एग्जाम में अच्छे marks नहीं ला पाता आपका लाड़ला तो पैरेंट्स अपनाएं ये ट्रिक्स
न्यूज टुडे नेटवर्क। परीक्षा का नाम सुनते ही बच्चों के साथ-साथ उनके पेरेंट्स को भी टेंशन होने लगती हैं। परीक्षा के मार्क्स के आधार पर ही तय होता है कि बच्चा आगे किस विषय की पढ़ाई कर सकता है। स्वाभाविक रूप से, इससे बच्चों और पेरेंट्स पर अतिरिक्त तनाव पैदा होता है। वैसे तो हर छात्र बोर्ड्स में अच्छे मार्क्स लाने की पूरी कोशिश करता हैं। लेकिन जीवन हमेशा हमारी योजना के अनुसार नहीं चलता। कई बार बच्चे को अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाता है। इससे उसका मनोबल काफी गिर जाता है, जिससे वह पूरी तरह टूट सकता है। वहीं, दोस्तों, पड़ोसियों या रिश्तेदारों के बार-बार फोन करने से वह और भी परेशान हो सकता है। इसलिए इस समय माता-पिता को काफी संवेदनशील बनना होगा। बतौर पेरेंट्स, इस समय आपका पहला कर्तव्य बच्चे के साथ रहना है, भले ही उसके परिणाम से आपको निराशा ही क्यों न हुई हो। आइए जानते हैं कि कम मार्क्स आने पर आप कैसे अपने बच्चे को गाइड कर सकते हैं -
सबसे पहले खुद को समझाएं कि परीक्षा जीवन का अंत नहीं है। यदि आप अपने बच्चे के सामने अपनी निराशा व्यक्त करते रहेंगे तो वह और भी अधिक दोषी महसूस करेगा।
इस समय रिश्तेदार-पड़ोसी या दोस्तों के फोन आना स्वाभाविक है। लेकिन जितना हो सके इनसे बचें। क्योंकि इससे आपका बच्चा परेशान हो सकता है। इसके अलावा, फोन पर सामान्य रूप से बात करें। फोन पर 'नहीं, यह इतना अच्छा नहीं कर पाया।।।' जैसी टिप्पणी न करें। इससे आपके बच्चे की भावनाएं आहत होंगी।
बच्चे के सामने बार-बार चर्चा न करें कि किसका कितना अच्छा परिणाम आया और किसने कितने अंक प्राप्त किए। अपने बच्चे को यह पूछकर शर्मिंदा न करें कि उसके दोस्तों का रिजल्ट कैसा रहा।
घर का माहौल सामान्य रखें। एक परीक्षा में खराब परिणाम का मतलब यह नहीं है कि पूरा परिवार एक साथ शोक मनाता रहे।
सबकी योग्यताएं या प्रतिभाएं समान नहीं होती हैं। अगर आपका बच्चा पढ़ाई में सामान्य है तो उससे टॉप करने या किसी चमत्कार की उम्मीद न करें।
अपने बच्चे को समझाएं कि बोर्ड परीक्षा के मार्क्स ही उसकी एकमात्र पहचान नहीं है। वह किस तरह का व्यक्ति है, यही असली बात है। परीक्षा में आए अंकों से उसके प्रति आपका रवैया नहीं बदलेगा।
इस समय बच्चे को ज्यादा अकेला न रहने दें। अपने बच्चे के साथ बैठें और उसके साथ बातचीत और मौज-मस्ती करें। फिर उससे धीरे-धीरे उसकी भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करें।
कई ऐसे लोग हैं जिन्हें परीक्षा में अच्छे परिणाम नहीं मिलते हैं। लेकिन उसके बाद भी उन्हें अपने मनपसंद विषय में पढ़ने का मौका मिला और उन्होंने जीवन में अच्छे परिणाम भी हासिल किए। अपने बच्चे को ऐसे लोगों का उदाहरण दें।
बच्चे को समझाएं कि स्कूल की परीक्षा ही जीवन का अंत नहीं है। उसके बाद जीवन में और भी कई परीक्षाएं होंगी। ऐसे कई लोग हैं जो परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन ना कर पाने के बाद भी जीवन में सफल हुए हैं।
यदि आपका बच्चा बुरे परिणामों को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं कर सकता है तो आपको उसे परामर्श के लिए मनोवैज्ञानिक के पास ले जाना चाहिए। पेशेवर मदद लेने में कोई शर्म नहीं है।