रुद्रपुर: किसानों को प्रति एकड़ हो रहा है 15 हजार का घाटा, किसानों ने बताई वजह
रुद्रपुर । तराई किसान संगठन के पदाधिकारियों ने सरकार की धान खरीद नीति पर सवालिया निशान लगाते हुए धान खरीद नीति में हो रही धांधली एवं किसानों के शोषण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया।
तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तजिन्दर सिंह विर्क ने कहा जो खरीद नीति वर्ष 2020-21 के लिए बनाई गई वह किसानों का गला काटने वाली है। आज खरीद के 21 दिन हो जाने के बाद भी एक भी किलो अनाज धान कच्चे आढ़ती द्वारा सरकारी एमएसपी पर नहीं खरीदा गया है। वह सरकार के दलाल के रूप में काम कर रहा है। यह सरकार प्रशासन एवं कच्चा आढ़ती के बीच का खेल है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 10 लाख मैट्रिक टन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसमें से 7.30 लाख मैट्रिक टन लगभग कच्चे आढ़ती से धान खरीद की जानी है और वर्तमान में जो कच्चे आढ़ती द्वारा धान की खरीद हो रही है वह 1400 सौ से 1300 प्रति कुंटल की दर से की जा रही है। सीधा सीधा ₹500 प्रति कुंतल, जिसका मतलब 300 करोड़ का हेरफेर कच्चे आढ़ती द्वारा सरकार की आंखों के सामने होना कहीं ना कहीं एक सवालिया निशान खड़ा करता है। 300 करोड़ जो किसान की जेब में जाने चाहिए थे उसका बंदरबांट हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि हम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसान की धान की फसल खरीद करेंगे, एक तरफ सरकार कह रही है कि हम बिचौलिया खत्म कर रहे हैं लेकिन धान खरीद में सरकार के और किसान के बीच कच्चा आढ़ती बिचौलिए का काम कर रहा है। आरोप है कि वह सरकार को लाभ पहुंचाने का काम कर रहा है। जनपद जनप्रतिनिधि, मंत्री किसानों के वोट लेकर किसानों के मुद्दे पर मौन हैं। वह अध्यादेश के समर्थन मे ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं, लेकिन मंडी में जाकर किसान का दुख दर्द सुनने का समय नहीं है।
कहा कि किसान मजबूर है, क्योंकि उसे अपनी फसल बोने के लिए खाद बीज के लिए पैसे की आवश्यकता है, इसलिए सरकार उसके शोषण कर रही है ।
भारतीय किसान संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह ने कहा सरकार की मशीनरी के रूप में काम करने वाला प्रशासन की भूमिका भी इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध नजर आ रही है। जिस तरह से पूरे जनपद के अंदर पिछले 20 दिन से जिले का किसान चिल्ला चिल्ला कर प्रशासन से गुहार लगा रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बनकर खड़ा है। सरकार के आदेशों के बावजूद प्रशासन गल्ला मंडी के अंदर कच्चा आढ़ती द्वारा बोली कराए जाने की प्रक्रिया को लागू करवाने में असफल है ।
किसान नेता सुखा सिंह विर्क ने कहा की जिस तरह से सरकार आंखों पर पट्टी बांधकर बैठी है और सारा कुछ उसके सामने हो रहा है वह तो कहीं ना कहीं ऐसे लगता है कि जैसे सरकार ने कच्चा आढती को खुली छूट दे दी हो । किसान को ₹500 प्रति कुंतल यानी प्रति एकड़ 15000 का घाटा हो रहा है ।