बरेली: समाजसेवी बोले- भारत में समलैंगिक कानून धार्मिक सामाजिक मान्यताओं के खिलाफ
20 से अधिक समाजसेवी संगठनों ने राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा, विरोध जताया
न्यूज टुडे नेटवर्क। समलैंगिंग विवाह कानून के विरोध में बरेली में बुद्धिजीवी समाज उतर आया है। मंगलवार को तमाम सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम को ज्ञापन सौंपकर समलैंगिक विवाह कानून पर रोक लगाने की मांग की। ज्ञापन में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह कानून को भारत में मान्यता देने से रोका जाए। यह कानून समाजरोधी कानून है। विवाह बंधन के लिए समाजिक तौर पर प्रक्रिया और व्यवस्था दी गयी है जो कि पूर्ण रूप से उचित है। समलैंगिक विवाह कानून सामाजिक ताने बाने को नष्ट करने की एक साजिश है।
भारत के संविधान में दो विपरीत लिंग वाले व्यक्तियों को ही विवाह की अनुमति दी गयी है। जो धार्मिक सामाजिक मान्यताओं के अनुसार उचित है। ऐसे में समलैंगिक विवाह कानून को भारत में लागू करना सर्वथा अनुचित होगा। कलेक्ट्रेट पहुंचे 20 से अधिक सामाजिक संगठनों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा और भारत में समलैंगिक कानून लागू ना करने की मांग की।
ज्ञापन सौंपने वालों में विश्व जागृति मिशन की ओर से देवेन्द्र खण्डेलवाल, प्रान्तीय उद्योग व्यापार मण्डल की ओर से नवीन अग्रवाल, करूणा सेवा समिति की ओर से डा. विमल भारद्वाज, पंजाबी संगठन समाज की ओर से रवि छाबड़ा, पर्वतीय समाज की ओर से गिरीश चन्द्र पाण्डेय, सेन्ट्रल गुरू पर्व समिति की ओर से कुलदीप सिंह पन्नू, अग्रवाल सेवा समिति की ओर से अशोक गोयल, अखिल भारतीय ब्राम्हण महासभा की ओर से इन्द्रदेव त्रिवेदी, अन्तर्राष्ट्रीय वैश्य महासभा की ओर से गोपेश अग्रवाल, त्यागी भूमिहार समाज की ओर से सुरेन्द्र त्यागी, डा भीमराव अम्बेडकर जन्मोत्सव समिति की ओर से राजकुमार सागर, वाल्मीकि आश्रम सेवा समिति की ओर से श्याम सुन्दर कठेरिया, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और क्षत्रिय महासभा की ओर से धर्मवीर सिंह, अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा की ओर से केपी सेन पटेल, समाजसेवी डा विनोद पागरानी समेत तमाम संगठनों के अन्य जिम्मेदार पदाधिकारी और समाजसेवी मौजूद रहे।