बरेली: गुरू तेग बहादुर जी के शहीदी पर्व पर गुरूद्वारों में लंगर व गुरूवाणी कीर्तन का आयोजन

न्यूज टुडे नेटवर्क। सिक्खों के नौंवे गुरू साहिब श्री गुरू तेग बहादुर जी के पावन शहीदी पर्व पर गुरुद्वारा दुःख निवारण साहिब संजय नगर बरेली में वैरागमई कीर्तन से संगत की आंखे हुई नम। नियमानुसार गुरुद्वारा साहिब में प्राता: साहिब श्री गुरू ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया गया। गुरुवाणी कीर्तन के दौरान विभिन्न संस्थाओं एवं गुरुद्वारों से आई प्रभात फेरियों का स्वागत किया गया। आसा की वार का कीर्तन रागी भाई अमरजीत सिंघ ने किया। सिक्ख मिशनरी कालिज के विद्यार्थियों ने एवं अखंड कीर्तनी जत्थे ने गुरुवाणी कीर्तन कर संगत को निहाल किया। हेड ग्रंथी ज्ञानी बलजीत सिंघ ने गुरू तेग बहादुर साहिब द्वारा श्री गुरू ग्रंथ साहिब में अंकित गुरुवाणी के बारे में बताया।

श्री दरबार साहिब अमृतसर से आए पंथ प्रसिद्ध रागी भाई करनजीत सिंघ ने शबद तेग बहादुर के चलत भयो जगत को सोक, है है है सभ जग भयो, जै जै जै सुर लोकि दिल्ली से आए पंथ प्रसिद्ध प्रचारक भाई अंग्रेज सिंघ ने साहिब श्री गुरू तेग बहादुर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार गुरू तेग बहादुर साहिब ने

कश्मीरी पंडितों की गुहार सुनकर हिन्दू धर्म की रक्षा हेतु तत्कालीन शासक औरंगजेब के तुगलकी फरमान पर अपना बलिदान कर दिया। उनके साथ गए सिक्ख भाई मती दास को आरे से चीर कर शहीद किया गया, भाई सतीदास को रुई में लपेट कर जला कर शहीद किया गया एवं भाई दयाला जी को पानी में उबाल कर शहीद किया गया। उसके बाद गुरू तेग बहादुर साहिब जी के सिर को धड़ से अलग कर दिया गया।
अरदास एवं हुकुमनामे के साथ समाप्ति हुई सारी संगत ने गुरू का लंगर अटूट छका । संचालन मालिक सिंघ कालङा ने किया। इस अवसर पर अमरजीत सिंह कालरा, महेन्द्र सिंह, रविन्द्र सिंह, हरवन्त पाल सिंह बेदी, गुरमीत सिंह, राजिंदर सिंह, अमन सोढ़ी, गुरदीप सिंह, राजा चावला, एम पी सिंह, भूपेन्द्र सिंह का सहयोग रहा। कमेटी के अध्यक्ष सरदार कुलदीप सिंह पन्नू ने सारी संगत को सहयोग के लिये धन्यवाद दिया।