हल्द्वानी- अपनो को नशे की लत से ऐसे रखें दूर, आजमायें डॉ. नेहा के ये महत्तवपूर्ण उपाय

विश्व नशा मुक्ति दिवस पर मनसा क्लिनिक की डॉ. नेहा शर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में अधिकतर माता-पिता बच्चों में नशे की लत को लेकर काफी परेशान रहते है। उनकी माने को नशा मानो एक फैंशन बन गया है। नशे के प्रभाव से शैक्षिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, समाजिक व व्यवाहारिक सभी प्रकार के जीवन
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हल्द्वानी- अपनो को नशे की लत से ऐसे रखें दूर, आजमायें डॉ. नेहा के ये महत्तवपूर्ण उपाय

विश्व नशा मुक्ति दिवस पर मनसा क्लिनिक की डॉ. नेहा शर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में अधिकतर माता-पिता बच्चों में नशे की लत को लेकर काफी परेशान रहते है। उनकी माने को नशा मानो एक फैंशन बन गया है। नशे के प्रभाव से शैक्षिक, मानसिक, पारिवारिक, आर्थिक, समाजिक व व्यवाहारिक सभी प्रकार के जीवन पर प्रभाव पड़ता है।

डॉ. नेहा शर्मा ने कहती है कि “नशा एक मनोवैज्ञानिक समस्या है। काउंसलिंग के जरिए रोगी के आईक्यू का मूल्यांकन कर नशे की सोच को बदला जा सकता है। नशा मन से होता है और इसके निवारण के लिए मन का उजागर होना जरुरी है। बच्चो को सकारात्मक ढंग से अनुशासित करें और बेहतर मार्गदर्शन से उन्हें खुश रखने का प्रयास करें।

हल्द्वानी- अपनो को नशे की लत से ऐसे रखें दूर, आजमायें डॉ. नेहा के ये महत्तवपूर्ण उपाय

डॉ. नेहा के कहना है कि नशा का मनोवैज्ञानिक अर्थ है। “किसी भी चीज की लत या आदि होना। जब व्यक्ति किसी चीज पर मानसिक रुप से निर्भर होता है, तो वह नशे में हैं। नशा कई चीजों का होता है, जैसे कि- शराब, चरस, स्मैक, सिगरेट, इन्जेंक्शन, सोशल मीडिया।

कभी शौक के नाम पर, कभी दोस्तों की आड़ में, कभी दुखों का बहना, कभी मजबूरी, कभी टेंशन, ऐसे में नशा की लत कब जिंदगी का हिस्सा बन जाता है पता नहीं चलता। नशे के मनोवैज्ञानिक कारण इस प्रकार है।

– बुद्धि की कमी
– मनोरंजन के रुप में
– आदत बना लेना
– इच्छाशक्ति का कम होना
– फैशन के तौर पर नशा लेना
– संवेगात्मक (इमोशनल) अस्थिरता
– काल्पनिक दुनिया में रहना व वास्तविकता से दूरी
– समायोजन की समस्या
– ज्ञान का अभाव

नशे से होने वाले नुकसान

नशे से शारिरीक व मानसिक दोनों रुप से प्रभावित करता है। शारिरीक रुप से तो हम सभी अवगत है, जैसे- किडनी, लीवर, फेफडों के कैंसर, ब्लड प्रैशर, आतो में घाव व अनेको गंभीर रोग, मानसिक रुप से व्यक्ति में घबराहट, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, अचानक मूड बदलना, व्यक्ति को लगना कि शारीरिक रुप से थकना। लेकिन असल में वह मानसिक रुप से थका होता है। जिससे यादाश्त कमजोर होना, नींद की कमी, भूख कम लगना।

नशे के उपचार (मनोवैज्ञानिक उपचार)

-नशे की लत पड़ने पर मनोचिकित्सक से परामर्श ले, काउंसिलिग व मनोवैज्ञानिक उपचार करवाये

– डायरी बनायें: नशा कब और कितनी मात्रा में लेते है लिखे।

– अपने परिवार में अपनी उपयोगिता दें।

– कैरियर पर विशेष ध्यान दें।

– लक्ष्य बनाये, दृढ़ निश्चिय करें व मनोबल बढ़ाये

– मनोचिकित्सा विधी द्वारा उपचार

– सकारात्मक रहे, खेल-कूद, किताबें पढ़े, म्यूजिक सूने, अपनी दिनचर्या बनायें और व्यस्त रहें।