बरेली: महाभारत काल से है संबंध इसलिए, ये बनेगा पर्यटन का केन्द्र, जहां पांडवों की पत्नी रहती थी, भगवान पार्श्वनाथ भी यहां आए थे...

न्यूज टुडे नेटवर्क। बरेली जिले को पांडवकालीन सभ्यता से जोड़ने वाला आंवला तहसील के रामनगर में स्थित अहिच्छत्र जल्द ही पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। अहिच्छत्र का इतिहास पांडवकालीन सभ्यता से जुड़ा हुआ है। महाभारत पुराण में इस अहिच्छत्र का जिक्र किया गया है अहिच्छत्र को प्राचीन काल में पांचाल नगरी के नाम से संबोधित किया जाता था। प्राचीनतम इतिहास के अनुसार पांडवों की पत्नी जिन्हें पांचाली का संबोधन प्राप्त था वे यहीं की थीं। इससे इस जगह की प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

अहिच्छत्र को पर्यटन स्थल घोषित किया गया है। इस स्थान को विकसित करने के लिए शासन को प्रस्ताव भी भेजा चुका है। जल्द ही यह स्थान देश भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगा। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए कई विशेष आधुनिक स्तर की सुविधाओं की व्यवस्था की जानी है। जिसके मद्देनजर यहां शुद्ध पेयजल के साथ साथ स्वच्छ शौचालयों का निर्माण किया जायेगा। पर्यटकों के बैठने के लिए बेचों का निर्माण भी होगा, पर्यावरण की दृष्टि से आसपास के क्षेत्र में हरा भरा पार्क भी विकसित किया जायेगा। यहां एक पूछताछ केन्द्र भी स्थापित किया जायेगा।

ये है अहिच्छत्र का प्राचीन इतिहास
अहिच्छत्र पांचाल देश की राजधानी रहा है। वहीं पांचाल जिसका जिक्र महाभारत में आता है और पांडवों की पत्नी द्रौपदी यानी पांचाली यहीं की थी। इससे इस जगह की प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अहिच्छत्र के अवशेष यहां अभी भी हैं। यह जगह बरेली शहर से तकरीबन साठ किलोमीटर दूर है। अहिच्छत्र का किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआई) की निगरानी में है।
भगवान पार्श्वनाथ की तप स्थली भी है यहां
आंवला क्षेत्र का रामनगर जैन धर्म के ईष्ट भगवान पार्श्वनाथ की तप स्थली रहा है और यहाँ पर एक भव्य मंदिर भी बना हुआ है। मंदिर में दर्शन के लिए दूर दूर से श्रद्धालु यहाँ पहुंचते हैं। ये क्षेत्र पर्यटन स्थल न होने की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। इस क्षेत्र को लम्बे समय से पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग चली थी ! अब जल्द ही यहां भी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने की उम्मीद है