Bareilly: तकनीक के साथ बदली 92 साल पुरानी शंकर पुस्तक भंडार, यहाँ मिल रहे जन्माष्टमी के पोस्टर कैलेण्डर हजार (VIDEO)
यहां आसानी से मिल जाते हैं धार्मिक साहित्य, पोस्टर कैलेण्डर, पांचांग पूजन विधि सामग्री
न्यूज टुडे नेटवर्क। जन्माष्टमी के त्यौहार की धूम अब चारों ओर छा गयी है। कोविड संकट के दो साल बाद अब सब कुछ खुलने के बाद पूरी छूट के साथ इस बार जन्माष्टमी का यह पहला त्यौहार मनाया जा रहा है। बाजार गुलजार हो गए हैं, दुकानों पर खरीददारों की भीड़ उमड़ रही है। जन्माष्टमी का पर्व हर्षोल्लास का पर्व है इसलिए सभी अपने अपने तरीके से इसे मनाते हैं। ठाकुर जी के स्वागत के लिए लोग तरह तरह की तैयारियां करते हैं। घरों में बहुरंगी संजावटें की जाती हैं, तो वहीं एक से बढ़कर एक पकवान भी बनाए जाते हैं।
जन्माष्टमी के कैलेंडर व पोस्टर बाजार में इस वक्त छाए हुए हैं। नए जमाने की तकनीक का असर त्यौहारों पर भी साफ दिखायी दे रहा है। मौका जन्माष्टमी के पावन पर्व का है ऐसे में जन्माष्टमी के पूजन कैलेंण्डर का एक अलग ही महत्व है। जन्माष्टमी पूजन के लिए पिछले कई दशकों से बाजार में कैलेंडर का चलन खूब चल रहा है। कैलेंण्डर में भगवान श्री कृष्ण को कालिया नाग के फन पर खड़े होकर कालीदह लीला करते हुए दिखाया जाता है। जन्माष्टमी कैलेण्डर में इसके नीचे भगवान कृष्ण के अन्य सखाओं, गोपी गोपिकाओं, गाय बछड़ों और ग्वालों के साथ साथ देवी देवताओं की तस्वीरें बनी दिखायी देती हैं। एक दशक पहले तक जन्माष्टमी पूजन के कैलेंण्डर केवल एक रंग सफेद व लाल रंग के हुआ करते थे लेकिन अब इन कैलेंण्डर्स को तकनीक ने पूरी तरह बदल दिया है। अब ये कैलेण्डर बेहद आकर्षक और बहुरंगी तरीके से विभिन्न प्रकार से सजे बाजार में दिखायी देते हैं।
बरेली के बड़े बाजार में स्थित धार्मिक साहित्यिक पुस्तकों व कैलेंण्डर्स पोस्टर आदि की करीब 92 साल पुरानी दुकान शंकर पुस्तक भंडार के विक्रेता राजकुमार शर्मा बताते हैं कि जैसे जैसे नई नई तकनीक आती गयीं वैसे वैसे भगवान के पूजन कैलेंडर व पोस्टरों आदि का स्वरूप भी बदलता चला गया। बीते दौर में स्क्रीन प्रिन्टिंग से पूजन के कैलेंडर व पोस्टर तैयार किए जाते थे, लेकिन अब स्क्रीन प्रिन्टिंग गुजरे जमाने की बात हो चली है। अब इस प्रिन्टिंग की जगह बड़ी और स्वचलित आटोमेटिक मशीनों ने ले ली है। जिससे कैलेंडर व पोस्टर की तस्वीरें अब बदल गयी हैं। पहले जन्माष्टमी के कैलेंडर केवल एक रंग सफेद और लाल रंग के होते थे, लेकिन अब बाजार में जन्माष्टमी पूजन के बहुरंगी कैलेंडर व पोस्टर उपलब्ध हैं। बरेली के बड़े बाजार में शंकर पुस्तक भंडार पर सर्वाधिक रेंज विभिन्न प्रकार के कैलेंडर और कान्हा जी के पोस्टर आदि मौजूद हैं।
आपको बता दें कि शंकर पुस्तक भंडार करीब 92 सालों से बरेली में धार्मिक व विभिन्न प्रकार के साहित्य सामग्री की बिक्री करने वाली सबसे पुरानी दुकान है। बरेली में शंकर पुस्तक भंडार की स्थापना स्व हरीओम प्रकाश गुप्ता ने करीब 1930 में की थी। उन्हें अपने पिता से यह व्यवसाय विरासत में मिला था।
पिछले 92 सालों से धार्मिक साहित्य और धार्मिक पूजन सामग्री विधि आदि की पुस्तकों आदि के लिए शंकर पुस्तक भंडार का नाम जाना जाता है। यहां गीता प्रेस गोरखपुर की सर्वाधिक पुस्तकें, ग्रंथ, रामचरित मानस समेत सभी प्रकार के पांचांग, सर्व प्रचलित वाराणसी का पांचांग और तमाम प्रकार की धार्मिक पुस्तकें, वेद, पुराण से संबंधित साहित्य सहज ही उपलब्ध हो जाता है। समय के साथ साथ 92 साल का लंबा सफर तय करके आज शंकर पुस्तक भंडार भी आधुनिकता की दौड़ के साथ अपने स्वरूप को बदल चुका है। शंकर पुस्तक भंडार के संस्थापक हरिओम प्रकाश गुप्ता की तीसरी पीढ़ी के सदस्य डा आशीष गुप्ता आज भी अपने पिता की इस दुकान को बखूबी संचालित कर रहे हैं।