Uttarakhand Budget 2025 - कृषि मंत्री गणेश जोशी प्राकृतिक और परंपरागत खेती में नहीं कर पाए अंतर, सदन में खूब हुआ बवाल 
 

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Uttarakhand Budget 2025 - उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन एक विवादास्पद माहौल देखने को मिला, जब कृषि मंत्री गणेश जोशी प्राकृतिक और परंपरागत खेती के बीच के अंतर को स्पष्ट करने में असमर्थ रहे। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायकों ने सवाल उठाए, जिसके बाद कृषि मंत्री को जवाब देने में कठिनाई हुई और प्रश्न को स्थगित करना पड़ा।


प्राकृतिक और परंपरागत खेती पर विवाद - 
कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कृषि मंत्री से पूछा कि राज्य के किन जिलों में प्राकृतिक खेती हो रही है और अब तक कितना उत्पादन हुआ है। इसके जवाब में कृषि मंत्री ने बताया कि पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और चमोली जिलों में 1,000 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती की जा रही है। हालांकि, उनका जवाब सदन के सदस्यों को संतुष्ट नहीं कर पाया। विपक्षी विधायकों ने मंत्री पर तंज कसा और उन्हें प्राकृतिक और परंपरागत खेती के अंतर को समझाने में असमर्थ बताया।


प्राकृतिक और पारंपरिक खेती में अंतर - 
प्राकृतिक खेती - इसमें रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है। यह प्रकृति के चक्र पर आधारित होती है और पर्यावरण के लिए अनुकूल मानी जाती है। इसमें प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होता है।
पारंपरिक खेती - इसमें रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता है और जल प्रदूषण हो सकता है।
 

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