प्रथम नवरात्रि के दिन जानिए, बरेली के इन चार प्रमुख देवी मन्दिरों का इतिहास और मान्यता, देखें यह खबर

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न्यूज टुडे नेटवर्क। चैत्र नवरात्र दो अप्रैल से शुरू हो रहे है। पिछले दो साल से कोविड के चलते मंदिरों में दर्शन-पूजन ठीक से नहीं हो रहे थे। इस साल देवी मंदिरों में नवरात्र को लेकर विशेष तैयारियां शुरू हो गई है। मंदिरों में रंग-रोगन के साथ ही उनमें सजावट का कार्य भी शुरू हो गया है। नवरात्र के कारण बाजार में रौनक शुरू हो गई है।

चौरासी घंटा मन्दिर

मंदिर स्थापना के दिन श्रद्वालुओं ने चढ़ाए थे 84 घंटे

सुभाषनगर करगैना रोड पर स्थित चौरासी घंटा मंदिर के देवी दरबार में नवरात्र में पूरा दिन भक्तों का मेला लगा रहता है। यहां इस समय लाखों घंटे बंधे है। मान्यता है कि यहां जो मनोकामना मांगी जाती है,वह जरूर पूरी होती है।

जानकारों से मिली जानकारी के अनुसार स्वर्गीय उमाशंकर गर्ग ने 1969 में यहां प्लाट खरीदा था। नींव की खुदाई के समय शकुंतला देवी के सपने में देवी मां आई और मकान से पहले मंदिर बनबाने को कहा। शकुंतला देवी ने यह बात पति को बताई,उसके बाद पति ने मकान का निर्माण रूकवा दिया ओर सड? किनारे देवी मंदिर बनबाया। निर्माण के बाद पहले दिन वहां जुटे भक्तों ने 84 घंटे मां को चढ़ायें और तभी से मंदिर का नाम चौरासी घंटा मंदिर पड़ गया,स्वर्गीय उमाशंकर गर्ग ने 2007 में ज्योति जलाई थी,जो आज तक जल रही है। अब इस मंदिर पर भक्तों द्वारा चढ़ाए हुए 1.54 लाख से अधिक घंटे लगे हैं।

कालीबाड़ी स्थित मां काली देवी मंदिर

मां काली देवी के मंदिर में भक्तो का सैलाव,मन्नत के लिए बांधी जाती है गांठ

कालीबाड़ी स्थित मां काली देवी का प्राचीन मंदिर सैकड़ो सालों से भक्तों की आस्था का केन्द्र रहा है। नवरात्रि के दिनों में तो यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। दूर-दराज से भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते है और पूजा-अर्चना कर मां का आर्शीवाद लेते है। मान्यता है कि यहां दर्शन पूजन से मां काली की कृपा भक्तो पर बरसती है ओर उनकी सभी मुरादें मां काली पूरी करती है।

मां काली देवी का लगभग ढाई सौ साल पुराना प्राचीन मंदिर है। वैसे तो इस मंदिर में हमेशा ही भक्तों की भीड़ रहती है,लेकिन नवरात्रि के समय यहां भक्तो की लंबी कतारे मां के दर्शन के लिए लगती है। भक्त मां काली देवी के मंदिर में आकर उनके दर्शन कर पूजा-अर्चना करते है ओर सुख शांति, समृद्वि की दुआ करते हुये अपनी मुरादों को मांगते है।

काली देवी प्रबंध कमेटी के मंत्री रूपकिशोर का कहना है कि मंदिर के इतिहास की बात की जाये तो लगभग ढाई सौ वर्ष पहले यहां गोबर की बनी प्रतिमा की पूजा होती थी। बताया जाता है कि एक बंगाली बाबा को मां काली देवी ने सपने में दर्शन दिये थे ओर मंदिर का निर्माण कराकर मां काली देवी मूर्ति की स्थापना कराने को कहा,इसके बाद बंगाली बाबा ने लोगो के सहयोग से मंदिर बनबाकर मां काली की प्रतिमा स्थापित की। मां काली देवी के इस मंदिर में मन्नत का धागा बांधने की भी परम्परा है। भक्त यहा कच्चे धागे और चुंदरी से गांठ बांधकर मन्नत मांगते है ओर मन्नत पूरी होने पर इस गांठ को खोल देते है।

नौ देवी मंदिर :यहां पूरी होती है भक्तों की हर मनौती

मंदिर के पुजारी योगी किशोर नाथ बताते है कि 10 अक्टूबर 1966 को उनके गुरू योगी काशीनाथ जी को नव दुर्गा मंदिर की स्थापना का शुभादेश हुआ। दो दिन बाद उन्हे अहसास हुआ कि जैसे मां भगवती कह रही है कि मेरी एक नही नव प्रतिमाओं की स्थापना करों,उसके बाद उन्होंने साहूकारा में एक स्थान पर छप्पर डालकर मां का भजन कीर्तन शुरू कर दिया। धीरे धीरे ख्याती शहर में फैल गई और लोगो ने मंदिर निर्माण के लिए दान देना शुरू कर दिया। 03 मार्च 1968 को माघ शुक्ल बसंत पंचमी के दिन विधिवत अर्चना पूजन करके मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठïा की गई,इसके बाद एक दिन योगी काशीनाथ ने अपने गुरू से कहा कि एक बार उन्हे माता के सम्मुख प्रकट करे। उस समय उन्होंने माता की ओर देखकर कहा कि जिस प्रकार से 14 माह में सपना साकार किया है। वैसे ही इस दरबार में कभी कोई निराश होकर नही जाय,इसके बाद मां की दिव्य झांकी का दर्शन खुल गया ओर हजारों लोगो की जय माता की ध्वनि से आकाश गूंज उठा।

श्री मॉ मनोकामना वैष्णों धाम मंदिर

मॉ मनोकामना वैष्णों धाम मंदिर में नौ देवीयों का प्रमुख दरबार है,जहां भक्त लोग अपनी कामनाओं, मनोतियों के लिए गांठ बांधते है। मां अपने भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करती है। प्रांगण में राधा कृष्ण एवं राम दरबार स्थापित है। भक्तजन प्रत्येक मंगलवार व शनिवार को सुन्दर काण्ड एवं भजन कीर्तन का आनन्द लेते है।

श्री शिव शक्ति सेवा समिति द्वारा संचालित श्री मां मनोकामना वैष्णों धाम मंदिर क मेटी के कोषाध्यक्ष कमल प्रकाश अग्रवाल का कहना है कि मां वैष्णों देवी की प्राचीन स्वरूप वाली पत्थरों की पानी वाली गुफा का निर्माण किया गया है। गुफा में मां वैष्णों देवी, तीनों पिंडी स्वरूप में महासरस्वती, महालक्ष्मी, महाकाली के रूप में विराजमान है। साथ ही भोलेनाथ व गणेश जो भी स्थापित किये गये है। गुफा में कुछ दूरी पर मां वैष्णों देवी के चरण पादूका के दर्शन भी प्राप्त हा रहे है। मां वैष्णों देवी की यह विशेष अनुकम्पा 10 जून 2011 से आरम्भ हो गयी है।

मां मनोकामना वैष्णों धाम मंदिर में मां वैष्णों दरबार के दर्शन के बाद 50 कदम की दूरी पर प्राचीन पीपल के पेड़ के नीचे भैरों बाबा साक्षात रूप में विराजमान है। उन्होंने बताया कि मंदिर प्रांगण में दक्षिण मुखी हनुमान जी, शीतला माता, गौरी शंकर भगवान एवं लक्ष्मी नारायण भगवान भक्तों के दुख, रोगों व कष्टïों को हरण करते है। वही साथ में यज्ञ  की देवी गायत्री माता, मां काली भी अपनी कृपा वर्षा रही है। हर शनिवार को विशेष रूप से नारियल की भेटे चढ़ाई जाती है।

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