‘’राष्ट्र सेवा का संकल्प: फ्यूचर यूनिवर्सिटी में वीर जवानों के सम्मान में एकता का संदेश,ऑपरेशन "सिंदूर" पर विशेष आयोजन’’

उत्तरखंड न्यूज़ - ( जिया सती ) फ्यूचर यूनिवर्सिटी में आयोजित हुआ यह आयोजन एक ऐतिहासिक क्षण बन गया, जहाँ शिक्षण और अनुसंधान की दुनिया ने देशभक्ति और राष्ट्रीय गर्व के रंगों से अपने आपको सराबोर पाया। ऑपरेशन "सिंदूर" की सफलता का जश्न केवल सैन्य पराक्रम की गाथा नहीं था, बल्कि यह एक गहरे भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक था, जो भारतवासियों को अपने वीर जवानों के साथ जोड़ता है। यह वह क्षण था जब छात्रों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय प्रशासन ने एकजुट होकर राष्ट्र की सेवा में बलिदान देने वालों को सम्मानित किया।

यह आयोजन एक प्रेरणास्रोत के रूप में उभरा, जिसने युवाओं के मन में देश के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी की भावना को और प्रगाढ़ किया। विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला ने यह संदेश दिया कि राष्ट्र की रक्षा केवल सीमा पर तैनात सैनिकों का ही दायित्व नहीं है, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की एकता, अखंडता और गरिमा की रक्षा करे। छात्रों की प्रस्तुतियों ने यह सिद्ध कर दिया कि नई पीढ़ी न केवल जागरूक है, बल्कि प्रतिबद्ध भी है।

ऑपरेशन "सिंदूर" की पृष्ठभूमि और क्रियान्वयन ने यह स्पष्ट किया कि भारत अब केवल प्रतिक्रियात्मक नीति नहीं अपना रहा, बल्कि आवश्यक हो तो सर्जिकल और निर्णायक कदम उठाने से भी नहीं हिचक रहा। यह कार्रवाई सामरिक दृष्टि से जितनी सटीक थी, नैतिक दृष्टि से उतनी ही विवेकपूर्ण। भारत ने विश्व को यह दिखा दिया कि आतंकवाद के विरुद्ध उसकी नीति स्पष्ट, दृढ़ और न्यायसंगत है।
कुलाधिपति मुकेश गुप्ता का भाषण प्रेरणादायक था। उन्होंने विद्यार्थियों को यह बताया कि हमारे सशस्त्र बल केवल अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित नहीं हैं, बल्कि उनके पास अनुशासन, धैर्य और रणनीतिक सोच की अपार शक्ति है। ऑपरेशन सिंदूर का संयमित और लक्षित स्वरूप इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना किसी भी परिस्थिति में संतुलन बनाए रखने में सक्षम है।
प्रो-वाइस चांसलर डॉ. पंकज कुमार मिश्रा ने जब पहलगाम में हुए अमानवीय हमले का उल्लेख किया, तो सभा में मौन छा गया। उन्होंने जिस संवेदनशीलता और दृढ़ता से इस घटना के उत्तरदायित्व की बात की, वह हर छात्र के मन को छू गई। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जब देश पर हमला होता है, तो केवल सीमाएं नहीं टूटतीं, बल्कि मानवीयता भी घायल होती है, और उसका उत्तर सशक्त और न्यायपूर्ण होना चाहिए।
रजिस्ट्रार डॉ. के. पी. एस. चौहान द्वारा कराई गई राष्ट्रीय एकता प्रतिज्ञा ने सभा में नई ऊर्जा का संचार किया। यह एक ऐसा क्षण था जब पूरा परिसर एक सुर में राष्ट्र के लिए अपनी निष्ठा दोहरा रहा था। यह न केवल एक रस्म थी, बल्कि एक मानसिक और भावनात्मक संकल्प भी था, जो युवाओं के हृदय में लंबे समय तक गूंजता रहेगा।
छात्रों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कविता पाठ और वीरगाथाओं ने इस आयोजन को जीवंत और प्रभावशाली बना दिया। जब छात्र सैनिकों के पराक्रम पर आधारित कविताएं पढ़ रहे थे, तो वातावरण में गर्व, उत्साह और श्रद्धा की भावनाएं उमड़ रही थीं। प्रदर्शनी में भारतीय सशस्त्र बलों की गाथाओं को देखकर हर किसी की आंखों में गर्व के आँसू थे।
अंततः, फ्यूचर यूनिवर्सिटी का यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं था, यह एक चेतना थी—एक प्रेरणा थी, जो हर छात्र को यह याद दिलाने आई थी कि राष्ट्र सेवा केवल वर्दी में नहीं होती, बल्कि विचारों, कर्मों और आदर्शों में भी होती है। यह आयोजन छात्रों के व्यक्तित्व निर्माण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था, जो उन्हें जिम्मेदार, जागरूक और देशभक्त नागरिक बनने की राह पर अग्रसर करता है।