रुहेलखंड में आसमान से टूटी आफत, बरेली-पीलीभीत में धान-सब्जी की फसलें तबाह, रोए अन्नदाता

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न्यूज टुडे नेटवर्क/ यूपी के बरेली और पीलीभीत जिलों में पर इंद्र का कोप हुआ है। इंद्र कृपा की जब जरूरत थी, तब बूंद पानी का वरदान रुहेलखंड को मिला नहीं और अब बारिश की जरूरत नहीं है तो आसमान से आफत बरस रही है। पहले सूखे रुलाया और अब किसानों को भारी बारिश तबाही के मंजर दिखा रही है। तिनका-तिनका जोड़कर हजारों किसानों ने धान की फसल बोई थी। पूरे सीजन बारिश नहीं होने से बेचारे किसान कर्ज लेकर, गहने तक गिरवी रखकर महंगा डीजल से फसलों में जान फूंकते रहे। अब फसल कटने का वक्त था, तो बारिश ने सत्यानाश कर डाला। बरेली, पीलीभीत में धान की फसलें पूरी तरह पानी में डूब गई हैं। जल प्रलय ऐसे वक्त हुई, जब धान की फसल या तो कट चुकी थी या फिर कटने को बिल्कुल तैयार थी। तीन दिन में इतनी बारिश हुई कि खेत-खलिहान टापू बन गए और धान की फसलें पूरी तरह पानी में समा गई हैं।

रुहेलखंड में ऐसी तबाही हर तरफ नजर आ रही है। इस समय बारिश की किसी को जरूरत नहीं थी। सर्द मौसम दस्तक दे रहा था और खेतों में लहलहाती धान की फसल देखकर किसानों के चेहरे खिल रहे थे। इंद्र देव नाराज न होते तो थोड़े वक्त को ही सही, किसानों के अच्छे दिन आने वाले थे। फसल सही से कटकर बाजार में पहुंचती तो उनको ठीक-ठाक रेट मिलते। पैसे मिलते तो उनके आंगन की तंगी दूर होती। कोई बच्चों की फीस भरता तो कोई बेटियों की ठीक से शादी कर पाता। मगर ऐसा नहीं हुआ। न जाने क्यों इंद्रदेव किसानों से ऐसे कुपित हुए कि सब कुछ बर्बाद कर डाला। आसमान से ऐसी आफत बरसाई कि फसलें तबाह हो गईं। सिर्फ धान की फसल ही नहीं,भारी बारिश से गन्ना गिर गया। गोभी की फसल बीच में ही तबाह हो गई।

 

मूली, तोरई, लोकी, कद्दू, मिर्च, धनिया जैसी फसलें कर किसी तरह अपना और परिवार का पेट पाल रहे किसान भी संकट में आ गई। तीन दिन की बारिश ने उनके खेतों में ऐसी बाढ़ ला दी है कि सब्जियां सड़ रही हैं। इसके साइड इफैक्ट किसानों को ही नहीं, शहरों में रहने वाले लोगों को भी उठाने पड़ रहे हैं। किसानों की सब्जियां बारिश के चलते मंडी में नहीं आ रहीं तो शहरों में रोज के उपयोग वाली हरी सब्जियों की कमी हो गई है। सब्जी विक्रेताओं ने बताया कि पहले रोज की खपत के हिसाब से मंडी से सब्जियां खरीदकर लाते थे और शहर बेचते थे। अब मंडी में माल ही नहीं दिख रहा। इसकी वजह से सब्जियां महंगी हो गई हैं। हरी मिर्च का रिटेल रेट 200 रुपये पर जा पहुंचा है। पुराना आलू 35 रुपये और नया 50 के रेट में बिक रहा है। हरा धनियां सोने के भाव छू रहा है। तोरई-लोकी के भाव भी आसमान पर हैं। त्यौहारी सीजन में जब सब्जी की खपत घरों में ज्यादा होती है तो ऐसे वक्त में दोगुने रेट पर सब्जियां मिलने से आम आदमी भी कराह रहा है।

क्या गांव और क्या शहर, हर तरफ जल प्रलय के हालात दिखाई दे रहे हैं। बरेली शहर के निचले इलाके ही नहीं, पॉश कालोनी राजेन्द्र नगर, रामपुर गार्डन, ग्रीन पार्क, सिविल लाइंस में भी समुंदर जैसे ही स्थिति दिख रही है। पीलीभीत के पूरनपुर इलाके में बारिश के दौरान बिजली गिरने से फार्मर साहब सिंह की जान चली गई है। बारिश में पेड गिरने से कितनी ही गाड़ियां टूट गई हैं। बरेली में रेलवे ट्रैक भी पानी में डूबे नजर आ रहे हैं और गाड़ियों को धीमे गुजारना पड़ रहा है। रोडवेज बस स्टेंड पानी में डूबे दिखा दे रहे हैं और यात्री परेशान हैं। बारिश से बर्बाद हुए किसान अब सरकार की तरफ देख रहे हैं और मुआवजे की आस लगा रहे हैं। वैसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य के कई जिलों में अतिवृष्टि को देखते हुए सभी जिलाधिकारियों को राहत, बचाव एवं मदद के कड़े निर्देश जारी कर दिए हैं। अब देखना ये है कि सरकारी मशीनरी बर्बाद किसानों के जख्मों पर किस तरह मरहम लगाने का काम करती है। इससे पहले तो सरकारी मदद एवं मुआवजे के अनुभव बेहद खराब ही देखे गए हैं।

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