कामनवेल्थ गेम्स में भारत के श्रीशंकर मुरली ने Long Jump में सिल्वर जीतकर रचा इतिहास

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न्यूज टुडे नेटवर्क। कॉमनवेल्थ गेम्स में एतिहासिक सिल्वर मेडल जीतकर श्रीशंकर मुरली ने साबित कर दिया है कि मेहनत रंग जरूर लाती है। केरल के पल्लकड़ जिले की 23 वर्षीय खिलाड़ी गुरुवार को बर्मिंघम में 8.08 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सीडब्ल्यूजी पदक जीतने वाले देश के दूसरे पुरुष लॉन्ग जम्पर बन गए है। हमेशा चेहरे पर हंसी रखने वाले श्रीशंकर अपने काम पर फोकस रखने वाले एथलीटों में से एक है।

एतिहासिक जीत के बाद एथलीट की मां जो खुद 800 मीटर की पूर्व धावक रह चुकी है ने कहा कि "हम भाग्यशाली हैं कि हमें शंकु जैसा बेटा मिला। वह सभी के प्रति विनम्र और सम्माननीय हैं और यही वजह है कि वह यहां तक ​​पहुंचा हैं। वह स्कूल से ऐसा ही है। हमें उससे कभी कोई परेशानी नहीं हुई," पिता और कोच मुरली ने बिजमोल ने कहा कि "वह कड़ी मेहनत से कभी पीछे नहीं हटता। वह कभी कोई बहाना या शॉर्टकट नहीं खोजता। मुझे शायद ही कभी उस पर आवाज उठानी पड़ी,”

18 साल की उम्र के बाद ही श्रीशंकर ने फेसबुक और व्हाट्सए इस्तेमाल किया। श्रीशंकर ने कभी भी इन प्रतिबंधों को लेकर हंगामा नहीं किया और उनका मानना ​​है कि इससे उन्हें खेलों पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली। श्रीशंकर के पिता ने हमेशा से पढ़ाई को प्राथमिकता दी। अपने व्यस्त ट्रेनिंग के बावजूद श्रीशंकर ने अकादमिक में बेहतरीन प्रदर्शन किया। मुरली ने 10वीं और 12वीं कक्षा में अपने स्कोर को 95% से ऊपर ही रखा।

राष्ट्रमंडल खेलों में जीत हासिल करने से पहले ही श्रीशंकर की बड़ी संख्या में प्रशंसक हैं जिनमें से उनकी बहन श्रीपार्वती के मेडिकल कॉलेज के कई दोस्त भी शामिल हैं। बहन ने कहा कि “हम उसके सभी कार्यक्रमों को एक साथ देखते हैं। वह मुझे कभी-कभी वीडियो पर कॉल करता है और मेरे दोस्तों को भी हैलो कहता है। उनकी वजह से मैं पॉपुलर हो रही हूं।"श्रीशंकर को प्रतियोगिताओं के बीच कुछ समय मिलता है, तो वह दोस्तों के साथ "पार्टी" करना पसंद करते हैं।