बरेली: आशा बताएंगी ORS घोल बनाने का सही तरीका
22 जून तक चलेगा सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा, पांच साल तक के बच्चों को देंगे ओआरएस
न्यूज टुडे नेटवर्क। गर्मी में बच्चों को दस्त से बचाने और दस्त प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से बरेली जिले में 7 जून से 22 जून तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा। इसमें पांच साल से कम उम्र के बच्चों के अभिभावकों को दस्त के दौरान ओआरएस और जिंक के उपयोग को लेकर जागरूक किया जाएगा। इससे होने वाली बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। यह जानकारी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ प्रशांत रंजन ने सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े के पूर्व ब्लॉक स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला में दी। कार्यशाला का आयोजन मंगलवार को आर एस पी टी सी सभागार में किया गया।
डॉ. प्रशांत रंजन ने बताया कि पखवाड़ा संबंधी विभागीय तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। वर्तमान में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में 6-7 प्रतिशत मृत्यु दस्त के कारण होती है। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 16 हज़ार बच्चों की दस्त के कारण मृत्यु हो जाती है । दस्त रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में से है, जिसका उपचार ओआरएस एवं ज़िंक की गोली मात्र से किया जा सकता है। जनपद में आज से सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा। जो की 22 जून तक चलेगा। इसके लिए विभाग की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
उन्होंने बताया कि जनपद की सभी आशाओं को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वह पांच साल तक के उम्र के बच्चों की लिस्ट तैयार कर लें। जिन परिवारों में भी पांच साल तक की उम्र के बच्चे हैं, कार्यकर्ता इस दौरान बच्चों के अभिभावकों को ओआरएस के घोल बनाने की विधि का प्रदर्शन कर सिखाएंगी। सामान्य डायरिया का इलाज करने के अलावा गम्भीर केस को कार्यकर्ता अस्पताल के लिए रेफर करेंगी, जिससे प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर उनका सही उपचार हो सके। दस्त में शिशु की देखभाल कैसे करें, इसके बारे में भी अभिभावकों को बताया जाएगा। इन परिवारों में आशा व एएनएम के जरिए ओआरएस और जिंक की दवा भी वितरित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि बच्चों में दस्त बंद हो जाने के बाद भी जिंक की खुराक 14 दिनों तक जारी रखनी चाहिए। ऐसा करने से अगले दो से तीन महीने तक डायरिया होने की संभावना भी कम हो जाती है। दो से छह माह तक के बच्चों को जिंक की आधी गोली पानी में मिलाकर और सात माह से पांच साल तक के बच्चों को पूरी गोली देनी चाहिए। दस्त ठीक होने पर बीच में दवा न छोड़े। जिंक व ओआरएस का घोल के इस्तेमाल के बाद भी डायरिया ठीक न हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जरूर लेकर जाएं। जितने भी डायरिया से ग्रसित बच्चे हैं, उनकी एएनएम की ओर से सैम की जांच कराई जाएगी। इन बच्चों को चिकित्सीय प्रबंधन के लिए एनआरसी भी भेजा जा सकेगा। जिन घरों में दो साल तक के बच्चे हैं, उनकी माताओं को स्तनपान और उम्र के अनुसार पोषाहार की भी जानकारी आशा की ओर से दी जाएगी। बच्चों को खाने खिलाने से पहले हाथ साफ करने और उन्हें साफ पानी पिलाने के लिए भी कहा जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों व दस्त रोग से ग्रसित बच्चों, कुपोषित बच्चों, अतिसंवेदनशील क्षेत्र जैसे शहरी मलिन बस्ती, दूर-दराज के क्षेत्र, ख़ानाबदोश, निर्माण कार्य में लगे व ईंट-भट्टे के काम करने वाले मजदूर परिवार, दस्त रोग से ग्रसित क्षेत्र, छोटे गाँव व कस्बों के बच्चों को लक्षित किया गया है। कार्यशाला में डब्ल्यूएचओ के डॉ प्रभाकर कौशिक, मंडलीय एम ई अधिकारी अरुण कुमार शर्मा, यूनिसेफ डीएमसी नरुल निशा, अर्बन नोडल डॉ सी पी सिंह, जेएसई से शमीम, समस्त चिकित्सा अधीक्षक एवं समस्त सी डी पी ओ उपस्थित रहे।
यह लक्षण दिखने पर तुरंत लेकर जाएं अस्पताल--
बच्चे को पानी जैसा मल आने, बार-बार उल्टी होने, अत्यधिक उल्टी होने, अधिक प्यास लगने, पानी न पीने, बुखार होने, मल में खून आने पर तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल में लेकर जाएं।