशन के जरिये वंदना शर्मा का चयन हो गया। 2 मार्च 2000 को बरेली कालेज में ज्वाइन कर लिया। जिसके बाद वह लगातार सफलता की सीढि़यां चढ़ती गईं। उन्होंने कॉलेज में पत्रकारिता विभाग के हेड व एनसीसी अधिकारी का भी जिम्मा संभाला। बरेली कॉलेज के 180 साल पुराने इतिहास में वह पहली महिला चीफ प्रॉक्टर भी बनीं। लगातार तीन साल से इस पद का सफलतापूर्वक निर्वाह भी कर रही हैं।
हासिल किए गोल्ड मेडल
वंदना शर्मा एलएलएम में रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडलिस्ट भी हैं। उन्हें बेस्ट एनसीसी कैडेट्स व बेस्ट ऑफिसर का खिताब भी मिला है। प्रदेश की पूर्व अखिलेश सरकार में वे सम्मानित भी हो चुकी हैं।
नारियों के उत्थान के लिए कर रहीं काम
चीफ प्रॉक्टर वंदना शर्मा कॉलेज में लगातार छात्राओं के उत्थान के लिए कार्य भी कर रही हैं। छात्राओं से निरंतर बात कर उनकी समस्याएं जानती हैं। चाहे उनकी समस्या पारिवारिक हो या कॉलेज से संबंधित, उनका निदान भी करती हैं। वे सप्ताह में एक दिन कॉलेज की सभी महिला प्रॉक्टर की बैठक लेकर फीडबैक लेती हैं। उसमें आने वाली समस्याओं का निदान भी करती हैं।