उर्से रज़वी में अक़ीदतमंद कपड़े की चादरें पेश करने से बचे: अहसन मियां
कपड़े की चादर में खर्च होने वाली रकम से कर दें किसी गरीब की मदद
न्यूज टुडे नेटवर्क। दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन अहसन मियां ने कहा है कि अकीदतमंद बुजुर्गों व वलियों की मजारों पर चादरें पेश करने से बचें। लंबी चादरें पेश करने की बजाय इस पर खर्च होने वाली रकम को जरूरतमंदों को मुहैया कराना चाहिए।
कहा कि बुज़ुर्गों व अल्लाह के वलियों के मज़ार पर चादर पेश करना सुन्नी उलेमा व हमारे बुजुर्गों ने जायज़ करार दिया है। मज़ारों पर चादर पेश करना सुन्नीयों का तरीका है। अलबत्ता उर्से रज़वी के दौरान कपड़े की चादरों के बड़े-बड़े जुलूस लाने से बचें। कपड़े की चादर की जगह आला हज़रत के मज़ार पर फूल पेश कर खिराजे अक़ीदत पेश करें। क्योंकि आला हज़रत ने खुद इरशाद फरमाया की बुजुर्गों के मज़ार पर पहले से चढ़ी चादर जब तक बोशीदा ने हो जाये (मैली या कट-फट न जाये) तब तक दूसरी चादर पेश न करें।
देखा जाता है लोग अक़ीदत में कोई 100 मीटर की तो कोई इसे ज़्यादा की कपड़े की चादर का जुलूस लेकर दरगाह पहुँचते है। जो सामाजिक ऐतबार से भी दुरुस्त नही। बड़े-बड़े जुलूस जाम का कारण बनते है जिससे राहगीरों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। हमारा कोई अमल ऐसा नही होना चाहिए जिससे किसी को परेशानी हो।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने सज्जादानशीन के बयान की जानकारी देते हुए बताया कि मुफ्ती अहसन मियां ने सभी से अपील करते हुए कहा कि कपड़े की चादर पर खर्च होने वाली रकम को अकीदतमंद देश विदेश से आने वाले ज़ायरीन के लिए लंगर का इंतेज़ाम करा दे। या फिर किसी गरीब बेटी,यतीम (अनाथ),बेवा (विधवा) जिसके पास पहनने को कपड़े नही है उनको कपड़े मुहैय्या करा दे। ऐसे छात्र जो तालीम हासिल कर रहे है उनके लिए किताबें या फीस का इंतेज़ाम करा दे। बीमारों पर भी चादरों के पैसों की रकम खर्च कर सकते है।