वायुसेना दिवस विशेष: देश के दुश्‍मनों को सबक सिखाने के साथ- साथ बरेली के विकास में भी योगदान दे रहा है त्रिशूल एयरबेस

 | 

न्‍यूज टुडे नेटवर्क। आज पूरे देश में गर्व से वायुसेना दिवस मनाया जा रहा है। ऐसे में देश की सुरक्षा में सजग प्रहरी की तरह तैनात बरेली के त्रिशूल एयरबेस की बात अगर ना हो ऐसा नहीं हो सकता। भारत चीन युद्ध का साक्षी त्रिशूल एयरबेस देश के दुश्‍मनों को सबक सिखाने के साथ साथ अब बरेली के विकास में भी अहम योगदान दे रहा है। वास्‍तव में त्रिशूल दुश्‍मनों के लिए खौफ का दूसरा नाम है। सर्जिकल स्ट्राइक हो या उत्तराखंड की केदारनाथ आपदा त्रिशूल के विमान और जांबाजों ने अहम भूमिका निभाई है।  साथ ही चीन बॉर्डर की निगरानी में भी त्रिशूल हर पल सक्रिय रहता है।

त्रिशूल एयरबेस भारतीय वायुसेना का अति महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बलबूते ही उत्तराखंड में केदारनाथ त्रासदी समेत कई अन्य रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए गए हैं। त्रिशूल के AHL हेलीकॉप्टर ने केदारनाथ आपदा के समय वहां फंसे लोगों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

देश के लिए गौरव बन चुकी सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान फाइटर प्लेन मिराज त्रिशूल एयरबेस से ही होकर गए थे। चीन बॉर्डर की निगरानी के लिए यह त्रिशूल एयरबेस बहुत ही महत्वपूर्ण है और हर पल हर स्थिति से निपटने के लिए यह त्रिशूल एयरबेस सबसे सजग रहता है। 

त्रिशूल एयरबेस से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोलिंग ( ALC ) की निगरानी की जाती है। ताकि दुश्मन देशों की आसमान के रास्ते हो रही गतिविधियों की पल-पल की जानकारी मिल सके। एयरफोर्स का कंट्रोल रूम हर पल सजग रहता है। कभी सोता नहीं है, क्योंकि एक झपकी भी देश के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। हल्की सी हलचल हो या कोई हेलीकॉप्टर भारत की सीमा में जैसे ही प्रवेश करता है। एयरबेस में खड़ा सुखाई विमान चंद मिनट में हजारों मीटर की ऊंचाई से सटीक निशाना लगाकर उसे नेस्तनाबूद करने में सफल होता है।

पायलट की ट्रेनिंग में ईंधन की खपत समेत हेलिकॉप्टर में खराबी, दुर्घटना होने से जालमामल के नुकसान की आशंका रहती है। इससे निपटने के लिए त्रिशूल एयरबेस में फाइटर प्लेन सुखोई को उड़ाने की ट्रेनिंग सिमूलेटर पर दी जाती है।

3 माह ट्रेनिंग पूरी कर चुके जूनियर पायलट को आसमान में पराक्रम दिखाने का मौका मिलता है। अब इस ट्रेनिंग में ऑन डिस्पले जूनियर पायलट को ब्रह्मोस मिसाइल को कनेक्ट करने और उसे दागने की तकनीकि भी सिखाई जा रही है। ताकि प्रशिक्षित पायलट जरुरत पड़ने पर दुश्मन को धूल चटा सकें।

आम जनता को भी सहूलियत
बरेली एयरपोर्ट से उड़ानों के लिए एयरफोर्स की हवाईपट्टी का ही इस्तेमाल होता है। त्रिशूल एयरबेस के सहयोग से ही बरेली में हवाई उड़ानें संभव हो सकी हैं। इससे बरेली और आसपास के अन्य शहरों के विकास को नए आयाम मिले हैं।

अब यहां से दिल्ली, मुंबई और बंगलूरू के लिए हवाई सेवा शुरू हो चुकी है। जल्दी ही लखनऊ की उड़ान भी शुरू करने की तैयारी है।

WhatsApp Group Join Now