हल्द्वानी पहुंचे लोकगायक बीके सामंत ने सुनाया पलायन का दर्द, इस गीत न तोड़ सारे रिकॉर्ड

Haldwani news- उत्तराखंड के सुपरस्टार लोकगायक बीके सामंत Uttarakhand superstar folk singer BK Samanta ने आज पत्रकारों से वार्ता करते हुए अपने नये गीत तु ऐ जा औ पहाड़ के बारे में जानकारी दी। विगत 29 सितंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उनका गीत तु ऐ जा औ पहाड़ रिलीज किया था। यू-ट्यूब पर
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हल्द्वानी पहुंचे लोकगायक बीके सामंत ने सुनाया पलायन का दर्द, इस गीत न तोड़ सारे रिकॉर्ड

Haldwani news- उत्तराखंड के सुपरस्टार लोकगायक बीके सामंत Uttarakhand superstar folk singer BK Samanta ने आज पत्रकारों से वार्ता करते हुए अपने नये गीत तु ऐ जा औ पहाड़ के बारे में जानकारी दी। विगत 29 सितंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उनका गीत तु ऐ जा औ पहाड़ रिलीज किया था। यू-ट्यूब पर अभी तक इस गीत को 8 लाख से ऊपर व्यूज मिल चुके हैं। पलायन को रोकने के लिए बीके सामंत द्वारा गाये इस गीत का मुख्य उद्देश्य प्रवासी लोगों को पहाड़ आने की गुजारिश की है। बीके सामंत ने बताया कि अभी तक उनके 8 गीत रिलीज हो चुके हैं। जिसमें सबसे ज्यादा व्यूज के साथ थल की बजारा टॉप पर है।

2 करोड़ के पार हुआ थल की बजारा

बता दें उत्तराखंड के सुपरस्टार लोकगायक बीके सामंत Uttarakhand superstar folk singer BK Samantaके थल की बजारा को अभी तक 2 करोड़ से ऊपर व्यूज मिल चुके हैं। यह उत्तराखंड का ऐसा पहला गीत है जो काफी कम समय 2 करोड़ की श्रेणी में शामिल हुआ। इसके अलावा यो मेरा पहाड़ , सात जनम सात वचन, देवाताओं का थान उनके सुपरहिट गीत रहे। सामंत मूलरूप से लोहाघाट के रहने वाले है। फिलहाल मुंबई में रहकर अपना जीवनव्यापन कर रहे हैं। मुंबई जैसे बड़े शहर में रहने के बावजूद सामंत को उनका संस्कृति प्रेम पहाड़ खींच लाया।

गीतों से संस्कृति बचाने का प्रयास

पत्रकार वार्ता में सामंत ने बताया कि वह अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति का बचाने का प्रयास कर रहे है। साथ गीतों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। आगे भी वह पहाड़ के लिए गीत लिखते रहेंगे। जिस तरह से जनता के उन्हें प्यार दिया है। उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ाया है। द्वन्होंने कहा कि वह मुंबई में रहने के बावजूद पहाड़ की माटी को अपने दिल में संजोकर रखते है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड मेरी जन्मभूमि और मुंबई मेरी कर्मभूमि। इसलिए जितना मेरे से होगा मैं यहां की संस्कृति को संवारने में लगाऊंगा। उन्होंने कहा कि जो लोग शहर में रहकर कुछ अच्छा कर रहे है ऐसे लोग आगे आये और पहाड़ों की दशा सुधारने का काम करें तो एक कारवां बन जायेगा।