यूपी में निकाय चुनाव की फिर तैयारी, दावेदारों की सुस्ती गायब
न्यूज टुडे नेटवर्क/ निकाय चुनाव टलने के बाद थोड़ा सुस्ताने के मूड में बैठे चुनावी वीरों को अब फिर से आस्तीनें चढ़ाकर मैदान में उतरने लगे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया है कि सरकार अप्रैल-मई में नगरीय निकाय इलेक्शन कराने तैयारी में है। राजधानी लखनऊ में सांसद और विधायकों के साथ बैठक में सीएम योगी ने सबको अभी से चुनावी तैयारी में जुटने का मैसेज दे दिया है। पहले निकाय चुनाव 2023 और उसके बाद लोकसभा चुनाव 2024, टीम भाजपा को दोनों मोर्चे कैसे फतह करने हैं, इसे लेकर भी सीएम योगी ने नेताओं को खास मंत्र दिए हैं। हालांकि, देखना ये है कि भाजपा की चुनावी कमान आगे मौजूदा जिला और महानगर संगठन के ही हाथ में रहती है, या संभावित नया संगठन यह टास्क पूरा करेगा। समाजवादी पार्टी के साथ भी यही स्थिति है, जहां संगठन महीनों से भंग चल रहा है और पार्टी से अंदरखाने जिलों में नया संगठन जल्द बनाने के संकेत मिल रहे हैं।
सब कुछ ठीक से आगे बढ़ता तो यूपी में निकाय चुनाव जनवरी में प्रस्तावित थे मगर ओबीसी आरक्षण पर पेंच फंसने से ऐसा नहीं हो सका। चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। इधर, यूपी सरकार ने ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया को नए सिरे से पूरा करने के लिए ओबीसी आयोग का गठन भी कर दिया था तो जो अभी अपनी रिपोर्ट तैयार करने में जुटा है। पिछले दिनों निकाय चुनाव लंबे टलने की खबरें देखकर मेयर, नगर पालिका, नगर पंचायत अध्यक्षों के साथ पार्षद-सभासद इलेक्शन की तैयारी कर रहे दावेदार मायूस हो गए नजर आने लगे थे।
क्योंकि, नगर निकायों में आरक्षण का फार्मूला ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आने के बाद नए सिरे से तय होना है। ऐसे में दावेदारों को फिलहाल आरक्षण का नया गणित सामने आने तक इंतजार करना पड़ेगा। मगर संभावित आरक्षण का अपना-अपना समीकरण देखते हुए दावेदार टिकटों की जोड़तोड़ में अभी भी लगे नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी के स्तर से अप्रैल-मई में चुनाव होने का संदेश सामने आते ही चुनावी दावेदार अब आगे लिए अपने लश्कर सजाने में जुट गए हैं।
निकाय चुनाव पर चर्चा के साथ यहां ये बताना भी जरूरी है कि सत्तारूढ़ भाजपा निकाय और लोकसभा चुनाव को लेकर जमीनी होमवर्क के साथ राज्य में नए संगठन को लेकर भी मंथन-मनन करने में लगी है। दरअसल, प्रदेश भाजपा की कमान भूपेन्द्र चौधरी में हाथ आए समय बीत चुका है मगर अभी तक उनका संगठन घोषित नहीं हुआ है। राजधानी लखनऊ में भाजपा की प्रदेश कार्यसमित की बैठक में यूपी संगठन पर मंत्रणा के लंबे दौर चले हैं। क्योंकि जिला और महानगर व क्षेत्र भाजपा संगठन का कार्यकाल खत्म होने की वजह पार्टी इस दिशा में भी काम कर रही है। पहले राज्य और उसके बाद नीचे के संगठन जल्द तय होने की बात फिलहाल भाजपा कैंप से सामने आ रही है। समाजवादी पार्टी भी भंग संगठन को नए रूप-रंग में सामने लाने की कवायद जोरशोर से कर रही है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अप्रैल-मई में संभावित निकाय चुनाव की बागडोर जिला और महानगर में मौजूदा संगठन संभालता दिखेगा, या नई ताकत से नए चेहरे इस भूमिका में नजर आएंगे। फिलहाल तो सबकी जुबान पर अब एक बार निकाय चुनाव की चर्चा है और सरकार इसके लिए अप्रैल-मई को लक्ष्य बनाकर अपना अभ्यास शुरू कर चुकी है