Uttarakhand Tableau 2023 - उत्तराखंड के लिया गौरव के पल,  गणतंत्र दिवस पर शामिल झांकी को देश में मिला पहला स्थान
 

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Republic Day 2023 - गणतंत्र दिवस 2023 की परेड में जब कर्तव्यपथ पर उत्तराखंड की झांकी निकली तो उसने सभी को आकर्षित किया. मानसखंड थीम पर आधारित उत्तराखंड की झांकी ने देश मे प्रथम स्थान प्राप्त  किया है। झांकी के पहले स्थान पर आने से उत्तराखंड का नाम इतिहास में दर्ज हो गया। इसे लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है. गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर निकाली गई झांकियों में उत्तराखंड की झांकी ने पहला स्थान प्राप्त कर इतिहास रचा है.


इस मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह उपलब्धि हम सभी के लिए गर्व का क्षण है और मानसखंड को स्कंद पुराण में बताया गया है. इसके साथ ही सीएम धामी ने ट्वीट कर लिखा- "गौरवशाली क्षण! गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर कर्तव्य पथ पर निकाली गई झांकियों में देवभूमि के वैभवशाली सांस्कृतिक गौरव को परिलक्षित करती 'मानसखण्ड' पर आधारित उत्तराखण्ड की झांकी को प्रथम स्थान प्राप्त होने पर समस्त प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई."


झांकी में नजर आया था अल्मोड़ा का जागेश्वर मंदिर -

इसके साथ ही सीएम धामी ने ट्वीट कर लिखा- "सांस्कृतिक नवजागरण की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार द्वारा मानसखण्ड कॉरिडोर के माध्यम से प्रदेश के पौराणिक स्थलों को विकसित किया जा रहा है." बता दें कि उत्तराखंड की झांकी में कार्बेट नेशनल पार्क में विचरण करते हुए बारहसिंघा, घुरल, हिरन के अलावा अल्मोड़ा का जागेश्वर मंदिर दिखाया गया था. इसके साथ ही झांकी के मंदिर को ऐपण की बेलों से सजाया गया था और झांकी में कुमाऊं के पारंपरिक छोलिया नृत्य और बेडू पाको की धुन भी शामिल हुए. इस दौरान सूचना विभाग के निदेशक केएस चौहान के नेतृत्व में उत्तराखंड से 18 कलाकार झांकी में शामिल हुए थे.

सीएम धामी ने दिया था मानसखंड झांकी का सुझाव -
बता दें कि भारत सरकार को भेजे गए झांकी का विषय मानसखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के अंतर्गत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था। गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भांति सरकार कुमाऊं में मंदिर माला मिशन के अंतर्गत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को झांकी को दिखाया गया था।
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झांकी में ये था खास -
उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर जो उधमसिंह नगर में पाया जाता है, उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल आदि व उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपण कला को प्रदर्शित किया गया था। झांकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपण कला से लिखा गया था। जागेश्वर धाम का मंदिर घनघोर देवदार के वृक्षों के बीच में है। इसलिए झांकी में मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षो का सीन तैयार किया गया था।


ऐपण क्या हैं -
ऐपण कुमाऊं की समृद्ध और गरिमापूर्ण परंपरा है। इसे गेरू (लाल मिट्टी जो पानी के घोल से तैयार किया जाता है) पर बिस्वार (चावल के आटे का घोल) से अलग-अलग बेलें और चौकियां बनाई जाती हैं। धार्मिक अनुष्ठानों, नामकरण संस्कार, विवाह, जनेऊ आदि जैसे समारोहों की शुरुआत ऐपण बनाने से की जाती है। यह माना जाता है कि ऐपण सकारात्मकता और समृद्धि लाता है।
 

थीम सांग से बढ़ा उत्साह -
झांकी का थीम सांग 'जय हो कुमाऊं, जय हो गढ़वाला' को पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध जनकवि जनार्दन उप्रेती ने लिखा था। उसको सौरभ मैठाणी और साथियों ने सुर दिया था। इस थीम गीत के निर्माता पहाड़ी दगड़िया निवासी देहरादून थे। 


छोलिया नृत्य ने खींचा सबका ध्यान -
टीम लीडर संयुक निदेशक केएस चौहान के नेतृत्व में झांकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसे करने में पिथौरागढ़ के भीम राम के दल के 16 कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही योग भूमि भी कहा जाता है। झांकी के ऊपर बारु सिंह और अनिल सिंह ने योग करते हुए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।