Bareilly-शिक्षकों ने टीम वर्क के साथ सरकारी स्‍कूल ही बना दिया कॉन्‍वेंट

न्यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। सरकारी स्कूल की हकीकत सभी को पता है। जर्जर इमारत, टूटे फर्नीचर व गंदगी। एक वो लोग होते हैं जो हमेशा इसके लिए सरकार को कोसते हैं। दूसरे वो होते हैं जो अपनी लगन और मेहनत के जरिये मिसाल कायम कर देते हैं। प्राइमरी स्कूल भरतौल की शिक्षकों ने टीम वर्क
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Bareilly-शिक्षकों ने टीम वर्क के साथ सरकारी स्‍कूल ही बना दिया कॉन्‍वेंट

न्‍यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। सरकारी स्‍कूल की हकीकत सभी को पता है। जर्जर इमारत, टूटे फर्नीचर व गंदगी। एक वो लोग होते हैं जो हमेशा इसके लिए सरकार को कोसते हैं। दूसरे वो होते हैं जो अपनी लगन और मेहनत के जरिये मिसाल कायम कर देते हैं। प्राइमरी स्‍कूल भरतौल की शिक्षकों ने टीम वर्क के साथ सरकारी स्‍कूल की तस्‍वीर ही बदलकर रख दी है। यहां बच्‍चे अंग्रेजी में बात करते हैं। स्‍कूल में कहीं भी गंदगी नहीं है। सभी बच्‍चे अनुशासि‍त रहते हैं।

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इसका श्रेय जाता है स्‍कूल की शिक्षिका शिवानी जायसवाल, शैलजा त्रिपाठी व पुरुष शिक्षक आनंद जायसवाल को। शिवानी ने बताया कि मुझे इस स्‍कूल में जुलाई, 2015 में ज्‍वानिंग मिली थी। उस समय स्‍कूल की हालत बद से बदतर थी। फर्नीचर टूटे थे। दरवाजों का नामोनिशां नहीं था। ऐसे में हमें चिंता थी बच्‍चों के भविष्‍य की। हम तीनों ने मिलकर निर्णय लिया कि इस स्‍कूल को सुधारना है और इसके बाद काम में लग गए। सरकार से आने वाले सालाना बजट से धीरे-धीरे स्‍कूल का मेंटेंनेंस शुरू किया। स्‍कूल का फर्नीचर लगवाया। बागवानी की। बच्‍चों की पढ़ाई पर ध्‍यान दिया। आज रिजल्‍ट सभी के सामने हैं।

Bareilly-शिक्षकों ने टीम वर्क के साथ सरकारी स्‍कूल ही बना दिया कॉन्‍वेंट
शिक्षकों की मेहनत की वजह से प्राइमरी स्‍कूल भरतौल कॉन्‍वेंट की तरह दिखता है।

भविष्‍य के लिए कराते हैं तैयारी

स्‍कूल में तैनात तीनों ही शिक्षक अलग-अलग विषयों के जानकार हैं। शिवानी को हिन्‍दी में महारथ है तो शैलजा अंग्रेजी की ज्ञाता हैं। वहीं, आनंद की मैथ में अच्‍छी पकड़ है। तीनों बच्‍चों की लगातार ऐसी तैयारी करवा रहे हैं जिससे बच्‍चे इन विषयों में लगातार तरक्‍की कर रहे हैं। उन्‍हें आगे के कंपटीशन के लिए तैयार कर रहे हैं। शिवानी ने बताया कि बच्‍चों को हम नवोदय विद्यालय की परीक्षा को लेकर तैयारी करवाते हैं। एक बच्‍चे का पिछले साल नवोदय विद्यालय में चयन भी हुआ था लेकिन आयु ज्‍यादा होने के कारण उसे दाखिला नहीं मिल सका। साथ ही खेल के लिए भी बच्‍चों को प्रशिक्षण देते हैं।

लगातार बढ़ रही स्‍कूल में बच्‍चों की संख्‍या

स्‍कूल में 2015 में 100 बच्‍चों का रिकॉर्ड था लेकिन आते मात्र 70 बच्‍चे ही थे। वर्तमान में करीब 250 बच्‍चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कोविड की वजह से इस बार स्‍कूल नहीं खुले नहीं तो ये आंकड़ा 300 के पार पहुंच जाता।

लगातार देते हैं होमवर्क

शिक्षकों का कहना है कि कॉन्‍वेंट स्‍कूल में बच्‍चों को रोजाना होमवर्क दिया जाता है। ऐसे में हमने भी उसी तर्ज पर शुरुआत की। बच्‍चों को स्‍कूल में पढ़ाई के साथ-साथ होमवर्क भी दिया जो भी बच्‍चे होमवर्क करके नहीं लाते थे। उन्‍हें छोटी-छोटी पनिशमेंट भी दी। इसका लाभ ये हुआ कि बच्‍चे स्‍कूल के साथ घर में भी डिसिप्लिन के साथ पढ़ाई में लगे रहे।

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