बरेली मेयर घमासान: सुप्रिया- तोमर के साथ आने से बदल सकता है मेयर की सीट का रंग, कौन जीतेगा जंग, देखें ये खबर...

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न्यूज टुडे नेटवर्क। भगवा रंग में रंगी बरेली मेयर सीट पर सियासी घमासान मचा हुआ है। चढ़ते चुनावी पारे के बीच हार जीत के समीकरण रोजाना बदलते नजर आ रहे हैं। हर दिन एक नया राजनैतिक बदलाव देखने को मिल रहा है। बरेली नगर निगम मेयर सीट पर चुनावी घमासान के बीच पूर्व मेयर सुप्रिया ऐरन भी प्रचार की जंग में कूद गयी हैं। पूर्व मेयर ऐरन डा. आईएस तोमर के लिए चुनाव प्रचार कर समर्थन जुटा रही हैं। सुप्रिया ऐरन बरेली के लिए कोई नया चेहरा नहीं है, बरेली की राजनीति में सुप्रिया ऐरन खासा दखल रखती हैं। वहीं मेयर की कुर्सी संभाल चुके डा. आईएस तोमर का व्यक्तित्व भी लोगों के दिलो-दिमाग में जगह बनाए हुए है।

मेयर की कुर्सी संभाल चुके दोनों ही नेताओं का बरेली में अपना- अपना जनाधार है। पूर्व मेयर डा. आईएस तोमर दो बार मेयर की कुर्सी संभाल चुके हैं। साल 2002 के मेयर चुनाव में कुंवर सुभाष पटेल को हराकर डा तोमर निर्दलीय मेयर चुने गए थे। जिसके बाद साल 2005-06 में मेयर की सीट महिला आरक्षित होने पर जनता ने सुप्रिया ऐरन को कांग्रेस के टिकट पर मेयर चुना। हालांकि कांग्रेस का यहां कोई खास जनाधार नहीं था, लेकिन कर्मठता और लोकप्रियता के आधार पर जनता ने सुप्रिया ऐरन को ही मेयर की कुर्सी पर बिठाया। साल 2012 में डा तोमर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे तोमर को जनता ने फिर मेयर की कुर्सी सौंप दी।

अब बदले सियासी समीकरणों के बीच दोनों मेयर एक मंच पर दिखायी दे रहे हैं। समझा जा रहा है कि पूर्व मेयर सुप्रिया ऐरन के डा तोमर के पक्ष में प्रचार में उतरने के बाद चुनावी आंकड़ा किसी दूसरी गिनती की तरफ मुड़ सकता है। दोनो मेयर के मंच साझा करने के बाद अब विरोधियों के भी कान खड़े हो गए हैं। हालांकि अभी यह कहना मुश्किल होगा कि बरेली में सियासी ऊंट किस करवट बैठने जा रहा है। फिर भी पूरे घटनाक्रम को नए सियासी नजरिए से जोड़कर देखा जा रहा है। मेयर की सीट भगवा खेमे के पास रहेगी, या कोई और कुर्सी पर बैठेगा ये फैसला जनता के हाथ में है।  

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