विश्व फोटोग्राफी डे Special: जानिए, कैसे ब्लैक एंड व्हाइट के डार्करूम से निकलकर आज हर हाथ में पहुंच गयी फोटोग्राफी की कला

न्यूज टुडे नेटवर्क। 19 अगस्त को पूरी दुनियां में विश्व फोटोग्राफी डे मनाया जाता है। बदलते दौर में हर दिन फोटोग्राफी की दुनियां में रोज नए नए बदलाव हो रहे हैं। ब्लैक एंड व्हाइट के डार्करूम में से निकलकर आज फोटोग्राफी हर हाथ में पहुंच गयी है। एक दौर में सभी प्रकार के विशेष मौकों पर फोटोग्राफर का एक अलग दर्जा होता था। लेकिन धीरे धीरे तकनीक के घोड़े ऐसे दौड़े की आज फोटोग्राफी की विधा हर हाथ में पहुँच गयी है ! भारत में फोटोग्राफी अब से करीब 170 साल पहले आ चुकी थी। अंग्रेजों के समय में भारत में फोटोग्राफी का चलन शुरू हो गया था। 1900 की शुरूआत में भारत में yashika वन (120) और पोलोराइड (Poloride) जैसे कैमरे अस्तित्व में आ गए थे। जो कि उस वक्त के सबसे आधुनिक कैमरों में शुमार किए जाते थे।

ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी का दौर भारत में सबसे लंबा है। भारत में करीब 70 साल तक ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी ने लोगों के दिलों पर राज किया। साल 1950 में लंदन में ईस्टमैन कलर रंगीन फोटोग्राफी की शुरूआत करते हुए कोडक (codak) कम्पनी को अस्तित्व में लाये। जिसके बाद पूरी दुनियां में रंगीन फोटोग्राफी की क्रान्ति ने रफ्तार पकड़ ली। भारत में 1970 के दशक में रंगीन फोटोग्राफी ने पैर जमा लिये। भारत में सबसे पहले कोडक codak कंपनी की रंगीन फिल्म लांच की गयी। जिसे भारतीय मैनुअल कैमरों में इस्तेमाल किया गया। फिर भी 70 के दशक में रंगीन फिल्मों को धुलवाने के लिए पर्याप्त मशीनें नहीं लग पायी थीं। महानगरों और बड़े शहरों को छोड़ दें तो, इनके अलावा कुछ चुनिंदा शहरों में ही रंगीन फिल्म धुलवाने और फोटो प्रिंट कराने की मशीनें मिलती थीं। लेकिन ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी का डार्करूम वाला दौर अभी भी लोगों की पसंद था।

धीरे धीरे कोडक कंपनी के अलावा फ्यूजी कलर Fuji colour और अन्य तमाम कंपनियों ने रंगीन फिल्में बनाकर भारतीय बाजार में उतार दीं। साथ साथ कोडेक कंपनी का कम कीमत वाला कैमरा भी भारत में आ गया। कंप्यूटर का दौर भारत में आने के बाद कोडक कंपनी ने ही पहला डिजिटल कैमरा Digital camera भारतीय बाजार में उतार दिया। इसके साथ ही भारत में फोटोग्राफी का रूख डिजिटल की ओर मुड़ गया। 80 और 90 के दशक में भारत में डिजिटल कैमरों का मार्केट पूरे जोर से चल गया। पुराने और परंपरागत तौर तरीकों को छोड़कर लोग डिजिटल फोटोग्राफी की ओर रूख करने लगे। इसमें पेशेवर फोटोग्राफरों की तादात सबसे ज्यादा थी। साल 2000 का दशक आते आते डार्करूम वाली ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफी बीते जमाने की बात हो चली थी। अब रंगीन फिल्म वाले एक से एक नए माडल के कैमरे बाजार में आ गए थे, जो तकनीक तौर पर भी काफी अच्छे रिजल्ट देने वाले थे। इसके अलावा कई कंपनियों ने भी अपने अपने नए नए ब्रांड के डिजिटल कैमरे भारतीय बाजार में लांच कर दिए।
साल 2000 की शुरूआत के साथ ही भारत के आम लोग मोबाइल से भी चिर परिचित होने लगे। कुछ ही समय में संचार क्रान्ति ने भारत में ऐसे कदम बढ़ाए कि कुछ ही सालों में भारत में हर हाथ में मोबाइल आ गए। अब वर्तमान समय में फोटोग्राफी डार्करूम से निकलकर वास्तव में हर हाथ में दिखायी दे रही है। हालांकि फोटोग्राफी के इतिहास को नकारा नहीं जा सकता है फिर भी आज फोटोग्राफी का अतीत इतिहास के पन्नों में दबकर रह गया है।